पाठ ७ – शिष्टाचार
In this characteristic story, the relationship between husband-wife and servant-master, attitude towards servants, consciousness of the servant’s duty, repentance for unknowingly done by the master, etc. have been depicted poignantly.
अनथक – जो थके नहीं, बिना थके
षड्यंत्र – कपटपूर्ण योजना
तब्दील – बदलना, परिवर्तन
अफसोस – पश्चात्ताप
पसीजना – पिघलना
बनमानस – वनमनुष्य या जंगली मनुष्य
मुहावरे:
१. मुँह फेरना
अर्थ – उपेक्षा करना, ध्यान न देना
वाक्य – मैनें उसे बहुत नाराज कर दिया इसलिए उसने मुझसे मुँह फेर लिया।
२. बरखास्त करना
अर्थ – अपदस्थ करना, निकाल देना
वाक्य – वह काम करने में कामचोरी दिखाता था इसलिए उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
३. टस-से-मस न होना
अर्थ – दृढ़ रहना, कहने का प्रभाव न पड़ना
वाक्य – मास्टर से जी ने उसे बहुत डाँटा लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ।
४. बेकाबू होना
अर्थ – अनियंत्रित होना
वाक्य – वह राहुल बिल्कुल बेवकूफ लगता है।
५. हाथ साफ करना
अर्थ – चोरी करना, सामान गायब करना
वाक्य – चोरों ने बैंक में अपना हाथ साफ कर दिया।
संभाषणीय
‘आपके व्यवहार में शिष्टाचार झलकता है’ इस विषय पर चर्चा कीजिए:
उत्तर: मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं। इसलिए उन्हें कुछ सामाजिक मानदंडों का पालन करना होगा। सामाजिक जीवन में इस गुण का अभ्यास करना बहुत महत्वपूर्ण है। ‘शिष्टाचार’ शब्द का अर्थ विनम्र व्यवहार है। शिष्टाचार नियमों और विनियमों की एक प्रणाली है जो सामाजिक, सार्वजनिक या आधिकारिक व्यवहार में अच्छे रूप या ‘अच्छे व्यवहार’ को परिभाषित करती है।
शिष्टाचार हमें अपने आचरण के बारे में विचारशील होने में मदद करते हैं। यह हमें दूसरों की भावनाओं और अधिकारों के बारे में जागरूक होने में मदद करता है। शिष्टाचार हमें दूसरों से जुड़ने में मदद करता है। यह सम्मान को बढ़ावा देता है। शिष्टाचार अन्य संस्कृतियों के लोगों के लिए सम्मान को बढ़ावा देता है। शिष्टाचार सांस्कृतिक रूप से बाध्य हैं।
वे हमारे जीवन में अनुशासन और शांति बनाए रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। यह एक विशिष्ट आचार संहिता निर्धारित करता है। शिष्टाचार हमें यह जानने में मदद करता है कि दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करना है। हमें यह जानने में मदद करता है कि विभिन्न वातावरणों में कैसे व्यवहार और आचरण करना है। शिष्टाचार आपको जीवन में विभिन्न परिस्थितियों से निपटने का विश्वास देता है। यह हमें जीवन कौशल प्रदान करता है। शिष्टाचार आपकी व्यक्तिगत छवि को बढ़ाता है। यह अपमानजनक व्यवहार का अंत करता है।
अच्छे शिष्टाचार का अर्थ केवल ‘कृपया’ और ‘धन्यवाद’ कहना नहीं है। यह इस बारे में है कि आप अपने आप को कैसे प्रस्तुत करते हैं, आप कैसे व्यवहार करते हैं, आप कैसे बोलते हैं, आप दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं और आप कैसे सोचते हैं। हमें हमेशा अपने जीवन में संस्कारों को महत्व देना चाहिए ताकि हम समाज में सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति बनकर उभर सकें।
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
(१) गद्यांश में ‘हेतू’ की बताई गई विशेषताएँ:
उत्तर:
१. चपटी नाक
२. छोटा माथा
३. बेतारह से दाॅंत
४. मोटे हाथ
(२) ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्दों हों :
१. बरखास्त
उत्तर: श्रीमती दिन में दस-दस बार हेतू को नौकरी से क्या करती ?
