पाठ ३ – दो लघुकथाऍं
नए शब्द
फरियाद – याचना, प्रार्थना
किस्सा – कहानी
हू-ब-हू – जैसे-का-वैसा
मेहनताना – पारिश्रमिक
कहावत
दूध का दूध, पानी का पानी करना – सही न्याय करना।
वाक्य : राजा सिकंदर ऐसा था कि दूध का दूध और पानी का पानी कर देता था।
मुहावरे
सिर आँखों पर रखना – स्वीकार करना
वाक्य : गाँव के सभी लोग गाँव के सरपंच को सिर आँखों पर बिठाकर रखते हैं।
मात देना – पराजित करना
वाक्य : आपने तो कठोर हृदयता में अपने भाई को भी मात कर दिया है |
मुँह लटकाना – उदास होना
वाक्य : पिता जी के डाँटने पर सीमा मुँह लटकाकर बैठ गई।
सुनो तो जरा
‘चतुराई’ संबंधी कोई सुनी हुई कहानी सुनाओ ।
उत्तर: सम्राट अकबर के शाही दरबार में, बीरबल, जो अपनी त्वरित बुद्धि और बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाते थे, अक्सर सबसे चतुर विरोधियों को भी मात दे देते थे। एक दिन, बीरबल के उपकार से ईर्ष्यालु दरबारियों ने एक योजना बनाई। उन्होंने सम्राट को दो कटोरे भेंट किये, एक में मक्खी और दूसरे में चीनी। चुनौती: यह पहचानें कि किस कटोरे ने सामग्री को परेशान किए बिना मक्खी को पकड़ रखा है। दुविधा पर विचार करते हुए, अकबर ने सलाह के लिए बीरबल को बुलाया। बीरबल ने स्थिति को देखते हुए एक नौकर को बुलाया और फुसफुसाकर निर्देश दिया। नौकर तेजी से कटोरे के पास आया और ताली बजाई। आवाज से परेशान होकर मक्खी उड़ गई। बीरबल ने तब खाली कटोरे की ओर इशारा किया, जिससे मक्खी की अनुपस्थिति का पता चला। आश्चर्यचकित होकर, अकबर ने दरबारियों की साजिश को विफल करते हुए बीरबल की चतुराई की प्रशंसा की। बीरबल की कहानी दूर-दूर तक फैल गई, जिसमें पाशविक बल के स्थान पर चतुराई के महत्व के साथ-साथ समस्या-समाधान में सावधानीपूर्वक अवलोकन की शक्ति पर जोर दिया गया। एक चतुर और बुद्धिमान परामर्शदाता के रूप में उनकी विरासत कायम है और उन्होंने यह कालातीत पाठ पढ़ाया है कि बुद्धि और संसाधनशीलता सबसे जटिल चुनौतियों पर भी विजय पा सकती है।
खोजबीन
अंतरजाल से पारंपरिक चित्र शैली के प्रकार खोजो और लिखोः जैसे-वारली, मधुबनी आदि ।
उत्तर:
विचार मंथन
।। सत्यमेव जयते ।।
अध्ययन कौशल
किसी नियत विषय पर भाषण देने हेतु टिप्पणी बनाओ:
उत्तर:
प्रस्तावना –
श्रोताओं को संबोधित करते हुए विषय निवेदन करना चाहिए जैसे – कि सम्माननीय अध्यक्ष, प्रमुख अतिथि गण, शिक्षक वृंद और मेरे प्रिय साथियों आज आपके सामने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने विचार प्रकट करना चाहता हूँ।
विषय प्रवेश –
आजादी का महत्त्व, अंग्रेजों से मुक्ति मिली. परंतु देश की अन्य समस्याएँ, भ्रष्टाचार, गरीबी, भेदभाव आदि से निजात पाने के उपाय।
उद्धरण, सुवचन –
‘तन समर्पित मन समर्पित
रक्त का कण कण समर्पित
चाहता हूँ राष्ट्र की धरती
तुझे कुछ और भी हूँ।’
‘जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है।’
स्वमत –
भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए हम सबको वचनबद्ध होना है। वतन को नई ऊँचाई पर पहुंचाने के लिए मिलकर प्रयास करने की ज़रूरत है।
बताओ तो सही
अकबर के नौ रत्नों के बारे में बताओ:
उत्तर: “नौ रत्न” भारत में १६ वीं शताब्दी के दौरान मुगल सम्राट अकबर के दरबार में नौ असाधारण सलाहकारों और बुद्धिजीवियों के एक समूह को संदर्भित करता था। इस शब्द का प्रयोग इन व्यक्तियों की प्रतिभा और विविध प्रतिभाओं को उजागर करने के लिए किया जाता है जिन्होंने अकबर के शासनकाल में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनमें से थे:
१) बीरबल: अपनी बुद्धि और बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाने वाले, वह अकबर के करीबी सलाहकार थे और अपनी समस्या-समाधान क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध थे। २) तानसेन: एक प्रसिद्ध संगीतकार और भारतीय इतिहास में सबसे सम्मानित शास्त्रीय गायकों और संगीतकारों में से एक।
