Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Nine

पाठ १० – अपराजेय

The author has given a man inspiration in the given story. Both joy and grief are natural components of life. In good times, we shouldn’t let ourselves get lost in a sea of sadness. Make an effort to escape. Life develops through work, not selflessness.

अकुलाहट – व्याकुलता, बेचैनी

घुमक्कड़ी – घूमने की क्रिया

परिदृश्य – चारों ओर के दृश्य

उजास – प्रकाश, उजाला

दुर्घटना – हादसा

रक्तस्राव – रक्त का शरीर से बहना।

स्वचालित – स्वयं चलने वाली

अलवैर कामू – एक पाश्चात्य नाटककार

अद्वितीय – जिसके समान कोई न हो।

अपराजेय – जिसकी कभी पराजय न हो।

संभाषणीय

विद्यालय में आते समय आपको रास्तेमें दुर्घटनाग्रस्‍त कोई महिला दिखी । आपने उसकी सहायता की, इस घटना का वर्णन कीजिए ।

उत्तर: रोज की तरह स्कूल से आते वक्त सामने से आवाज आ रही थी और जब मैं वहां पहुंचा तो देखा कि एक महिला खून से लथपथ पड़ी है. वहां लोगों की भारी भीड़ थी। महिला किसी वाहन की चपेट में आने से कुचल गई। सब तमाशा देख रहे थे; कोई मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था। मैंने महिला के घाव को रूमाल से धोया, उसे पानी से साफ किया, एंबुलेंस बुलाई और उसे अस्पताल ले गया। कुछ ही देर में उसे होश आया और उसने अपने परिजनों को फोन किया। उसके बाद, मैं घर चला गया।

 

श्रवणीय

हेलन केलर की जीवनी का अंश सुनिए और मुख्य मुद्दे सुनाइए ।

उत्तर: छात्रों को इंटरनेट का हवाला देते हुए हेलेन केलर की जीवनी पढ़नी चाहिए और उससे महत्वपूर्ण बिंदुओं को बताना चाहिए

 

लेखनीय

‘‘कला की साधना जीवन के दुखमय क्षणों को भुला देती है ’’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए ।

उत्तर: मानव जीवन में सुख और दुख सिक्के के दो पहलुओं के समान हैं। जब हम दुखी होते हैं तो रोते हैं, कलपते हैं, अपने भाग्य को कोसते हैं। इतना ही नहीं, हम ईश्वर को भी दोष देने लगते हैं। यदि हम दुख के क्षणों में रोने- बिसूरने या हाय-तौबा मचाने के स्थान पर स्वयं को किसी भी प्रकार की कला में डुबा दें, कला की साधना करें, तो दुख की अनुभूति कम हो जाती है। कला में ऐसी शक्ति होती है कि मनुष्य उसमें व्यस्त होकर दुख-दर्द तो क्या, स्वयं तक को भूल जाता है। इसलिए हमें दुख से उबरने के लिए कला का सहारा लेना चाहिए।

 

पठनीय

सुदर्शन की ‘हार की जीत’ कहानी पढ़िए ।

उत्तर: इस अद्भुत कहानी को पढ़ने के लिए छात्रों को इंटरनेट की मदद लेनी चाहिए।

 

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-

१) संजाल पूर्ण कीजिए :

IMG 20230301 130826 पाठ १० – अपराजेय

उत्तर:

IMG 20230301 130836 पाठ १० – अपराजेय

२) रिक्‍त स्‍थान पूर्ण कीजिए :

IMG 20230301 131020 पाठ १० – अपराजेय

उत्तर:

IMG 20230301 131010 पाठ १० – अपराजेय

३) परिच्छेद से ऐसे दो शब्‍द ढूँढ़कर लिखिए जिनका वचन परिवर्तन नहीं होता ।

उत्तर: 

(अ) घर

(आ) पेड़

 

४) ‘कला में अभिरुचि होने से जीवन का आनंद बढ़ता है’ अपने विचार लिखिए ।

उत्तर: कला जीवन का प्रतिबिंब है। वही जीवन का आनंद है। हर कोई कला का शौकीन होता है। कला में रुचि होने के कारण व्यक्ति इसके अभ्यास में लगा रहता है। ऐसे में वह खुद को भी भूल जाता है। उन्हें कला के अलावा कुछ भी याद नहीं आता। वह अपनी मनचाही कला के सौन्दर्य और माधुर्य में लीन हो जाता है। कला का आनंद लेते हुए उसका मन आनंदमय हो जाता है।

 

