पाठ ९ – जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
प्रस्तुत पाठ में लेखक विश्वनाथ तिवारी जी ने अमृतलाल नागर जी का साक्षात्कार लिया है। लेखक ने अमृतलाल जी से स्वतंत्रता के पूर्व साहित्यिक माहौल कैसा था, यह जानने की कोशिश की है। इस साक्षात्कार के माध्यम से हमें पता चलता है कि अमृतलाल नागर जी को बचपन से ही पढ़ने लिखने का शौक था। बंकिमचंद्र से लेकर प्रेमचंद तक के साहित्य का उन्होंने वाचन किया था। अमृतलाल जी सामाजिक आंदोलनों में हिस्सा लेते थे। महात्मा गांधी जी के व्यक्तित्व का भी उनके विचारों पर प्रभाव पड़ा था। अपने उपन्यासों के लिए सामग्री इकट्ठा करने के लिए वे फील्डवर्क भी करते थे और सफाई कर्मियों की बस्तियों में भी जाते थे। उनका मानना है कि मन और प्राण दोनों अलग-अलग होते हैं। मन एक ऐसा निर्मल जल है जिसको जीवन के संस्कार रंगते हैं। मन प्राण से ही सधता है। अपनी पत्नी की मृत्यु के पश्चात वे जीवन से निराश हो गए थे फिर भी लिखने की उम्मीद ने उन्हें स्वस्थ बनाए रखा। इसलिए वे कहते हैं कि जब तक जिंदा रहूँ; तब तक लिखता ही रहूँ।
बहिष्कार करना – त्याग करना, निकाल देना
शैली – प्रणाली, रीति, तरीका
भ्रमण – घूमना, फिरना
संकलन – संग्रह
श्रवणीय
किसी बुजुर्ग से स्वतंत्रतापूर्व भारत की विस्तृत जानकारी सुनिए और मित्रों को सुनाइए ।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
लेखनीय
किसी खिलाड़ी का साक्षात्कार लेने हेतु प्रश्नों की सूची बनाइए ।
उत्तर:
(१) आपका पूरा नाम बताइए।
(२) आपने कब से खेल में रुचि लेना आरंभ कर दिया था ?
(३) आप खेलने के लिए कैसे समय निकालते थे ?
(४) आप प्रतिदिन कितने घंटे तक खेल का अभ्यास करते थे ?
(५) आपके प्रशिक्षक कौन थे ?
(६) आपके प्रशिक्षक ने आपका किस प्रकार मार्गदर्शन किया ?
(७) खेल से संबंधित किसी अविस्मरणीय घटना के बारे में बताइए ।
(८) आप वर्तमान पीढ़ी को क्या संदेश देना चाहते हैं?
पठनीय
प्रसिद्ध व्यक्तियों के भाषण पढ़िए और चर्चा कीजिए।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
संभाषणीय
‘आज के समय में पत्र लेखन की सार्थकता’ पर अपने विचार व्यक्त कीजिए ।
उत्तर: विज्ञान व तकनीकी के इस युग में संचार माध्यमों का इतना प्रचार-प्रसार हो गया है कि आज लोग अपने सगे-संबंधियों को पत्र लिखना ही भूल गए हैं। आज लोग इंटरनेट ई-मेल, वॉट्स- एप आदि के माध्यम से शीघ्र संदेश भेज रहे हैं। इसलिए आज ‘डाकिया डाक लाया…. ‘और उसका इंतजार करने के दिन नदारद हो गए हैं। चाहे कुछ भी हो, पत्र लेखन साहित्य की एक प्रमुख विधा मानी जाती है। आज हमने भले कितनी ही प्रगति क्यों न कर ली हों, फिर भी हम पत्र लेखन की महत्ता को अस्वीकार नहीं कर सकते। आज भी कई लोग एक-दूसरे को पत्र लिखते हैं। पत्र के जरिए व्यक्ति अपने मन की भावनाओं को जितना अधिक अभिव्यक्त कर सकता है, उतना अन्य साधनों से नहीं कर सकता। पत्र लेखन वह कला है, जिससे हमें विश्व के इतिहास एवं पुरानी घटनाओं के बारे में पता चला है। आज भी पत्र मानव समाज के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
स्वाध्याय
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
(१) कृति पूर्ण कीजिए :
उत्तर:
(२) उत्तर लिखिए :
१. नागर जी की पहली कविता को प्रस्फुटित करने वाला अनुभव
