पाठ ६ – जरा प्यार से बोलना सीख लीजे
हे मानव, अपनी वाणी में शहद जैसी मिठास घोलना सीखो। अर्थात मधुरभाषी बनो। तुम दूसरों से मीठे शब्दों में बात करो। जब भी बोलो, प्यार से बोलो। जब आवश्यकता हो, तभी बोलो। अनेक अवसरों पर आवश्यकता नहीं होती, तब भी हम सलाह-मशवरा दिया करते हैं। दोस्तो, चुप रहने के अनेक लाभ हैं। (ऊर्जा बचती है। समय बचता है। उस ऊर्जा और समय को किसी सकारात्मक कार्य में लगाया जा सकता है।)
किसी को कुछ कहने से पहले अपनी बात पर विचार करना और फिर बोलना सीखो। बोलने से पहले अपने शब्दों को तौलने की आदत बनाओ। ऐसा न हो कि आपकी बातें सामने वाले को दुख पहुँचाएँ (तलवार से हुआ घाव वाणी से हुआ घाव देर-सवेर भर ही जाता है, किंतु कटु वाणी से कभी नहीं भरता । समय-असमय हमें याद आ आकर मार्मिक पीड़ा पहुँचाया करता है।) इसलिए यदि बातचीत के दौरान वैचारिक मतभेद हो, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति उत्पन्न हो तो अपने आप को टोककर चुप रहना सीखो।
मित्र, किसी भी परिस्थिति में दूसरे पर क्रोध में फट पड़ने के स्थान पर प्यार का प्रकाश फैलाना कहीं उचित है, क्योंकि क्रोध की प्रतिक्रिया में क्रोध ही मिलेगा और बात हाथ से निकल जाएगी। (यह तथ्य कभी नहीं भूलना चाहिए कि कड़वी बोली हमेशा संबंध बिगाड़ती ही है।) कटु वचनों से काँटे ही मिलते हैं। कटु वचन ऐसे बीज हैं, जिनके फलस्वरूप काँटों रूपी फसल ही मिलती है। अतः कटु वचनों का त्याग करके मीठी बोली रूपी फूल के पौधे लगाओ।
यदि बात करते-करते कोई ऐसा प्रसंग आ जाए कि किसी की बात आपको या आपकी बात दूसरों को चुभने लगे, तो बात को प्यार के मोड़ पर लाना सीखो, ताकि वातावरण की कटुता दूर हो जाए। पर साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हमें अनुचित बात पर होंठ सीकर यानी चुप भी नहीं बैठना चाहिए। कहीं, कोई, किसी प्रकार का अन्याय कर रहा हो या अत्याचार हो रहा हो तो उस समय चुप रह जाना भी अन्याय ही होगा। हमें ऐसी परिस्थिति में डटकर जोरदार शब्दों में उसका विरोध करना चाहिए।
बेबात – बिना बात
सीकर – सिलकर
जुबाँ – जीभ, मुँह
रोपना – बोना
कल्पना पल्लवन
‘वाणी की मधुरता सामने वाले का मन जीत लेती है।’ इस तथ्य पर अपने विचार लिखाे।
उत्तर: वाणी की शक्ति मनुष्य के लिए वरदान और अभिशाप दोनों है। वास्तव में मधुर वचन औषधि के समान होते हैं। जिस प्रकार एक रोगी का रोग दूर करने के लिए उसे औषधि दी जाती है, उसी प्रकार व्यक्ति कितनी ही परेशानियों से घिरा और तनावग्रस्त क्यों न हो, किसी के मधुर वचन उसकी परेशानी व तनाव दूर करने में सहायक होते हैं। मधुर वचनों में इतनी शक्ति और आकर्षण होता है कि मधुरभाषी सारे जग को अपना बना लेता है। पराए भी मित्र एवं हितैषी बन जाते हैं। वहीं कटुभाषी व्यक्ति अपने ही घर में पराया हो जाता है। मानव संसार में शब्दों का बड़ा महत्त्व होता है। अतः हमें एक एक वचन सोच-समझकर बोलना चाहिए। वास्तव में मधुर वचन जहाँ दूसरों को आनंद की अनुभूति कराते हैं, वहीं हमारे मन को भी संतुष्टि और शीतलता से भर देते हैं। मीठी वाणी सफलता की कुंजी होती है। अतः हमें सदैव मीठा और उचित बोलना चाहिए। कहा भी गया है तुलसी मीठे वचन तै, सुख उपजत चहुँ ओर, वशीकरण के मंत्र हैं, तज दे वचन कठोर।
