Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Nine

पाठ ११ – निर्माणों के पावन युग में

कवि कहते हैं कि आज का युग निर्माण का पावन युग है। जीवन के हर एक क्षेत्र में प्रगति हो रही है, नव-निर्माण हो रहा है। ऐसे में क्या व्यक्ति- विकास हो रहा है? व्यक्ति विकास के लिए चरित्र का उज्ज्वल होना आवश्यक है। अतः व्यक्ति को चरित्र-निर्माण पर बल देना चाहिए। उसे व्यक्तिगत स्वार्थ से बाहर निकलकर मानवजाति के कल्याण के लिए अग्रसर होना चाहिए।

वसुधा – पृथ्‍वी

अगम – अपार

अगाध – अथाह

मँझधार – लहरों के बीचोंबीच

कौमुदी – चाँदनी

भौतिकता – सांसारिकता

उत्‍थान – उन्नति

कविता का नाम –

निर्माणों के पावन युग 

 

कविता की विधा –

आधुनिक कविता

 

पसंदीदा पंक्ति –

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें। स्वार्थ साधना की आँधी में हम वसुधा का कल्याण न भूलें।

 

पसंदीदा होने का कारण –

उपर्युक्त पंक्ति मुझे बेहद पसंद है क्योंकि उसमें चरित्र निर्माण की बात कही गई है। व्यक्ति के पास उज्ज्वल चरित्र होना चाहिए। उसे अपने चरित्र से दूसरों पर प्रभाव निर्माण करना चाहिए। 

 

कविता से प्राप्त संदेश या प्रेरणा –

प्रस्तुत कविता से प्रेरणा मिलती है कि व्यक्ति का चरित्र संपन्न एवं समृद्ध होना चाहिए। स्वयं का चरित्र उज्ज्वल बनाने के लिए व्यक्ति को मानवीय गुणों का अपनाना चाहिए। स्वार्थ भाव का त्याग कर व्यक्ति को निःस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करनी चाहिए। व्यक्ति को ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का पालन करना चाहिए। नए-नए अनुसंधान में व्यस्त रहकर व्यक्ति को अपनी संस्कृति का भी सम्मान करना चाहिए।

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

स्वार्थ साधना की आँधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !!

अर्थ: कवि कहते हैं कि आज का युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। विज्ञान और तकनीकी के इस युग में नई-नई चीजों की खोज हो रही है। नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। व्यक्ति का भौतिक विकास हो रहा है। ऐसे में, व्यक्ति को अपने चरित्र-निर्माण पर भी बल देना चाहिए। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग कर मानवजाति के कल्याण के लिए आगे बढ़ना चाहिए। 

 

 

माना अगम अगाध सिंधु है संघर्षों का पार नहीं है,

किंतु डूबना मँझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है,

जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसंधान न भूलें !!

अर्थ: कवि कहते हैं, माना कि समुद्र अपार और अथाह है। इसी तरह संघर्षो का भी अंत नहीं है, फिर भी मनुष्य को संघर्षों का सामना करना चाहिए। साहसी व्यक्ति को संघर्षरूपी लहरों के बीचोंबीच डूबना स्वीकार नहीं करना चाहिए अर्थात अपना संघर्ष बीच में ही नहीं छोड़ना चाहिए। व्यक्ति को हमेशा कठिन समस्या सुलझाने के लिए नई-नई खोज करना नहीं भूलना चाहिए।

 

 

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

स्वार्थ साधना की आँधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !!

अर्थ: कवि कहते हैं कि आज का युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। विज्ञान और तकनीकी के इस युग में नई-नई चीजों की खोज हो रही है। नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। व्यक्ति का भौतिक विकास हो रहा है। ऐसे में, व्यक्ति को अपने चरित्र-निर्माण पर भी बल देना चाहिए। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग कर मानवजाति के कल्याण के लिए आगे बढ़ना चाहिए। 

 

 

शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है,

शिक्षा क्‍या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नहीं है,

कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूलें !!

