Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Ten

पाठ १० – बूढ़ी काकी

कहानी की प्रमुख पात्र बूढ़ी काकी है। उनके पति और बेटों की मृत्यु हो गई है। अतः उन्होंने अपनी सारी संपत्ति अपने भतीजे बुद्धिराम के नाम कर दी। संपत्ति लिखाते समय बुद्धिराम ने काकी की उचित देखभाल और भरण-पोषण करने के बड़े-बड़े वादे किए थे। लेकिन जैसे ही संपत्ति मिली वैसे ही उसमें परिवर्तन आ गया। वह और उसकी पत्नी रूपा काकी का ठीक से ख्याल नहीं रखते थे। काकी को भरपेट भोजन भी मुश्किल से मिलता था ।

 

बुद्धिराम के बड़े बेटे मुखराम का तिलकोत्सव था। तरह-तरह के व्यंजन बनाए गए थे। कचौड़ी, पूड़ियाँ, दही आदि चीजें पकाई गई थीं। काकी को इन व्यंजनों की महक रोक न सकी और वह स्वयं हाथ के बल रेंगती हुई रसोईघर में आ गई। जैसे ही रूपा ने काकी को देखा तो वह उन पर बहुत गुस्सा हुई। आखिर काकी अपनी कोठरी में चली गई। उन्होंने निश्चय किया अब वह स्वयं खाना खाने के लिए नहीं जाएगी। फिर भी उनकी जिह्वा की तृष्णा ने उन्हें एक जगह पर बैठने नहीं दिया और वे उस स्थान पर पहुँच गई; जहाँ पर सभी लोग बैठकर खाना खा रहे थे। एक व्यक्ति ने उन्हें देखा तो वह चिल्लाने लगा। जैसे ही बुद्धिराम को पता चला वे तुरंत दौड़कर आए और काकी को घसीटकर अंधेरी कोठरी में ले जाकर पटक दिया।

 

बुद्धिराम की छोटी लड़की लाड़ली काकी से अत्यंत प्रेम करती थी। वह जानती थी कि उसके माता-पिता किस तरह काकी को प्रताड़ित करते रहते हैं। उसने अपने हिस्से की पूड़ियाँ नहीं खाईं बल्कि काकी के लिए उन्हें सँभालकर रखा। रात के ग्यारह बजे घर के सब लोग सो जाने के बाद वह पूड़ियाँ लेकर काकी के पास चली जाती है और काकी को पूड़ियाँ खिलाती है। थोड़ी-सी पूड़ियाँ खाकर काकी का मन नहीं भरता। वह लाड़ली के सहारे उस स्थान पर जाती है, जिस स्थान पर सभी मेहमानों ने बैठकर खाना खाया था। वहाँ जाकर पड़ी हुई जूठी पत्तलों से जूठन निकालकर काकी खाने लगती है। उसी वक्त रूपा नींद से उठ जाती है और देखती है कि काकी जूठी पत्तलों से पूड़ियों के टुकड़े निकाल निकालकर खा रही हैं। यह दृश्य देखकर करूणा और भय से उसकी आँखें भर आती हैं। उसे इस बात का ज्ञान हो जाता है कि उसने बहुत बड़ा अधर्म किया है। वह ईश्वर से मिलने वाले दंड से डरती है। वह तुरंत रसोईघर में जाकर काकी के लिए व्यंजनों की संपूर्ण सामग्री सजाकर ले आती है और काकी से परमात्मा द्वारा अपने अपराध को क्षमा दिलाने के लिए कहती है। काकी भी सब कुछ भूलकर पूड़ियाँ खाते-खाते सदिच्छाएँ देती है। रूपा का हृदय परिवर्तन हो जाता है।

सिसकना – सिसकी भरकर रोना

कुल्‍ली – मुँह साफ करने के लिए उसमें पानी लेकर फेंकने की क्रिया

अनुराग – प्रेम, प्रीति

भगोड़ा – भागा हुआ

 

मुहावरे

गला फाड़ना – शोर करना, चिल्‍लाना

वाक्य : छोटे बच्चों को डाँटने पर वे गला फाड़ने लगते हैं।

 

