Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Nine

पाठ १ - कह कविराय

Thousands of people like virtuous people; no one likes anyone without virtues. just as everyone listens to the speech of the crow and the cuckoo, but everyone likes the cuckoo. The colour of both the crow and the cuckoo is the same, but everyone considers the crow impure. Poet Giridhar says that people should listen to their minds. No one likes anyone without qualities. Thousands of people like virtuous people only.

 

I have seen this whole world. Everyone’s behaviour is full of selfishness. As long as one has money, everyone treats him friendly.  All friends are together all the time when money is near. Let’s move around together. When the money ends, the same friend does not even speak. Poet Giridhar says that this is the way of the world. There are very few friends who have selfless love.

 

Liars take money by talking sweetly. They take great pleasure in taking money, but they have no intention of repaying the loan. When the time comes to return the money, they make up different kinds of things. This is the behaviour of borrowers. While demanding the money back, they ran to kill. Poet Giridhar says that friends who have taken out loans remain angry in their minds, and when it has been too many days, they say that your loan documents are false.

 

The person who does not think about its consequences before doing any work, has to repent when the work gets spoiled. His work gets spoiled, the world laughs at him. His mind does not get peace. He doesn’t like eating, drinking, dancing, singing, respect. Poet Giridhar says that such a person has sorrow in his mind all the time and that sorrow does not go away in any way. The pain of acting without thinking keeps nagging in the heart all the time.

 

Man, forget the past and think of the future. Concentrate on the work that can be done easily. By doing this, evil people will not get a chance to laugh, and there will be no resentment in your mind. Poet Giridhar says that you should do what your mind believes in. Consider the past as the past and think about the future.

 

If the boat fills with water, it is thrown out with both hands. In the same way, if money is increasing in your house, then it should be freely used in social service. This is wisdom. If necessary, one should sacrifice everything in the name of God for charity. Poet Giridhar says that elders say that we should keep our conduct proper and maintain our reputation in society.

गाहक – ग्राहक

सहस – सहस्त्र

नर – पुरुष

काग – कौआ

अपावन – अपवित्र

दोऊ – दोनों

ताको – उसको

लेखा – व्यवहार

बेगरजी – निस्वार्थ

विरला – निराला

लैके – लेकर

अरु – और

तैरना – टालना

दुर्जन – बुरा आदमी

परतीती – प्रतीति, विश्वास

संभाषणीय

विपत्‍ति में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है, स्‍पष्‍ट कीजिए :

उत्तर: जीवन में एक सच्चे दोस्त का होना बहुत जरूरी है। एक ऐसा दोस्त जो हर मुश्किल में आपका साथ दे। एक अच्छा दोस्त हमारे जीवन का अहम हिस्सा होता है। जिसकी जरूरत हमें उम्र के हर पड़ाव में होती है। सच्चा मित्र आपकी हर आपत्ति में सहायता करता है। सुख के समय और धन-संपत्ति होने पर तो आपके अनेक मित्र बन जाएँगे परंतु आपत्ति में साथ देने वाला ही सच्चा मित्र होता है। सच्चा मित्र तो जीवन का सबसे बड़ा सहारा है। मित्र के चुनाव में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इसीलिए सुकरात ने मनुष्य को सलाह दी है: “मित्रता करने में शीघ्रता मत करो, पर करो तो अंत तक निभाओ।” केवल बाहरी चमक-दमक, वाक पटुता, आर्थिक संपन्नता आदि देखकर ही किसी को मित्र बनाना उचित नहीं।

 

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

(१) संजाल :

IMG 20230126 051731 पाठ १ - कह कविराय

उत्तर:

IMG 20230126 051649 पाठ १ - कह कविराय

(२) उत्‍तर लिखिए :

(क) अपना शीस इसके लिए आगे करना चाहिए तो इसकी प्राप्ति होगी 

उत्तर: अपना शीस परोपकार के लिए आगे करना चाहिए तो होगी ईश्वर व सम्मान की प्राप्ति होगी।

 

(ख) बड़ों के द्‌वारा दी गई सीख

उत्तर: हमें सदैव सही मार्ग पर चलना चाहिए और अपना मान-सम्मान बनाए रखना चाहिए।

 

(३) ‘हाथ’ शब्‍द पर प्रयुक्‍त कोई एक मुहावरा लिखकर उसका वाक्‍य में प्रयोग कीजिए।

उत्तर:

मुहावरा – हाथ मलना

मुहावरे का हिंदी में अर्थ – पछताना

वाक्य प्रयोग – समय पर मेहनत कर लोगे तो सफल हो जाओगे वरना हाथ मलते रह जाओगे।

 