३) अबुल फज़ल: एक कुशल इतिहासकार और इतिहासकार जिन्होंने अकबरनामा लिखा, जो अकबर के शासनकाल का एक विस्तृत रिकॉर्ड है।
४) राजा टोडर मल: एक प्रतिभाशाली प्रशासक, अर्थशास्त्री और मुगल राजस्व प्रणाली के वास्तुकारों में से एक।
५) अब्दुल रहीम खान-ए-खाना: एक सम्मानित कवि और प्रारंभिक आधुनिक हिंदुस्तानी साहित्य की प्रमुख हस्तियों में से एक।
६) फकीर अज़ियाओ-दीन: अपने आध्यात्मिक ज्ञान और दार्शनिक अंतर्दृष्टि के लिए जाने जाते हैं।
७) मुल्ला दो पियाज़ा: अपनी त्वरित बुद्धि और हास्य के लिए प्रसिद्ध, अक्सर अदालत में तनावपूर्ण स्थितियों को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
८) फ़ैज़ी: अकबर का भाई और एक कवि जिसका कविता और साहित्य में सम्राट की रुचि पर महत्वपूर्ण प्रभाव था।
९) मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूँनी: एक इतिहासकार और विद्वान जो उस समय की राजनीतिक घटनाओं पर अपने आलोचनात्मक विचारों और लेखन के लिए जाने जाते थे।
प्रशासन, साहित्य, संगीत और कूटनीति के क्षेत्रों में उनके सामूहिक योगदान ने मुगल काल के दौरान भारत के सांस्कृतिक और बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी।
वाचन जगत से
पसंदीदा चित्रकथा पढ़ो और इसी प्रकार अन्य चित्रकथा बनाकर सुनाओ ।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
सदैव ध्यान में रखो
निर्णय से पहले पक्ष-विपक्ष दोनों का विचार करना चाहिए ।
१. सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखो:
(क) जब बादशाह ने बीरबल की दूसरी शर्त सुनी तो वे बीरबल ____।
१. से खुश हो गए ।
२. का मुँह देखने लगे ।
३. की होशियारी जान चुके ।
उत्तर: विकल्प २ – का मुँह देखने लगे ।
(ख) क्रोधित होकर उस चित्रकार ने सेठ से ____।
१. पैसे माँगे ।
२. पूरे पैसे माँगे ।
३. सभी चित्रों के पैसे माँगे ।
उत्तर: विकल्प ३ – सभी चित्रों के पैसे माँगे ।
२. चित्रकार की परेशानी का कारण बताओ ।
उत्तर: एक कंजूस सेठ ने चित्रकार से अपना चित्र बनवाया। जब चित्रकार ने पैसे माँगे तो सेठ ने उसे कहा कि चित्र ठीक नहीं है, उसे दोबारा बनाकर लाए। चित्रकार ने कई बार सेठ के चित्र बनाए लेकिन कंजूस सेठ हर बार कह देता कि चित्र ठीक नहीं है क्रोधित होकर चित्रकार ने सभी चित्रों के पैसों का तगादा किया तब सेठ ने पैसे देने से साफ मना कर दिया। अपना मेहनताना न मिलने के कारण चित्रकार परेशान हो उठा।
३. ‘हरे घोड़े’ के संदर्भ में बीरबल की चतुराई का वर्णन करो ।
उत्तर: बादशाह अकबर ने बीरबल की बुद्धिमानी की परीक्षा लेने के लिए बीरबल को हरे घोड़े का प्रबंध करने का आदेश दिया था। दोनों अच्छी तरह जानते थे कि संसार में हरा घोड़ा नहीं होता परंतु बीरबल ने बादशाह से हरे घोड़े के मिल जाने की बात कही और दो शर्तें रखी। पहली शर्त यह थी कि घोड़ा लेने बादशाह को स्वयं ही जाना होगा और दूसरी शर्त रखी कि घोड़े का रंग दूसरे घोड़े से अलग है, तो घोड़े को देखने का दिन भी अलग यानि सप्ताह के सात दिनों के अलावा होना चाहिए। ‘हरे घोड़े’ के प्रबंध की बात इस तरह बीरबल ने बड़ी चतुराई से टाल दी।
४. घोड़े के मालिक की शर्तें लिखो ।
उत्तर: घोड़े के मालिक की पहली शर्त यह है कि बादशाह को घोड़ा लेने वहाँ स्वयं ही जाना पडेगा और दूसरी शर्त यह है कि जब घोड़े का रंग दूसरे घोड़ों से अलग है तो घोड़े को देखने का दिन भी अलग होना चाहिए। यानि सप्ताह के सात दिन के अलावा किसी भी दिन बादशाह घोड़ा देख सकते है।
भाषा की ओर
निम्नलिखित वाक्य पढ़ो तथा मोटे और ⬭ में छपे शब्दों पर ध्यान दो :
उपर्युक्त वाक्यों में चुपचाप, अभी, आज, यहाँ, धीरे-धीरे ये शब्द क्रमशः प्रवेश करना, सोना, जाना, बसना, चलना इन क्रियाओं की विशेषता बताते हैं । ये शब्द क्रियाविशेषण अव्यय हैं ।
उपर्युक्त वाक्यों में की ओर, के लिए, के बाद, की भाँति, के साथ ये क्रमशः नागपुर और रायगढ़, ताकत और संतुलित आहार, जन्म और मामी जी, जलाशय और चाँदी, बड़ी बहन और विद्यालय इनके बीच संबंध दर्शाते हैं । ये शब्द संबंधबोधक अव्यय हैं ।