अर्थ: कवि कहते हैं कि लोगों में अच्छे आचरण अपनाने, विनम्र बनने, आदर्श कहलाते तथा दूसरों से अधिक श्रेष्ठ होने की भावना जाग्रत करना जरूरी है। तभी लोगों में चेतना आ सकती है। वे कहते हैं कि यादि किसी व्यक्ति में नैतिक आधार नहीं है, तो उसकी शिक्षा किसी काम की नहीं है। चाँदनी की शोभा की तड़क-भड़क में हमें अपनी संस्कृति का सम्मान करना भूल नहीं जाना चाहिए।



निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

स्वार्थ साधना की आँधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !!

अर्थ: कवि कहते हैं कि आज का युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। विज्ञान और तकनीकी के इस युग में नई-नई चीजों की खोज हो रही है। नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। व्यक्ति का भौतिक विकास हो रहा है। ऐसे में, व्यक्ति को अपने चरित्र-निर्माण पर भी बल देना चाहिए। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग कर मानवजाति के कल्याण के लिए आगे बढ़ना चाहिए। 

 

 

आविष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नहीं है,

सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है प्राणी का उपकार नहीं है,

भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूलें !! 

अर्थ: कवि कहते हैं कि आविष्कारों से जिन वस्तुओं का निर्माण हुआ है, यदि वे मनुष्य के काम की नहीं हैं, उनसे प्राणियों का कोई भला नहीं होता, तो यह विज्ञान व्यर्थ है। इसे सृजनहीन ही कहा जाएगा। कवि कहते हैं कि भौतिक तड़क-भड़क के बढ़ते प्रभाव में आकर हम अपने जीवन का उत्थान करना न भूलें।

 

 

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

स्वार्थ साधना की आँधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !!

अर्थ: कवि कहते हैं कि आज का युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। विज्ञान और तकनीकी के इस युग में नई-नई चीजों की खोज हो रही है। नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। व्यक्ति का भौतिक विकास हो रहा है। ऐसे में, व्यक्ति को अपने चरित्र-निर्माण पर भी बल देना चाहिए। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग कर मानवजाति के कल्याण के लिए आगे बढ़ना चाहिए। 

श्रवणीय

‘वसुधैव कुटुंबकम्’ विषय पर समूह में चर्चा कीजिए और प्रभावशाली मुद्दों को सुनाइए :

उत्तर: ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ एक संस्कृत श्लोक है जिसका अर्थ होता है “सम्पूर्ण धरती एक परिवार है”। इसका मतलब है कि सभी मानव एक ही परिवार के सदस्य हैं और हमें एक-दूसरे के साथ बढ़-चढ़कर रहना चाहिए।

 

आज के युग में विश्व शांति की अनिवार्यता के बारे में चर्चा करना महत्वपूर्ण है। ग्लोबलाइजेशन के युग में हम सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं, और किसी भी संघर्ष या संघर्ष के परिणामस्वरूप होने के दौरान विश्व शांति पर हमारा प्रभाव बड़ा हो सकता है। युद्ध और संघर्षों के परिणामस्वरूप असहमतियों और आतंकवाद की बढ़ती चुनौतियों का सामना करना हो सकता है। इसलिए, हमें विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए संघर्षों को सुलझाने के विचार करने की आवश्यकता है।

 

इस समूह में पूरे विश्व में एकता बढ़ाने के लिए हम कुछ महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं:

१. शिक्षा का प्रचार: शिक्षा को पूरे विश्व में पहुंचाना एकता को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है। शिक्षा से सभी व्यक्तियों को अपने आप को समझने और दूसरों के साथ सहयोग करने का ज्ञान मिलता है।

२. सांस्कृतिक आपसी आदर्श: हमें विभिन्न सांस्कृतिकों के आपसी समझ को बढ़ावा देने के लिए अपनी सांस्कृतिक धरोहर को साझा करने का प्रयास करना चाहिए।

३. सहयोगी संगठनों का बढ़ावा: विश्व स्तर पर सहयोगी संगठनों का समर्थन करना चाहिए, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र, जो विश्व शांति और साझा विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यों का संचालन करता है।

४. विमर्श और संवाद: विभिन्न राष्ट्रों के बीच संवाद को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए समझौता और विमर्श का माध्यम बन सकता है।