उत्तर: १९२८-१९२९ में साइमन कमीशन के बहिष्कार के समय का लाठीचार्ज।
२. नागर जी अपने पिता जी के इस गुण से प्रभावित थे
उत्तर: दूसरों के दुख-दर्द में तुरंत पहुँचना।
(३) कोष्ठक में दी गई नागर जी की साहित्य कृतियों का वर्गीकरण कीजिए :
[कब लौं कहौं लाठी खाय, खंजन नयन, अपशकुन, नाच्यो बहुत गोपाल, महाकाल, प्रायश्चित, गदर के फूल]
उत्तर:
(४) कृति पूर्ण कीजिए :
उत्तर:
(५) लिखिए :
उत्तर:
उत्तर:
(६) एक शब्द में उत्तर लिखिए :
१. नागर जी के प्रिय लेखक –
उत्तर: जयशंकर प्रसाद
२. नागर जी के प्रिय आलोचक –
उत्तर: रामिवलास शर्मा
३. अपनी इस रचना के लिए नागर जी को बहुत लोगों से मिलना पड़ा –
उत्तर: गदर के फूल
४. नागर जी का पहला उपन्यास –
उत्तर: महाकाल
(७) लिखिए :
(अ) तद्धित शब्दों का मूल शब्द :
१. साहित्यिक –
उत्तर: साहित्य
२. विलायती –
उत्तर: विलायत
(ब) कृदंत शब्दों का मूल शब्द :
१. खिंचाव –
उत्तर: खींच + आव
२. लिखावट –
उत्तर: लिख + आवट
(८) उचित जोड़ियाँ मिलाइए :
उत्तर:
(१) देसी और विलायती – प्रभात कुमार मुखोपाध्याय
(२) अपशकुन – अमृतलाल नागर
(३) आनंद मठ – बंकिमचंद्र चटर्जी
(४) रामचरित मानस – तुलसीदास
अभिव्यक्ति
‘ज्ञान तथा आनंद प्राप्ति का साधन : वाचन’ पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर: जिस प्रकार व्यक्ति के शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मस्तिष्क के लिए वाचन अत्यंत आवश्यक है। वाचन के द्वारा हम अपने जीवन के दुःख को भूलकर पठन-पाठन का आनंद प्राप्त करते हैं। समाचारपत्रों, पत्र- पत्रिकाओं के माध्यम से हमें विविध जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। विश्व के विविध भागों में घटित होनेवाली घटनाओं का ज्ञान प्राप्त होता हैं। इसके अतिरिक्त वाचन शिक्षा प्राप्ति में भी सहायक है। पाठ्यपुस्तक पढ़ने से ज्ञानप्राप्ति होती हैं तथा संदर्भ ग्रंथ पढ़ने से ज्ञान की पिपासा शांत होती है। वाचन के माध्यम से ही व्यक्ति अपनी बातों को स्पष्ट रूप से कहकर उनका प्रतिपादन करता है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि वाचन ज्ञान तथा आनंद प्राप्ति का उत्तम साधन है।
भाषा बिंदु
(१) निम्न वाक्यों में आई हुईं मुख्य और सहायक क्रियाओं को रेखांकित करके दी हुई तालिका में लिखिए :
- उनके रीति-रिवाजों का अध्ययन करना पड़ा ।
- माता-पिता का यह रंग देखकर तो वे बूढ़ी काकी को और सताने लगे ।
- उसकी ननद रूठ गई ।
- वे हड़बड़ा उठे ।
- वे पुस्तक पकड़े न रख सके ।
- उन्होंने पुस्तक लौटा दी ।
- समुद्र स्याह और भयावह दीखने लगा ।
- मैं गोवा को पूरी तरह नहीं समझ पाया ।
- काकी घटनास्थल पर आ पहुँची ।
- अवश्य ही लोग खा-पीकर चले गए ।
उत्तर:
(२) पाठों में प्रयुक्त सहायक क्रियाओं वाले दस वाक्य ढूँढ़कर मुख्य और सहायक क्रियाएँ चुनकर लिखिए ।
उत्तर:
१. मैं आपको आपके लेखन के आरंभ काल की ओर ले चलना चाहता हूँ।
मुख्य क्रिया : चलना
सहाय्यक क्रिया : चाहता हूँ
२. आरंभ में कवियों को ही अधिक पढ़ता था।
मुख्य क्रिया : पढ़ना
सहाय्यक क्रिया : था
३. उपन्यासों में बंकिम के उपन्यास १९३० में ही पढ़ डाले।
मुख्य क्रिया : पढ़ना
सहाय्यक क्रिया : डाले
४. बंगाल से लौटकर इसे लिखा था।
मुख्य क्रिया : लिखना
सहाय्यक क्रिया : था
५. १९२१ से आंदोलन तेज हो गए थे।
मुख्य क्रिया : होना
सहाय्यक क्रिया : थे