स्वाध्याय
सूचना के अनुसार कृतियाँ करो :-
(१) प्रवाह तालिका पूर्ण करो :
उत्तर:
(२) उत्तर लिखो :
१. काँटे बोने वाले –
उत्तर: कटु वचन
२. चुभने वाली –
उत्तर: बात बेबात
३. फटने वाले –
उत्तर: पटाखे की तरह
(३) चुप रहने के चार फायदे लिखो :
उत्तर:
(१) ऊर्जा की बचत होती है।
(२) समय की बचत होती है।
(३) मनमुटाव होने की संभावना कम हो जाती है।
(४) ऊर्जा को किसी सकारात्मक कार्य में लगाया जा सकता है।
(४) कविता की अंतिम चार पंक्तियों का अर्थ लिखो।
उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि रमेश दत्त शर्मा लिखित ‘जरा प्यार से बोलना सीख लीजे ।’ कविता से ली गई है। कवि कह रहे हैं कि बिना किसी वजह से बात बेबात यदि कोई तकलीफ देने की कोशिश करे, तो इंसान को उसे मोड़ना सीख लेना चाहिए। हमें तकलीफ देने वालों को मुँहतोड़ जवाब देना सीख लेना चाहिए। अर्थात विपरीत परिस्थितियों में हमें बुद्धि व विवेक से काम करना चाहिए।
(५) कविता में आए इस अर्थ के शब्द लिखो :
उत्तर:
मधु – शहद
कड़वे – कटु
विचार – खयाल
आवश्यकता – जरूरत
भाषा बिंदु
उपसर्ग/प्रत्यय अलग करके मूल शब्द लिखो :
भारतीय, आस्थावान, व्यक्तित्व, स्नेहिल, बेबात, निरादर, प्रत्येक, सुयोग
भारत
उत्तर:
मूल शब्द – भारत
प्रत्यय – ईय
आस्थावान
उत्तर:
मूल शब्द – आस्था
प्रत्यय – वन
व्यक्तित्व
उत्तर:
मूल शब्द – व्यक्ति
प्रत्यय – त्व
स्नेहिल
उत्तर:
मूल शब्द – स्नेह
प्रत्यय – इल
बेबात
उत्तर:
मूल शब्द – बे
प्रत्यय – बात
निरादर
उत्तर:
मूल शब्द – निर्
प्रत्यय – आदर
प्रत्येक
उत्तर:
मूल शब्द – प्रति
प्रत्यय – एक
सुयोग
उत्तर:
मूल शब्द – सु
प्रत्यय – योग
उपयोजित लेखन
‘यातायात की समस्याएँ एवं उपाय’ विषय पर निबंध लिखो।
उत्तर: हमारे देश में शहरों की आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है, लेकिन शहरों की आधारभूत संरचना का विकास उस अनुपात में नहीं हुआ है, जिसकी वजह से यातायात एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है। यातायात के साधनों की भीड़ के कारण आजकल दुर्घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। आजकल शहरों से गाँवों तक सड़कों का जाल बिछा है, जिन पर वाहन दौड़ते रहते हैं। इन वाहनों की चपेट में आकर आए दिन बहुत से लोग मारे जाते हैं। वाहनों का धुआँ लोगों की साँस के साथ उनके फेफड़ों में जाता है, जिसके कारण श्वास संबंधी बीमारियाँ दिन- प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। आज मध्यम वर्गीय परिवारों में एक ही घर में कई-कई वाहनों का प्रयोग किया जाने लगा है। यदि परिवार के लोग एक ही स्थान पर जाने के | लिए एक ही वाहन का प्रयोग करें तो सड़कों पर यातायात का दबाव कम होगा तथा दुर्घटनाओं की संभावना कम हो । जाएगी। वाहनों की समय-समय पर जाँच, जल्दबाजी का त्याग, सड़क सुरक्षा संबंधी नियमों की जानकारी, उनका पालन, यातायात पुलिस की जागरूकता से यातायात की समस्या पर कुछ सीमा तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
स्वयं अध्ययन
हिंदी साप्ताहिक पत्रिकाएँ/समाचार पत्रों से प्रेरक कथाओं का संकलन करो।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।