स्वयं अध्ययन - २
चित्रवाचन करके अपने शब्दों में कहानी लिखो और उचित शीर्षक बताओ :
उत्तर:
जान बची तो लाखों पाए।
एक चित्रकार था। उसे प्राकृतिक दृश्यों को कागज पर उतारना बहुत अच्छा लगता था। दूर-दूर जंगलों में, पहाड़ियों में, नदी किनारे जाकर वह चित्र बनाता। उसके हाथ में ऐसी कला थी कि उसकी पेंटिंग उसे मालामाल कर देती थी।
एक बार वह नदी किनारे एक जंगल में चित्र बना रहा था। चित्र अभी बन ही रहा था कि वहाँ शायद पानी पीने एक शेर आ गया। पानी पीकर वह चित्रकार को देख रहा था तब चित्रकार ने उसे पूछा, “मैं तुम्हारी तस्वीर उतारूं ?” पता नहीं शेर को भी क्या सूझी ? वह बड़े शौक से अपनी तस्वीर बनवाने चित्रकार के सामने बैठ गया।
चित्रकार दुनिया से बेखबर चित्र बनाने में मग्न था। अचानक शेर गुर्राया और वहाँ से भागकर पहाड़ों पर चढ़ गया। चित्रकार समझ ही न पाया कि शेर ने ऐसा क्यों किया। अभी वह उसी उधेड़बुन में था कि अचानक नदी में बाढ़ आ गई। उसे अपनी तस्वीरे समेटने को भी समय न मिला, चारों ओर पानी ही पानी हो गया।
उस पानी में उसे एक नाव दिखाई दी तब उसकी जान में जान आई। वह उस नाव में सवार हो गया। शेर को शायद बाढ़ आने का संकेत पहले से मिल गया था इसीलिए भागकर जान बचाने पहाड़ पर चढ़ बैठा था। चित्रकार को बाढ़ आने के बाद भाग-दौड़ करनी पड़ी तब कहीं वह अपनी जान बचा पाया।
सीख : तात्पर्य यहाँ कि मनुष्य हो या पशु सबको अपनी जान प्रिय होती है।