कलेजे में हूक उठना – मन में वेदना उत्‍पन्न होना

वाक्य : फुटपाथ पर बेसहारा लोगों की हालत देखकर मेरे कलेजे में हूक उठने लगी।

श्रवणीय

बड़ों से कोई ऐसी कहानी सुनिए जिसके आखिरी हिस्‍से में कठिन परिस्‍थितियों से जीतने का संदेश मिल रहा हो ।

उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।

संभाषणीय

‘वृद्धाश्रम’ के बारे में जानकारी इकट्ठा करके चर्चा कीजिए ।

उत्तर: वृद्धाश्रम, जिन्हें सेवानिवृत्ति गृह या नर्सिंग होम भी कहा जाता है, आवासीय समुदायों के रूप में उन बुजुर्ग व्यक्तियों की जरूरतों को पूरा करते हैं जिन्हें दैनिक कार्यों में सहायता की आवश्यकता होती है या स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकते हैं। ये सुविधाएं आवास, भोजन, चिकित्सा सहायता और सामाजिक गतिविधियों सहित विभिन्न स्तरों की देखभाल प्रदान करती हैं। हालाँकि वे आवश्यक देखभाल प्रदान कर सकते हैं, लेकिन संभावित नकारात्मक पहलू भी हैं, जैसे निवासियों के बीच अकेलेपन और अलगाव की भावनाएँ, देखभाल के अलग-अलग मानक और उच्च लागत। कुछ वरिष्ठ नागरिकों को इन घरों द्वारा प्रदान किए गए समुदाय और सहयोग की भावना से सांत्वना मिल सकती है। हालाँकि, स्वतंत्र जीवन को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ वृद्धाश्रम में रहने के विकल्प को संतुलित करना और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जब भी संभव हो, वरिष्ठ नागरिकों के पास अपने घरों में शान से रहने के लिए संसाधन और सहायता हो।

लेखनीय

‘भारतीय कुटुंब व्यवस्था’ पर भाषण के मुद्दे लिखिए ।

उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।

पठनीय

‘चलती-फिरती पाठशाला’ उपक्रम के बारे में जानकारी इकट्‍ठा करके पढ़िए और सुनाइए।

उत्तर: ‘चलती-फिरती पाठशाला’ शैक्षिक पहल हैं जिनका उद्देश्य शिक्षा को सीधे उनके दरवाजे तक पहुंचाकर हाशिए पर या वंचित समुदायों को सीखने के अवसर प्रदान करना है। ये स्कूल अक्सर औपचारिक शिक्षा तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में संचालित होते हैं, उन बच्चों की देखभाल के लिए जिन्हें पारंपरिक स्कूलों में जाने में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। वे आम तौर पर कक्षा का माहौल बनाने, बुनियादी शिक्षा और कभी-कभी स्वास्थ्य देखभाल और पोषण जैसी अतिरिक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए विशेष रूप से सुसज्जित वाहनों या चल संरचनाओं का उपयोग करते हैं। मोबाइल स्कूल शैक्षिक असमानताओं को दूर करने और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि दूरदराज या वंचित क्षेत्रों के बच्चों को आवश्यक ज्ञान और कौशल तक पहुंच हो।

स्‍वाध्याय

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(१)

IMG 20231101 180053 पाठ १० – बूढ़ी काकी

उत्तर: 

IMG 20231102 101349 पाठ १० – बूढ़ी काकी

(२) कृति पूर्ण कीजिए :

IMG 20231101 180112 पाठ १० – बूढ़ी काकी

उत्तर: 

IMG 20231102 101357 पाठ १० – बूढ़ी काकी

(३) बुद्‌धिराम का काकी के प्रति दुर्व्यवहार दर्शाने वाली चार बातें :

१) ______

२) ______

३) ______

४) ______

उत्तर: 

१) रूप का भय।

२) बूढ़ी काकी का कोठरी में शोकमय होकर बैठना।

३) काकी को अँधेरी कोठरी में पटकना ।

४) काकी के साथ अन्याय व तिरस्कारपूर्ण व्यवहार करना ।

(४) कारण लिखिए :

१. बूढ़ी काकी ने भतीजे के नाम सारी संपत्‍ति लिख दी.