२. हेतू
उत्तर: किसकी पीठ मजबूत थी ?
(३) कारण लिखिए ।
१. रामगोपाल जी की नौकरों की खोज शिथिल हुई
उत्तर: हेतू के आ जाने से रामगोपाल जी के दिन कटने लगे। अत: उनकी नौकरों की खोज शिथिल हुई।
२. हेतू की तनख्वाह से कटौती होती ……
उत्तर: हेतू के हाथों से कभी-कभी चीजें टूट जाती और उसके नुकसान की भरपाई स्वरूप हेतू की तनख्वाह से कटौती होती।
(४) ‘नौकर और मालिक के बीच सौहार्दपूर्ण व्यवहार होना चाहिए’ – स्वमत लिखिए ।
उत्तर: आज के भौतिकवादी युग में जहाँ पति-पत्नी दोनों कामकाजी हों, तो बहुत से घरों में नौकरों के बिना काम नहीं चलता। इसी प्रकार दुकानों में, होटलों में छोटी उम्र के हजारों, लाखों नौकर काम कर रहे हैं। परंतु अनेक अवसरों पर उनके साथ बहुत ही बुरा व्यवहार किया जाता है। उनकी पिटाई तक कर दी जाती है। हम स्वयं को इनका स्वामी मान लेते हैं। यदि विवशतावश नौकर अपनी सेवाएँ हमें देते हैं, तो इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि हम उनके जीवन पर अपना अधिकार मानने लगे। जो लोग सरदी, गरमी के विकट मौसम की परवाह किए बिना हमारे दैनिक कार्यों में हमारी मदद करते हैं, उनके साथ सौहार्दपूर्ण, मानवीय व्यवहार करना हमारा कर्तव्य हो जाता है।
पठनीय
‘व्यक्तित्व विकास’ संबंधी कोई लेख पढ़िए।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
श्रवणीय
अपने गाँव/शहर में आए हुए किसी अपरिचित व्यक्ति की मदद के बारे में किसी बुजुर्ग से सुनिए और अपने विचार सुनाइए ।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
आसपास
बैंक / डाकघर में जाकर वहाँ के कर्मचारी एवं ग्राहकों के बीच होने वाले व्यवहारों का निरीक्षण कीजिए तथा उन व्यवहारों के संबंध में अपनी उचित सहमति या असहमति प्रकट कीजिए।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
पाठ के आँगन में
(१) सूचना के अनुसार कृति पूर्ण कीजिए:
(क) संजाल :
उत्तर:
(ख) विधानों के सामने दी हुई चौखट में सत्य/असत्य लिखिए:-
१. अगले दिन श्रीमती ने अपना ट्रंक खोलकर अपनी चीजाें की पड़ताल शुरू की।
उत्तर: सत्य
२. सहसा हेतू की आँखों में आँसू आ गए।
उत्तर: सत्य
(ग) श्रीमती के नौकरों के बारे में विचार –
१.
२.
३.
उत्तर:
१. झूठे
२. गलीज
३. लंपट
मौलिक सृजन
निम्नलिखित मुद्दों के उचित क्रम लगाकर उनके आधार पर कहानी लेखन कीजिए :
उत्तर:
मुद्दों का उचित क्रम निम्नलिखित है:
एक लड़का – शहर के महाविद्यालय में पढ़ना – छुट्टियों में गाँव आना – प्रतिवर्ष सूखे की समस्या का सामना – मन में निश्चय – कुआँ खोदने का प्रारंभ – लोगों का हँसना – एक मित्र का साथ देना – लोगों का जुड़ना – कुआँ तैयार होना – कुआँ पानी से भरना – लोगों का खुश होना – सीख, शीर्षक
परिश्रम का फल
दिनेश मधुपुर गाँव में रहता था। गाँव में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह शहर के महाविद्यालय में पढ़ने चला गया। प्रतिवर्ष छुट्टियों में घर आया करता था। पिछले दो-तीन वर्षों से दिनेश का गाँव सूखे की चपेट में आ गया था। सभी परेशान थे, चिंतित थे, परंतु कोई हल नहीं सूझ रहा था
