Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Nine

पाठ ५ - अतीत के पत्र

Vinoba Bhave’s strong determination, hard work, discipline, service to the country, and his devotion and dedication towards Gandhi ji have been displayed in this lesson. Along with this, Gandhiji’s faith, paternal affection, and various human values have been described in the lesson.

अस्वादव्रत – फीका भोजन करने का व्रत

अपरिग्रह – संग्रह न करना

करघा – कपड़ा बुनने का यंत्र

रमता राम – फक्‍कड़, एक स्थान पर न टिकने वाला

वाकचातुर्य – बोलने में चतुराई

अचेतन – चेतनारहित

ब्रह्मचारी – संन्यासी

वेदांत व उपनिषद – भारतीय प्राचीन धार्मिक ग्रंथ

सत्याग्रह – सत्य का आग्रह

गोरख व मछंदर – नवनाथों में से दो नाथ। एक गोरखनाथ व दूसरे मछिंदर नाथ।

सत्यवादी – सत्य की राह पर चलने वाला

 

मुहावरे:

१. हाथ लगना

अर्थ – प्राप्त होना

वाक्य – जैसे ही मुझे अवसर हाथ लगता है, मैं अमरीका जाना चाहता हूँ।

 

२. हृदय में स्‍थान बनाना

अर्थ – किसी का प्रिय बनना 

वाक्य – अपने प्रिय दोस्त के बारे मे जानकर मेरा हृदय भर गया।

 

३. निरादर करना

अर्थ – अपमान करना

वाक्य – हमे कभी भी बड़ों का निरादर नही करना चाहिए।

श्रवणीय

‘वैष्‍णव जन तो तेणे कहिए’ यह पद सुनिए और उसके आशय पर चर्चा कीजिए :

उत्तर: 

‘वैष्‍णव जन तो तेणे कहिए’

– कवि नरसिंह मेहता

 

वैष्णव जन तो तेने कहिये

जे पीड परायी जाणे रे । 

पर दुःखे उपकार करे तो ये 

मन अभिमान न आणे रे ॥

 

सकळ लोकमां सहुने वंदे, 

निंदा न करे केनी रे । 

वाच काछ मन निश्चळ राखे, 

धन धन जननी तेनी रे ॥

 

समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी, 

परस्त्री जेने मात रे । 

जिह्वा थकी असत्य न बोले, 

परधन नव झाले हाथ रे ॥

 

मोह माया व्यापे नहि जेने,

दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे । 

रामनाम शुं ताळी रे लागी, 

सकळ तीरथ तेना तनमां रे ॥

 

वणलोभी ने कपटरहित छे, 

काम क्रोध निवार्या रे ।

भणे नरसैय तेनुं दरसन करता, 

कुळ एकोतेर तार्या रे ॥

 

अर्थ: सच्चा वैष्णव (जो ईश्वर को प्रिय है) व्यक्ति उसी को कहना चाहिए, जो दूसरों के दुख-दर्द को समझता हो। दूसरे के दु:ख को देखकर जब व्यक्ति उसकी भलाई करे, तो वह अपने मन में किसी प्रकार का अभिमान न आने दे कि उसने अमुक का भला कर दिया।

प्रायः यह देखने को आता है कि जब कोई किसी दूसरे की थोड़ी बहुत भी भलाई करता है तो वह गर्व के साथ दूसरों के सामने प्रकट करता है। अतः यहाँ कहा गया है कि ईश्वर को प्रिय व्यक्ति वही है जो दूसरों का उपकार तो करें किन्तु उसके मन में थोड़ा सा भी घमंड न आये।

जो व्यक्ति इस संसार में सभी का मान-सम्मान करे और वह किसी की भी बुराई न करे। जो व्यक्ति अपने मन, कर्म और वचन को निश्छल रखता हो तो ऐसे व्यक्ति की माता निश्चित ही धन्य है।

जो व्यक्ति सभी को समान दृष्टि से देखता हो। जो सांसारिक मोह-माया की भूख से मुक्त हो। जो व्यक्ति पराई नारी को अपनी माँ की तरह समझता हो और जिसकी जीभ कभी भी असत्य वचन न बोले। जो दूसरों की धन-दौलत को पाने की इच्छा न करे।

जिसे मोह-माया ग्रसित न कर सके। जिसके मन में दृढ़ वैराग्य के भाव हों। जो हर पल मन में राम के नाम का जाप करता हो, उसके शरीर में सारे तीर्थ विद्यमान होते हैं।

जिसने लालच, छल-कपट, काम और क्रोध पर विजय प्राप्त कर ली हो। ऐसे वैष्णव के दर्शन मात्र से ही, अपने कुल की इकहत्तर पीढ़ियाँ तर जाती हैं अर्थात उनकी रक्षा होती है।

पठनीय

गांधीजी द्‌वारा लिखित ‘मेरे सत्य के प्रयोग’ (आत्मकथा) पुस्तक का कोई अंश पढ़िए ।

उत्तर: छात्रों को इंटरनेट या पुस्तकालय की मदद से इसे स्वयं करना चाहिए।

 

संभाषणीय

किसी महान विभूति के जीवन संबंधी कोई प्रेक प्रसंग बताइए ।

उत्तर:

गांधीजी का प्रसंग: सत्य का पालन

महात्मा गांधी के बाल्य जीवन की एक घटना है। कक्षा में स्कूल इंस्पेक्टर जाँच के लिए आए। शिक्षक अंग्रेजी पढ़ा रहे थे। इंस्पेक्टर सभी छात्रों से एक-एक कर पूछते। मोहनदास से उन्होंने ‘केटल’ शब्द का हिज्जे लिखने को कहा। शिक्षक इशारा कर रहे थे, लेकिन इन्होंने कुछ भी ध्यान नहीं दिया। इन्हें शिक्षक के इंगित पर लिखना असत्य का आचरण लगा। उन्हें जो आता था वही लिख दिया, जो गलत था। इंस्पेक्टर के जाने के बाद शिक्षक ने उन्हें डाँट लगाई, लेकिन इन्हें कोई अन्तर नहीं पड़ा। इन्हें शिक्षक का झूठा व्यवहार अच्छा नहीं लगा।

 

लेखनीय

‘गांधी जयंती’ के अवसर पर आकर्षक कार्यक्रम पत्रिका तैयार कीजिए ।

उत्तर: गांधी जयंती के अवसर पर कार्यक्रम पत्रिका कुछ इस प्रकार हो सकती है:-

१. जिस स्थल पर आयोजन होना है वहां सभी लोगो का आगमन ।

२. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि का आगमन और उनका पुष्पगुच्छ देकर स्वागत करना। महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि ।

३. मुख्य अतिथि के स्वागत में स्वागत गान

४. गांधी जयंती के अवसर पर मुख्य अतिथि का संबोधन ।

५. गांधी जी से जुड़ी बातें और उनके किए कामों पर चर्चा ।

६. गांधी जी के विचारों को जन जन तक पहुंचाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन ।

७. कुछ लोगों को गांधी जी पर विचार रखने हेतु आमंत्रित करना ।

८. सभी लोगो को गांधी जी की जीवनी पर आधारित बुकलेट का वितरण ।

९. कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान से समापन ।

१०. मुख्य अतिथि की विदाई ।

मौलिक सृजन

‘मेरे सपनों का भारत’ विषयपर अपने विचार लिखिए ।

उत्तर: 

‘मेरे सपनों का भारत’

 

हमारा भारत देश एक ऐसा देश जहाँ पर हर धर्म और समुदाय के लोग रहते हैं। हमारे देश में रहने वाले लोग हर धर्म का सम्मान करते हैं और हर धर्म को पसंद करते हैं। सब लोग एक दुसरे के धर्म का सम्मान करते हैं। मेरे सपनों का भारत भी कुछ ऐसा ही होना चाहिए। 

 

लोग एक दुसरे का सम्मान करे और एक दुसरे के धर्म का सम्मान करे ऐसा ही कुछ मैं मेरे सपनों के भारत के बारे में चाह्ता हूँ । देश में कई समुदाय के लोग रहते हैं। मैं चाहता हूँ की वो सब मिलजुल कर रहे। देश में रहने वाला हर एक नागरिक देश के प्रति समर्पित होना चाहिए। 

 

मेरे देश में रहने वाला नागरिक चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या समुदाय का हो, सब के दिल में राष्ट्रवाद और राष्ट्रभावना होनी चाहिए। देश में रहने वाले सभी नागरिक एक दुसरे का सम्मान करे और देश में साम्प्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता रखें। 

 

हमारे देश का विकास भी जरुरी हैं। मैं चाहता हूँ की मेरे देश के लोग देश के विकास में सहयोग प्रदान करे और देश को आन्तरिक सुरक्षा के लिए मजबूती प्रदान करे। देश में रहने वाले हरेक नागरिक के मन में देश पेम और देश के प्रति समर्पण की भावना होनी चाहिए। 

 

वर्तमान समय में देश में लोग जाति और धर्म के नाम पर लड़ते है । उसका फायदा देश के कुछ नेता उठाते है। हम इस बात को मानते हैं की अपना धर्म सबसे पहले आता है, पर उससे पहले हमारा देश हमारे लिए सबसे पहले आता है। देश में सब समान भाव रखे। 

जय हिन्द ।

 

मैं हूँ यहाँ

1. https://hi.wikipedia.org/wiki/विनोबा_भावे

2. https://hi.wikipedia.org/wiki/महात्मा_गांधी

 

आसपास

हमारी ऐतिहासिक स्मृतियाँ जगाने वाले स्थलों की जानकारी प्राप्त कीजिए और उनपर टिप्पणी बनाइए ।

जैसे – आगाखान पैलेस, पुणे ।

उत्तर: संसार में अनेक सुंदर तथा ऐतिहासिक इमारतें हैं परंतु भारत का ताजमहल इन सबमें अनूठा है। भारत के उत्तर प्रदेश के आगरा नगर में यमुना नदी के तट पर स्थित ताजमहल अपने सौंदर्य के कारण विश्व प्रसिद्ध है। इसका सौंदय असंख्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। सन १६३१ में इसका निर्माण प्रसिद्ध कला प्रेमी मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी प्रिय बेगम मुमताज की स्मृति में बनवाया था। कहते है कि बीस हजार मजदूरों ने दिन-रात काम करके लगभग बीस वर्षो में इसे बनाया था। यह सफेद संगमरमर का बना हुआ है। इसके तीन ओर सुंदर बाग हैं। इसका प्रवेश द्वार लाल पत्थर का बना है जिस पर पवित्र कुरान की आयतें खुदी हैं। इसके चारों ओर मीनारें बनी हुईं हैं। इसके नीचे मुमताजमहल और शाहजहाँ की कब्रें हैं। पूर्णिमा की चाँदनी रात में इसकी सुंदरता दुगुनी होती है। ताजमहल प्रेम की अमर यादगार है।

पाठ के आँगन में

(१) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(क) कार्य :

स्वास्थ्य सुधार के लिए विनोबा जी द्‌वारा किए गए कार्य :

१.

२.

३.

४.

उत्तर:

१. दस-बारह मील घूमना

२. छह से आठ सेर अनाज पीसना

३. तीन सौ सूर्य नमस्कार करना

४. नमक और सभी मसाले छोड़ देना

 

(ख) उचित जोड़ियाँ मिलाइए :

१.
विद्‌यार्थी मंडल
योजना
२.
राष्ट्रीय शिक्षा
व्रत
३.
विनोबा जी का साध्य
संस्था
४.
ब्रह्मचर्य
आश्रम
सत्याग्रह

उत्तर: 

१.
विद्‌यार्थी मंडल
संस्था
२.
राष्ट्रीय शिक्षा
योजना
३.
विनोबा जी का साध्य
आश्रम
४.
ब्रह्मचर्य
व्रत

(ग) अर्थ लिखिए :

१. ‘अपरिग्रह’ शब्द से तात्‍पर्य है कि ……………..

उत्तर: संग्रह न करना ।

 

२. ‘रमता राम’ शब्द से तात्‍पर्य है कि ……………..

उत्तर: फक्कड़ – एक स्थान पर न टिकने वाला ।

 

(२) ‘स्वस्‍थ शरीर में स्वस्‍थ मन का वास होता है’ – इस पर स्‍वमत लिखिए ।

उत्तर: दुनिया में स्वास्थ्य से बढ़कर कुछ नहीं होता। शरीर यदि स्वस्थ हो तो सब कुछ अच्छा लगता है। लेकिन यदि हम थोड़ा-सा भी बीमार हों तो दुनिया बेमानी लगती है। किसी भी काम में मन नहीं लगता। इसीलिए स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन कहा गया है। तन और मन का गहरा संबंध है। एक स्वस्थ तो दूसरा भी स्वस्थ। इसीलिए कहा गया है – पहला सुख निरोगी काया। निरोगी काया के लिए न केवल तन बल्कि मन के भी स्वस्थ रहने की आवश्यकता है । स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है।

भाषा बिंदू 

अर्थ की दृष्‍टि से वाक्‍य परिवर्तित करके लिखिए :

IMG 20230228 094920 पाठ ५ – अतीत के पत्र

१. विधानार्थक वाक्य

उत्तर: सब तुमसे मिलने को उत्सुक हैं।

 

२. निषेधार्थक वाक्य

उत्तर: तुमसे मिलने के लिए कोई उत्सुक नहीं है।

 

३. प्रश्नार्थक वाक्य

उत्तर: क्या सब तुमसे मिलने को उत्सुक हैं?

 

४. विस्मयादिबोधक वाक्य

उत्तर: वाह! सब तुमसे मिलने को उत्सुक हैं।

 

५. संदेहार्थक वाक्य

उत्तर: शायद सब तुमसे मिलने को उत्सुक होंगे।

 

६. आज्ञार्थक वाक्य

उत्तर: तुम सबसे मिलो।