उत्तर: क्योंकि भतीजे बुद्धिराम के सिवाय बूढ़ी काकी का कोई नहीं था।

 

२. लाड़ली ने पूड़ियाँ छिपाकर रखी

उत्तर: क्योंकि वह उन पूड़ियों को काकी के पास लेकर जाना चाहती थीं। 

 

३. बुद्‌धिराम ने काकी को अँधेरी कोठरी में धम से पटक दिया

उत्तर: बूढ़ी काकी के मेहमान मंडली में जाकर बैठने से क्रोधित होकर बुद्धिराम ने काकी को अंधेरी कोठरी में धम से पटक दिया।

 

४. अंग्रेजी पढ़े नवयुवक उदासीन थे

उत्तर: क्योंकि उन्हें गँवार मंडली में बोलना अथवा सम्मिलित होना अपनी प्रतिष्ठा के प्रतिकूल लगता था।

(५) सूचना के अनुसार शब्‍द में परिवर्तन कीजिए :

IMG 20231101 180133 पाठ १० – बूढ़ी काकी

उत्तर:

IMG 20231102 101408 पाठ १० – बूढ़ी काकी

अभिव्यक्ति

‘बुजुर्ग आदर-सम्‍मान के पात्र होते हैं, दया के नहीं ’ इस सुवचन पर अपने विचार लिखिए ।

उत्तर: बुजुर्ग समाज के लिए सांस्कृतिक विरासत की तरह होते हैं। हमें उनका आदर सम्मान करना चाहिए। वे हमारे संरक्षक एवं मार्गदर्शक होते हैं। वे हमारे घर की धरोहर होते हैं। वे हमारे सच्चे पथ-प्रदर्शक होते हैं। उनकी बातों को सुनना चाहिए। बुजुर्गों की सौख हमारा भाग्य बदल सकती है। जब हम मुसीबत में फँस जाते हैं तब उससे बाहर निकलने के लिए वे ही हमारी मदद कर सकते हैं क्योंकि उनके पास जीवन का गहरा अनुभव होता है। हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम अपने घर के बुजुर्ग की सेवा करें। उनसे प्यार करें। उनका आदर सम्मान करें। वे बुजुर्ग हो गए हैं। इसलिए हमें उन्हें सँभालना है नहीं तो दुनिया हम पर हँसेगी; ऐसा सोचना उन पर दया दिखाने जैसा ही है। हमें अपने मन से इस प्रकार के विचारों को त्याग कर निष्ठा एवं अपनत्व की भावना से उनका ख्याल रखना चाहिए। हमारा कर्त्तव्य है कि हम उन्हें भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करें।

भाषा बिंदु

(१) निम्‍नलिखित क्रियाओं के प्रथम तथा द्‌वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए :

IMG 20231101 180148 पाठ १० – बूढ़ी काकी

उत्तर: 

IMG 20231102 101455 पाठ १० – बूढ़ी काकी

(२) पठित पाठों से किन्हीं दस मूल क्रियाओं का चयन करके उनके प्रथम तथा द्‌वितीय प्रेरणार्थक रूप निम्‍न तालिका में लिखिए :

IMG 20231101 180212 पाठ १० – बूढ़ी काकी

उत्तर:

IMG 20231102 101430 पाठ १० – बूढ़ी काकी

उपयोजित लेखन

‘मेरा प्रिय वैज्ञानिक’ विषय पर निबंध लेखन कीजिए ।

उत्तर: 

“भारत माँ का अमर सपूत, 

माँ का मान बढ़ाने आया । 

परमाणु के शांतिपूर्ण उपयोग में, 

अपना हाथ बढ़ाने आया।”

 

हमारे देश में कई महान वैज्ञानिकों ने जन्म लिया। जिन्होंने अपने कार्य से भारत देश को उन्नति के शिखर तक पहुँचाया। मैं जिनके कार्यों से अत्यंत प्रभावित हूँ, वे हैं – डॉ. होमी जहाँगीर भाभा । ये मेरे प्रिय वैज्ञानिक हैं।