इस बार दिनेश जब गाँव आया तो अपने लोगों में फैली चिंता | से दुखी होकर वह सोचता रहा कि इस समस्या का स्थायी हल क्या हो सकता है। आखिर कब तक इस प्रकार वर्षा का इंतजार करते बैठे रहेंगे। गाँव में दिनेश के बचपन का एक साथी राकेश था, जो उससे बहुत प्रभावित था। दिनेश ने अपने मित्र से परामर्श किया – क्यों न गाँव में एक कुआँ खोदा जाए।
शाम को दिनेश, राकेश को साथ लेकर चौपाल में पहुँचा। गाँव के अनेक बड़े-बूढ़े वहाँ उपस्थित थे। उसने सबके सामने कुआँ खोदने का प्रस्ताव रखा। सभी उसकी बात सुनकर न केवल हैरान रह गए, बल्कि उस पर हँसने लगे। दिनेश ने विनम्रतापूर्वक कहा कि मुझे आप लोगों की केवल अनुमति चाहिए।
सरपंच ने पंचों के साथ विचार-विमर्श किया और उन्हें कुआँ खोदने की अनुमति दे दी। अगले ही दिन से दिनेश और राकेश सुबह से शाम तक खुदाई करने लगे। शुरू में तो गाँववाले तमाशा देखने ही वहाँ आने लगे, लेकिन धीरे-धीरे जब उन्होंने उन दोनों की मेहनत के परिणामस्वरूप कुआँ खुदते देखा, तो वे भी स्वयं को इस मुहिम में जुड़ने से नहीं रोक सके।
सबकी मिली-जुली मेहनत का सुखद परिणाम जल्दी ही सामने आया। एक अच्छा, बड़ा कुआँ बनकर तैयार हो गया। सभी गाँववाले प्रसन्नता के सागर में डूब गए। सब बार-बार दिनेश और राकेश को आशीर्वाद देने लगे। कोई सोच भी नहीं सकता था कि बच्चे समझकर जिनकी मजाक बनाई थी, वे इतना बड़ा काम कर जाएँगे।
सीख : संकल्प और परिश्रम से असंभव कार्य को संभव किया जा सकता है।
पाठ से आगे
‘मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है’ विचार को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है।
मानवता का अर्थ क्या है पहले हमें यह समझ लेना चाहिए। मानवता का अर्थ है कि हमारे चारों तरफ तरफ जो भी जीवन है उसके प्रति एक संवेदनशील दृष्टि रखना। इससे हम अपने चारों ओर लोगों के प्रति प्रेम, स्नेह, सहयोग, समर्पण रखते हैं। ऐसे ही यदि हमारे चारों ओर लोगों में भी मानवता है तो वह भी हमारे प्रति प्रेम, स्नेह, सहयोग की भावना रखेगे। इससे आपसी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और परस्पर उत्न होने वाले तनावों में कमी आएगी। सभी लोग एक दूसरे के साथ प्यार से मिलजुल कर रहे सकेंगे। मैथिली शरण गुप्त ने एक जगह कहा भी है कि – यही पशु प्रवृत्ति है कि आप ही आप चरे, वही मनुष्य है जो कि मनुष्य के लिए मरे । हम सबको अपने में मामवता रखनी चाहिए क्योंकि जिसमें मानवता नही है वह मरे हुए के समान है।
भाषा बिंदु
दिए गए अव्यय भेदों के वाक्य पाठ्यपुस्तक से ढूँढ़कर लिखिए:
१. क्रियाविशेषण अव्यय
उत्तर:
- श्रीमती जल्दी ही थककर बैठ गई।
- गाँव का भोला धीरे-धीरे एक शहरी नौकर में तब्दील होने लगा ।
२. समुच्चयबोधक अव्यय
उत्तर:
- पलंग पर बैठे-बैठे उन्होंने नौकर को सिर से पाँव तक देखा और देखते ही मुँह फेर दिया।
- श्रीमान और श्रीमती के घर के सामने बाजे बजने लगे।
३. संबंधबोधक अव्यय
उत्तर:
- श्रीमती का व्यवहार नौकरों के साथ नौकरों का सा ही था।
- थोड़ी देर तक चुपचाप खड़े उसके मुँह की ओर देखते हैं।
४. विस्मयादिबोधक अव्यय
उत्तर:
- अच्छा! क्या बात है ?
- केवल बारह रूपए!