५. पर्यावरण संरक्षण: सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विश्व समुदाय का साझा प्रयास हम सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

 

वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश है कि हम सभी एक ही परिवार के अंश हैं और हमें आपसी सहयोग और समरसता के साथ रहना चाहिए। इस संदेश का पालन करने से हम विश्वशांति और समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

 

विश्व शांति की अनिवार्यता को समझने के लिए हमें यह समझना होगा कि विभिन्न राष्ट्रों और समुदायों के बीच संघर्षों और संघर्षों के परिणामस्वरूप होने वाली हानि और खोयी हुई जीवन की कीमत कितनी भारी हो सकती है। इसके बजाय, हमें आपसी समझ, समरसता, और विकास के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

 

इस विश्व एकता को बढ़ाने के लिए हमें विभिन्न क्षेत्रों में कई कदम उठाने की आवश्यकता है, जैसे कि:

१. मानवाधिकार का समर्थन: हमें सभी मानवों के मानवाधिकार का समर्थन करना चाहिए, जो विभिन्न देशों में उनकी सुरक्षा और स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं।

२. आपसी समरसता की बढ़ावा: हमें जातिवाद, धर्मनिरपेक्षता, और अन्य भिन्नताओं के खिलाफ होने वाले भावनात्मक दीवारों को गिराने का प्रयास करना चाहिए और समरसता को प्रोत्साहित करना चाहिए।

३. विश्व साझा विकास: हमें विश्व स्तर पर विकास की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करना चाहिए, खासतर गरीब और पिछड़े हुए क्षेत्रों को समृद्धि में शामिल करने के लिए।

४. विश्व स्थायीता: हमें पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ साझा यात्रा पर बढ़ चढ़ने का प्रयास करना चाहिए ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी धरती की सुरक्षा कर सकें।

५. सांस्कृतिक आदर्श का प्रसारण: हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर को दूसरों के साथ साझा करने का प्रयास करना चाहिए ताकि विभिन्न समुदायों के बीच अधिक जानकारी और समरसता हो सके।

 

वसुधैव कुटुंबकम् के इस महत्वपूर्ण संदेश का पालन करने से हम विश्व शांति, साझा विकास, और सहयोग की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं, जो हम सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

कल्पना पल्लवन

‘‘भौतिकता के उत्‍थानों में जीवन का उत्‍थान न भूलें ।’’ इस पंक्‍ति को अपने शब्‍दों में स्‍पष्‍ट कीजिए।

उत्तर: आज सारी दुनिया में भौतिक उन्नति को ही महत्त्व दिया जा रहा । इसीलिए संसार आज विश्वयुद्ध के कगार पर पहुँच गया है। वह अपनी संस्कृति और संस्कार भूलता जा रहा है। आज मनुष्य में मानवता की भावना का ह्रास होता जा रहा है। लोग अपने स्वार्थों के कारण एक-दूसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं। लोगों में नैतिकता नहीं रह गई है। यही कारण है कि लोगों के हृदय से दया भावना, लोगों के प्रति हमदर्दी आदि के भाव गायब होते जा रहे हैं। जीवन मूल्यों के द्वारा ही मानव-जीवन का उत्थान हो सकता है। इसी में सुख-शांति है।

संभाषणीय

IMG 20230925 141251 1 पाठ ११ – निर्माणों के पावन युग में

उत्तर: आजादी के बाद का भारत अपनी आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए बहुत ही संघर्षरत और उत्साह से भरा था। कृषि, शिक्षा- उद्योग आदि के क्षेत्र में वह दिनोंदिन प्रगति के राह पर आगे बढ़ रहा था। अक्टूबर १९६२ में चीन ने भारत के ऊपर हमला कर दिया। भारत इस लड़ाई से उबर ही पाया था कि १९६५ में दूसरे पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत के ऊपर हमला किया, भारत ने इसका मुँहतोड़ जवाब दिया । १९७१ में पुनः पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया परंतु इस बार पाकिस्तान की करारी हार हुई और बांग्लादेश का उदय हुआ । १९६६ में भारत की बागडोर प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के हाँथ में आ गई। उन्होंने हरित क्रांति की शुरूआत की। भारत ने कृषि के क्षेत्र में संतोषजनक प्रगति की। बैंको का राष्ट्रीकरण किया गया। १९७४ को पोखरन में परमाणु परीक्षण कर भारत विश्व का छठवाँ परमाणु ताकत बन गया। प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने १९७५ में अपातकाल की घोषणा कर दी। देश के बड़े-बड़े विपक्षी नेता गिरफ्तार कर लिए गए। प्रेस की आज़ादी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