६. अंधों के चमत्कार हमने बहुत देखे हैं।
मुख्य क्रिया : देखना
सहाय्यक क्रिया : है
७. सूरपंचशती के अवसर पर काफी विवाद चला था।
मुख्य क्रिया : चलना
सहाय्यक क्रिया : था
८. सूर में आपने मन को ही पकड़ा है।
मुख्य क्रिया : पकड़ना
सहाय्यक क्रिया : है
९. जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ।
मुख्य क्रिया : लिखना
सहाय्यक क्रिया : रहूँ।
१०. प्राण को मन से अलग करना पड़ेगा।
मुख्य क्रिया : करना
सहाय्यक क्रिया : पड़ेगा
(३) निम्नलिखित वाक्यों के रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित कारक चिह्नों से कीजिए तथा संबंधित कारक और कारक चिह्न तालिका में वाक्य के सामने लिखिए ।
उत्तर:
(४) पाठ में प्रयुक्त विभिन्न कारकों का एक-एक वाक्य छाँटकर उनसे कारक और कारक चिहन चुनकर लिखिए ।
उत्तर:
१. मैंने पढ़ना शुरू किया था ।
कारक : कर्ता कारक
कारक चिन्ह : ने
२. मैं आरंभ में कवियों को अधिक पढ़ता था।
कारक : कर्म कारक
कारक चिन्ह : को
३. उसी से पिता ने डांटा और रोका।
कारक : करण कारक
कारक चिन्ह : से
४. इसके लिए घूमना बहुत पड़ा।
कारक : संप्रदान कारक
कारक चिन्ह : के लिए
५. पंडित जी जब जेल से छूटे तब मेरी उनसे भेंट हुई।
कारक : अपादान कारक
कारक चिन्ह : से
६. इसे लेखन का आरंभ मानिए।
कारक : संबंध कारक
कारक चिन्ह : का
७. नेहरू जी जेल में थे।
कारक : अधिकरण कारक
कारक चिन्ह : में
८. अरे ! जब तक जिंदा रहूँ, | तब तक लिखता रहूँगा।
कारक : संबोधन कारक
कारक चिन्ह : अरे !
उपयोजित लेखन
(१) निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर इसपर आधारित ऐसे पाँच प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हों :
विख्यात गणितज्ञ सी.वी. रमण ने छात्रावस्था में ही विज्ञान के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का सिक्का देश में ही नहीं विदेशों में भी जमा लिया था।
रमन का एक साथी छात्र ध्वनि के संबंध में कुछ प्रयोग कर रहा था । उसे कुछ कठिनाइयाँ प्रतीत हुईं, संदेह हुए । वह अपने अध्यापक जोन्स साहब के पास गया परंतु वह भी उसका संदेह निवारण न कर सके । रमण को पता चला तो उन्होंने उस समस्या का अध्ययन-मनन किया और इस संबंध में उस समय के प्रसिद्ध लॉर्ड रेले के निबंध पढ़े और उस समस्या का एक नया ही हल खोज निकाला । यहहल पहले हल से सरल और अच्छा था। लाॅर्ड रेले को इस बात का पता चला तो उन्होंने रमण की प्रतिभा की भूरि-भूरि प्रशंसा की । अध्यापक जोन्स भी प्रसन्न हुए और उन्होंने रमण से इस प्रयोग के संबंध में लेख लिखने को कहा । रमण ने लेख लिखकर श्री जोन्स को दिया, पर जोन्स उसे जल्दी लौटा न सके । कारण संभवत: यह था कि वह उसे पूरी तरह आत्मसात न कर सके ।
प्रश्न :
१. _____
२. _____
३. _____
४. _____
५. _____
उत्तर:
(१) श्री. सी. वी. रामन ने कौन-से क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का सिक्का देश-विदेश में जमा लिया था?
(२) ध्वनि के संबंध में कुछ प्रयोग कौन कर रहा था?
(३) रामन का साथी अपनी कठिनाइयाँ लेकर किसके पास गया?
(४) रामन का साथी जोन्स साहब के पास क्यों गया?
(५) रामन की प्रतिभा की भूरि-भूरि प्रशंसा किसने की?
(२) ‘अंतरजाल’ से ‘मेक इन इंडिया’ योजना संबंधी जानकारी प्राप्त करके इसे बढ़ावा देने हेतुविज्ञापन तैयार कीजिए :-
मुद्दे :
उत्तर: