Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Nine

पाठ ८ - उड़ान

When one is in a dark area, there is no use asking for a ray of light because there will be no light. Similarly, when we are in a forest of thorns, it is futile to expect flowers or to ask for flowers because they cannot be found there. One who is worthy of respect becomes humble. No one needs to congratulate him. People themselves bow down and salute such a person. Let’s honour that.

 

Giving the analogy of birds, the poet says that there is no limit to work for the one who has power in his wings, that is, the desire to do something or to get something. The bird itself soars high in the wide sky. He does not fly after asking anyone. The one whom we love so much, we do not need to invite him to his dreams. His dreams themselves find a place in our eyes. His memory lives on in our hearts.

 

Those who know their mistake should rectify it. repent; they do not need to be warned by someone from outside.

 

The higher a person’s workload, the more he works, the more tired he is. When a person speaks less and sees more, his eyes work as a tongue; that is, his experience is visible in his eyes. When we are walking in the hot sun, we get shade from our palm itself; that is, when we are in trouble, we have to find a solution ourselves. No one else helps us.

 

When a dumb can talk to a deaf, that is life. The one who draws the bow till the archer’s ear, his arrow goes that far. That is, the higher a person sets his goal, the greater his achievement. A poet’s life is like a pan. Just as the burning liquid in a pan perfumes the atmosphere with its fragrance, in the same way, the fame of the poet spreads all around.

अगन – अग्नि, आग

सायबान – छाया देने वाला

बयान – वक्तव्य

तीर – बाण

कमान – धनुष

इलाका – क्षेत्र

कंटक – काँटा

आदर – सम्मान

पर – पंख

थकान – थकावट

शायर – शायरी लिखने वाला

संभाषणीय

विद्‌यालय के काव्यपाठ कार्यक्रम में सहभागी होकर कविता प्रस्‍तुत कीजिए :

उत्तर: विद्यार्थी विद्यालय के कविता पाठ कार्यक्रम में भाग लेकर कविता प्रस्तुत करें।

 

पठनीय

‘दहेज’ जैसी सामाजिक समस्याओं को समझते हुए इसके संदर्भ में जनजागृति करने हेतु घोषवाक्यों का वाचन कीजिए ।

उत्तर: दहेज हमारे समाज का एक अभिशाप है। दहेज एक ऐसी कुरीति है जिसका अंत होना बहुत जरूरी है। लड़की घर की लक्ष्मी होती है कोई सौदा लगाने वाली चीज नहीं कि  समाज के ठेकेदार हर लड़की की शादी के लिए दहेज का सौदा करते हैं। दहेज स्त्रीयों के समान अधिकार लाने में एक बहुत बड़ा अवरोधक है। एक घर में बेटी पैदा होते ही घर में तनाव होने लगता है कि अब दहेज का प्रबंध करना होगा। लड़की भी वो सबकुछ कर सकती है जो लड़के करते हैं। इसलिए दहेज प्रथा का उन्मूलन होना जरूरी है।

१. दहेज देना और लेना पाप है।

२. चलो एक अभियान चलाये, दहेज प्रथा का अंत कराये।

३. दहेज प्रथा नहीं है व्यापार, लालची लोगों का है हथियार।

४. दहेज है घिनौना, आओ मिलकर करें इसका अंत ।

 

श्रवणीय

हिंदी-मराठी भाषा के प्रमुख गजलकारों की गजल रचना सुनिए और सुनाइए ।

उत्तर: छात्रों को हिंदी-मराठी भाषा के प्रमुख ग़ज़लकारों द्वारा रचित ग़ज़लों को खोजने और उनका पाठ करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करना चाहिए।

 

कल्पना पल्लवन

‘मैं चिड़िया बोल रही हूँ’ इस विषय पर स्वयंप्रेणा से लेखन कीजिए ।

उत्तर: 

मैं चिड़ियाँ बोल रही हूँ।

 

एक रात मैं सो रहा था कि सपने में मेरे एक चिड़ियाँ आई और मुझसे बोली कि मैं चिडियाँ बोल रही हूँ। वह बोली की कल रात मेरे घर को उजाड़ दिया गया ताकि तुम्हारा घर बन सकें। मेरा घोसला जिस पेड़ पर था उसे काट दिया गया। ताकि उस लकड़ी से तुम्हारा घर बन  सके। वह बोली कि यह कहाँ का न्याय है कि एक का घर बनाने के लिए दूसरे का घर उजाड़ दो। अब मैं कहा जाऊँ। मेरा जन्म तो उसी पेड़ पर हुआ था। वह मेरा सबकुछ था। उसके बाद में जाग गया और सोचने लगा कि सच ही तो कहा चिड़ियाँ ने।

 

आसपास

अंतरजाल की सहायता लेकर कोई कविता पढ़िए और निम्न मुद्दों के आधार पर आशय स्पष्ट कीजिए :

उत्तर: 

कविता का नाम – उड़ान

 

कवि का नाम – चंद्रसेन विराट

कविता का विषय – लोकनीति

केंद्रीय भाव – कवि ने स्वाभिमान, विनम्रता, हौसलों, बुलंदी, दूरदृष्टि जैसे अनेक मानवीय गुणों को उभारा है।

कविता का संदेश – लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने पर भरोसा रखों दूसरे की तरफ मत ताको।

 

पाठ के आँगन में

(१) सूचना के अनुसार कृति पूर्ण कीजिए :

सही विकल्‍प चुनकर वाक्‍य पूर्ण कीजिए :

(क) परों में शक्‍ति हो तो ……………

१. उपलब्‍ध नभ को नापना है ।

२. उपलब्‍ध जल को नापना है ।

३. भू को नापना है ।

उत्तर: १. उपलब्‍ध नभ को नापना है ।

 

(ख) सुलगते आप, बाहर से 

१. तपन नहीं माँगा करते । 

२. अगन नहीं माँगा करते । 

३. बुझन नहीं माँगा करते ।

उत्तर: २. अगन नहीं माँगा करते । 

 

(२) निम्‍नलिखित काव्य पंक्‍तियों का सरल भावार्थ लिखिएः-

अँधेरे के इलाके में ……. नमन माँगा नहीं करते ।

उत्तर: प्रस्तुत गजल में कवि कहते हैं, “इंसान के पास स्वाभिमान का होना बेहद जरूरी होता है। उसे अँधेरे के इलाके में किरण नहीं माँगनी चाहिए। यानी जब संकट की स्थिति आ जाएँ; तब इंसान को स्वयं ही उसके साथ संघर्ष करना चाहिए। किसी से मदद नहीं मांगनी चाहिए। जहाँ पर कंटकों का यानी काँटों का बन होता है; वहाँ पर काँटों के अलावा कुछ नहीं होता है। वहाँ पर सुमन नहीं हो सकते हैं। अर्थात संकट की परिस्थितियों में सर्वत्र काँटे-ही-काँटे होते हैं। वहाँ पर दुख-दर्द व पीड़ा ही होती है। वहाँ पर हम सुख की अपेक्षा नहीं कर सकते।”

 

“जो व्यक्ति सचमुच आदर का अधिकारी है उसके सामने दुसरे लोगों के मस्तक अपने आप झुक जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को किसी से नमन या आदर मांगने की जरूरत नहीं होती बल्कि उसे तो अपने आप आदर मिल जाता है। व्यक्ति के पास विनम्रता होनी चाहिए।”

 

(३) कविता द्‌वारा दिया गया संदेश अपने शब्‍दों में लिखिए।

उत्तर: कविता द्वारा अनेक मानवीय गुणों का संदेश दिया गया है। स्वाभिमान, विनम्रता, हौसला, दूरदृष्टि, अपनी गलती पर पश्चाताप करना आदि गुण किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व। के विकास के लिए आवश्यक हैं। स्वाभिमान मनुष्य में आत्मविश्वास उत्पन्न करता है। विनम्र व्यक्ति सर्वत्र आदर पाता है। हमारा हौसला जितना अधिक होगा, हम उतने ही ऊँचे लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। दूरदृष्टि हमें हमारे लक्ष्य निर्धारण में सहायता करती है। गलती प्रत्येक इनसान से हो जाती है। अपनी गलती को न समझना, समझकर भी सुधारने का प्रयास न करना, पश्चाताप करने को अपना अपमान मानना हमें अप्रिय बनाता है। हमें अधिक से अधिक मानवीय गुणों का विकास करने का प्रयास करना चाहिए।

 

(४) कविता में प्रयुक्‍त विरामचिह्नों के नाम लिखकर उनका वाक्‍यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर: 

(१) , अल्प विराम – न हूँ न हाँ, चुपचाप बैठ गया।

(२) योजक चिह्न – राजा-रानी दोनों उपवन में सैर कर रहे थे।

(३) पूर्ण विराम – आखिर वह शुभ दिन आ पहुँचा

 

(५) संजाल :

उत्तर: 

पाठ के आँगन में

(१) सूचना के अनुसार कृति पूर्ण कीजिए:

(क) संजाल :

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उत्तर:

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