 

खेल के क्षेत्र में भी भारत प्रगति कर रहा था । १८८२ में भारत ने नवें एशियाई खेलों का सफल आयोजन किया। भारतीय क्रिकेट टीम ने वेस्ट इंडीज को हराकर पहली बार विश्व कप जीता। विज्ञान के क्षेत्र में १९८२ में रंगीन टेलीविज़न की शुरूआत हुई। भारत का अपना बहुउद्देशीय संचार और मौसम उपग्रह इंसेट – १ बी प्रक्षेपित किया गया। १९८४ में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई । ३१ अक्टूबर १९८४ को राजीव गांधी भारत के प्रधान मंत्री बने। उनके कार्यकाल में सतह से सतह पर मार करनेवाले पृथ्वी प्रक्षेपास्त का सफल परीक्षण हुआ । १९९२ में धार्मिक राजनीति चरण सीमा पर थी। जिसके चलते अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद का ढाँचा ध्वस्त कर दिया गया जिससे भारत में हिंसा भड़क गई और मुंबई में श्रृंखलाबद्ध विस्फोट किए गए। इस विस्फोट में सैकड़ों लोग मारे गए। १९९९ में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल का युद्ध लड़ा गया। इस बार भी पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी।

 

२००१ में संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ इस हमले में सम्मिलित आतंकवादी मारे गए। यह देश की सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ी सेंध थी । २००४ में डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने। वह एक बड़े अर्थशास्त्री भी थे। उन्होंने देश के गरीबों के लिए फूड्स बिल संसद में लाया। अब गरीबों को २ रुपए प्रति किलो गेंहू तथा ३ रुपए प्रति किलो चावल उपलब्ध होने लगा । २०१४ में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हुआ। इस बार व्यक्ति विशेष के नाम पर जनता ने मतदान किया और नरेंद्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया । इनसे भारत के लोगों को बड़ी उम्मीद है। उन्होंने कई नई योजना की शुरूवात की। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ऐतिहासिक फैसला लेते हुए नोटबंदी किया, सफाई अभियान की शुरूआत की, देश के हर व्यक्ति को बैंक से जोड़ने का कार्य किया। इस समय भारत अपने विदेश नीति में भी महत्त्वपूर्ण स्थान पर पहुँच गया है। विदेश के बहुत सारे देशों से भारत इनके मधुर संबंध हो गए हैं। व्यापारिक समझौते हुए हैं। इस समय भारत को विश्व की महाशक्तियों में गिना जाने लगा है। सामाजिक दृष्टि से भी वह शक्तिशाली देशों की श्रेणी में पहुँच गया है। इस समय शिक्षा, व्यापार उद्योग आदि क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

पठनीय

‘पर्यावरण और मानव’ पर आधारित पथनाट्‌य (नुक्‍कड़ नाट्‌य) पढ़कर प्रस्‍तुत कीजिए।

उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।

लेखनीय

‘देश हित के लिए आप क्‍या करते हैं’, लिखिए ।

उत्तर: देशहित एक पवित्र कार्य है। प्रत्येक व्यक्ति को स्वहित की अपेक्षा देशहित के बारे में सोचना चाहिए।

 

‘जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं । वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ।’