वह कला को अपने अस्तित्व का आधार मानकर अपने जीवन को सुंदर बनाता है। निरंतर कला के सान्निध्य में रहने के कारण मन में ताजगी बनी रहती है। ऐसा व्यक्ति तब सारी दुनिया को सुंदर और खिलता हुआ देखता है। इस प्रकार कला में रुचि होने से जीवन का आनंद बढ़ जाता है।

 

आसपास

कलाक्षेत्र में ‘भारतरत्न’ उपाधि से अलंकृत महान विभूतियों के नाम, क्षेत्र, वर्षानुसार सूची बनाइए ।

उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।

 

मैलिक सृजन

‘समाज के जरुरतमंद लोगों की मैं सहायता करूँगा’ विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए ।

उत्तर: मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज से ही उसकी पहचान बनती है। वहीं रहकर उसकी सभी आवश्यकताएँ पूर्ण होती हैं। इसलिए समाज के प्रति उसका भी कुछ उत्तरदायित्व बनता है। में इस तथ्य से भली-भाँति परिचित हूँ। अतः मैं बड़ा होने पर, सक्षम होने पर समाज के लिए अवश्य कुछ करूंगा। जब, जहाँ, किसी को भी, किसी तरह की सहायता की आवश्यकता होगी, में अवश्य करूँगा। शारीरिक सहायता की आवश्यकता हो या मनोवैज्ञानिक या फिर आर्थिक, मैं कभी भी पीछे नहीं हटूंगा। ऐसा मेरा दृढ़ संकल्प है।

 

पाठ से आगे

दिव्यांग महिला खिलाड़ियों के बारे में जानकारी प्राप्त करके टिप्पणी तैयार कीजिए ।

उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।

पाठ के आँगन में

(१) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(क) केवल एक शब्द में उत्तर लिखिए :

१. जिनमें चल – फिरने की क्षमता का अभाव हो –

उत्तर: अपाहिज, अपंग

 

२. जिनमें सुनने की क्षमता का अभाव हो –

उत्तर: बधिर

 

३. जिनमें बोलने की क्षमता का अभाव हो –

उत्तर: गूंगा

 

४. स्वस्थ शरीर में किसी भी एक क्षमता का अभाव होना –

उत्तर: दिव्यांग

 

(ख) पाठ में प्रयुक्त वाक्य पढ़कर व्यक्‍ति में निहित भाव लिखिए :

१. ‘टाँग ही काटनी है ताे काट दो ।’

उत्तर: हास्य व सहज भाव, निडरता, सकारात्मकता, दृढ़ निश्चय

 

२. ‘मैं जानता हूँकि, जीवन का विकास पुरुषार्थ में हैं, आत्महीनता में नहीं ।’

उत्तर: शांत भाव, संघर्ष शीलता, दृढ़ निश्चय

 

(२) ‘हीन’ शब्द का प्रयोग करके कोई तीन अर्थपूर्ण शब्द तैयार करके लिखिए :

जैसे – आत्म + हीन = आत्महीन 

(छ) _____ + _____ =

उत्तर: संवेदन + हीन = संवेदनहीन

 

(च) _____ + _____  = 

उत्तर: चरित्र + हीन = चरित्रहीन

 

(ज) _____ + _____ =

उत्तर: स्नेह + हीन = स्नेहहीन

 

(३) ‘परिस्थिति के सामने हार न मानकर उसे सहर्षस्वीकार करने में ही जीवन की सार्थकता है’, स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर: कहा जाता है कि मनुष्य परिस्थितियों के हाथ में एक कठपुतली के समान होता है। यह कहावत एक साधारण मानव के लिए सही हो सकती है। परंतु इस पृथ्वी पर ऐसे भी अनेक मनुष्य हैं, जो किसी भी हालत में परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते। अमरनाथ जी के जीवन में ऐसा ही हुआ। पहले उनकी टाँग काटनी पड़ी। उन्होंने चित्रकला को अपना साथी बनाया। उसी में खुश रहते। उनकी दाई बाँह निर्जीव हो गई, अतः उसे भी काटना पड़ा। अब अमरनाथ जी अपना संगीत का शौक पूरा करने लगे। बीमारी के दौरान उनकी आवाज चली गई। तब भी उन्होंने परिस्थितियों से हार नहीं मानी। वे बाहर बगीचे में बैठकर प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेते हैं। प्रसिद्ध संगीतज्ञों के कैसेट सुनते हैं। अभी भी पूर्ववत प्रसन्न रहते हैं।

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