 

जब पूरा विश्व सभी क्षेत्रो में प्रगति कर रहा था, परमाणु- ऊर्जा जब एक चर्चा का विषय था, उस समय भारत इस क्षेत्र में कहीं भी नहीं था। लेकिन तभी भारत माता के इस अमर सपूत ने अपने परमाणु उर्जा के ज्ञान की चकाचौंध से दुनिया को चकित कर दिया। आज भारत ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में जो कुछ किया, हमारे देश में जितने भी परमाणु शक्ति स्टेशन हैं, वहा डॉ. भाभा के सफल प्रयासों की वजह से हैं। हमारे देश में परमाणु ऊर्जा कार्य की शुरुआत १९४५ में डॉ. भाभा ने ही की थी। वे ही ‘भारतीय परमाणु ऊर्जा कमिशन’ के प्रथ सभापति थे। डॉ. भाभा का जन्म ३० अक्टूबर, १९०९ को मुंबई में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा भी मुंबई में हुई। स्नातक होने के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए।

 

अपनी पढ़ाई के दौरान उन्हें बहुत से वजीफे और मैडल प्राप्त हुए। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उन्होंने फर्मी और पौली जैसे वैज्ञानिकों के साथ काम किया। १९३७ में भाभा ने कॉस्मिक किरणों के क्षेत्र में वॉल्टर हिटलर के साथ काम किया। अपने इस कार्य के लिए उन्हें बहुत प्रसिद्धि मिली। १९४० में वे भारत लौट आए। १९४५ में डॉ. भाभा ने टाटा अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। एक कुशल वैज्ञानिक होने के साथ डॉ. भाभा एक कुशल शासक भी थे। उनके कुशल नेतृत्व में भारतीय वैज्ञानिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति करने लगे। उनके इन्हीं प्रयत्नों के फलस्वरूप, १९४५ में एशिया का पहला परमाणु रिएक्टर मुंबई के निकट ट्रॉम्बे में स्थापित किया गया।

 

१९५५ में जेनेवा में हुए संयुक्त राष्ट्र की परमाणु के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए हुई सभा का प्रतिनिधित्व भी डॉ. भाभा ने किया। डॉ. भाभा ही पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने परमाणु बम पर रोक लगाने की पहल की थी। डॉ. भाभा अपनी योग्यता के बल पर ही पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू और दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादूर शास्त्री के वैज्ञानिक सलाहकार थे । डॉ. भाभा के संरक्षण में पहला परमाणु शक्ति स्टेशन तारापुर नगर में बनाया गया। १८ मई, १९६४ को भारत का पहला न्युक्लियर संयंत्र पोखरन (राजस्थान) में डॉ. भाभा के अनुसंधान कार्य के फलस्वरूप स्थापित किया गया।

 

कुल मिलाकर डॉ. भाभा की वैज्ञानिक सफलताएँ गिनी नहीं जा सकती। ये महान वैज्ञानिक २५ जनवरी १९६६ में एक वायु दुर्घटना की वजह से स्वर्गवासी हो गए। डॉ. भाभा के सम्मान में ट्रॉम्बे में स्थित परमाणु ऊर्जा संस्थान का नाम ‘भाभा परमाणु अनुसंधान कर दिया गया। डॉ. भाभा एक अच्चे कलाकार भी थे। उन्हें साहित्य और कला में विशेष रुचि थी। उनका जीवन अत्यंत सीधा और सरल था। वे एक अच्छे वक्ता और मधुरभाषी थे। अपने इन महान उपलब्धियों और गुणों की वजह से न सिर्फ वे भारत के बल्कि पूरी दुनिया के चहेते थे। इस महान वैज्ञानिक की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है।

 

“विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे वह, 

नाम था होमी जहाँगीर भाभा । 

अपने ज्ञान के बल पर जिसने, 

जीत लिया था दिल दुनिया का ।”