यदि मैं स्वयं का विचार करूं तो मेरे लिए निजी हित की अपेक्षा देशहित सर्वोपरि है। देशहित के लिए मैं सभी नियमों का पालन करने के साथ ही विनम्र और देश के प्रति जिम्मेदारियों के लिए वफादार हूँ। मैं अपने चारों ओर साफ-सफाई रखने के लिए स्वच्छता अभियान में भाग लेता हूँ। सभी को बेकार वस्तुओं को कूड़ेदान में डालना और सार्वजनिक वस्तुओं की देखभाल करना सिखाता हूँ। मैं एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना रखता हूँ। देश के कल्याण के लिए बनाई गई सामाजिक व आर्थिक नीतियों का भी सम्मान करता हूँ। मैं अपने देश को दुनिया में सबसे अच्छा देश बनाने के लिए प्रयास करता रहता हूँ।

आसपास

अपने आसपास/परिवेश में घटित होने वाली समाज विघातक घटनाओं की रोकथाम से संबंधित अपना मत प्रस्‍तुत कीजिए।

उत्तर: भ्रष्टाचार, आरक्षण, भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा आदि समाज विघातक घटनाएँ हैं। भ्रष्टाचार भारतीय समाज में सबसे तेजी से उभरने वाला मुद्दा है। मनुष्य अपने निजी स्वार्थों की खातिर देश को खोखला कर रहा है। अतः मनुष्य को सदाचार को अपनाना चाहिए ताकि भ्रष्टाचार अपने-आप समाप्त हो जाएगा। भ्रूण हत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस विषय पर स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। लोग कन्या जन्म चाहते ही नहीं है। सबको पुत्र चाहिए। इस पर रोक लगाने के लिए चिकित्सा के लिए मजबूत नीति सबंधी नियमावली होनी चाहिए। सभी महिलाओं के लिए तुरंत शिकायत रजिस्ट्रेशन प्रणाली होनी चाहिए। आम लोगों को जागरुक करने के लिए कन्या भ्रूण हत्या जागरुकता कार्यक्रम होना चाहिए। दहेज जैसी कुप्रथा के प्रति लोगों की मानसिकता में बदलाव लाया जाना चाहिए। अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन देना चाहिए। आरक्षण वास्तव में समाज के उन्हीं लोगों के लिए हितकर हो सकता है जो अपंग हैं, शिक्षा और गुण होते हुए भी अन्य लोगों से जीवन में पीछे रह जाते हैं। उन गरीब लोगों के लिए भी आरक्षण आवश्यक है, जो गुणी होते हुए भी गरीबी में जीवन बिता रहे हैं। आज यदि हम देश को उन्नति की ओर ले जाना चाहते हैं और देश की एकता बनाए रखना चाहते हैं, तो जरूरी है कि आरक्षण को हटाकर हम सबको समान रूप से शिक्षा दे और उन्नति का अवसर पाने का मौका दें।

पाठ के आँगन में

(१) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(क)

IMG 20230925 203523 पाठ ११ – निर्माणों के पावन युग में

उत्तर:

IMG 20230925 224723 पाठ ११ – निर्माणों के पावन युग में

(२) कृति पूर्ण कीजिए :

(ख)

IMG 20230925 141350 पाठ ११ – निर्माणों के पावन युग में

उत्तर: 

IMG 20230925 204010 पाठ ११ – निर्माणों के पावन युग में

पाठ से आगे

स्‍वामी विवेकानंद जी की जीवनी का अंश पढ़कर टिप्पणी लिखिए ।

उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।

भाषा बिंदु

निम्न शब्दों के अर्थ शब्दकोश की सहायता से ढूँढ़िए तथा उचित शब्द रिक्त स्थानों में लिखिए :

१. आर्यभट्ट ने शून्य की _____ की । 

(खोज, अनुसंधान, आविष्कार)

उत्तर: खोज

 

२. प्रगति के लिए आपसी _____ आवश्यक है । 

(ईर्ष्या, भागदौड़, स्पर्धा)

उत्तर: स्पर्धा

 

३. कार्यक्रम को शुरू करने के लिए अध्यक्ष महोदय की _____ चाहिए । 

(अनुमति, आज्ञा, आदेश)

उत्तर: अनुमति

 

४. काले बादलों को देखकर बारिश की _____ है । 

(आशंका, संभावना, अवसर)

उत्तर: संभावना

 

५. सड़क-योजना में सैकड़ों मजदूरों को _____ मिला । 

(निर्माण, श्रम, रोजगार)

उत्तर: निर्माण

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