(४) ‘खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं’ इसपर अपना मत स्‍पष्‍ट कीजिए।

उत्तर: हम दूसरों को क्या देते हैं वही बदले में हमें मिलता है। जब हम लोगों को सकारात्मक होकर स्नेह करते हैं तो वह लोग भी हमसे सकारात्मक होकर स्नेह करते हैं। यदि हम दूसरों के दुख में उनका साथ देते हैं तो उनके जीवन में इससे ख़ुशियाँ आती हैंl हमारे इस कार्य से प्रेरित हो कर फिर वह लोग भी आगे चलकर किसी और का साथ देंगे, इससे जिनका साथ देंगे उनके जीवन में भी ख़ुशियाँ आएंगी और इस प्रकार यह क्रम चलता रहेगा। अत: ख़ुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैंl

पठनीय

मीरा का कोई पद पढ़िए ।

उत्तर:

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई |

जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई ||

अर्थ: मीरा कहती हैं – मेरे तो बस श्री कृष्ण हैं जिसने पर्वत को ऊँगली पर उठाकर गिरधर नाम पाया. उसके अलावा मैं किसी को अपना नहीं मानती. जिसके सिर पर मौर का पंख का मुकुट हैं वही हैं मेरे पति.

 

आसपास

भक्तिकालीन, रीतिकालीन कवियों के नाम और उनकी रचनाओं की सूची तैयार कीजिए।

उत्तर:

भक्तिकाल के कवि

सूरदास – सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी 

रसखान – प्रेमवाटिका, सुजान रसखान

व्यास जी – रासपंचाध्यायी

स्वामी हरिदास – स्वामी हरिदास जी के पद, हरिदास जी की बानी

मीराबाई – नरसी जी का मायरा, गीतगोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद 

नंददास – रासपंचाध्यायी, भागवत दशम स्कंध, रूक्मिणीमंगल, रूपमंजरी ।

 

रीतिकालिन कवि 

चिंतामणि – कविकुल कल्पतरु, रस विलास, काव्य विवेक,

मतिराम – रसराज, ललित ललाम,

भिखारीदास – काव्य निर्णय, श्रृंगार निर्णय 

कुलपति मिश्र – रस रहस्य

माखन – छंद विलास

बिहारी – छंद विलास

धनानंद – सुजान हित प्रबंध, वियोग बेलि, इश्कलता, प्रीति पावस, पदावली

ठाकुर – ठाकुर ठसक

श्रवणीय

संत कबीर तथा कवि बिहारी के नीतिपरक दोहे सुनिए और सुनाइए।

उत्तर:

संत कबीर के दोहे:

१। जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय |

मरना पहिले जो मरै, अजय अमर सो होय ||

अर्थ : जीते जी ही मरना अच्छा है, यदि कोई मरना जाने तो। मरने के पहले ही जो मर लेता है, वह अजर-अमर हो जाता है। शरीर रहते-रहते जिसके समस्त अहंकार समाप्त हो गए, वे वासना – विजयी ही जीवनमुक्त होते हैं।

 

२। मैं मेरा घर जालिया, लिया पलीता हाथ |

जो घर जारो आपना, चलो हमारे साथ ||

अर्थ : संसार – शरीर में जो मैं – मेरापन की अहंता – ममता हो रही है – ज्ञान की आग बत्ती हाथ में लेकर इस घर को जला डालो। अपना अहंकार – घर को जला डालता है।

 

३। मन को मिरतक देखि के, मति माने विश्वास |

साधु तहाँ लौं भय करे, जौ लौं पिंजर साँस ||

अर्थ : मन को मृतक (शांत) देखकर यह विश्वास न करो कि वह अब धोखा नहीं देगा। असावधान होने पर वह फिर से चंचल हो सकता है इसलिए विवेकी संत मन में तब तक भय रखते हैं, जब तक शरीर में सांस चलती है। 

 

कवि बिहारी के दोहे:

१। कहत,नटत, रीझत,खीझत, मिलत, खिलत, लजियात।

भरे भौन में करत है,नैननु ही सब बात।।

अर्थ : कवि कहते हैं, ये दोनों नायक और नायिका, लोगों से भरे हुए भवन में मुँह से कुछ न बोलकर, अपनी सभी भावनाएँ अपने नेत्रों के हाव-भावों द्वारा व्यक्त कर रहे हैं। कभी ये आँखों से बातें करते हुए तो कभी असहमति प्रकट करते प्रतीत होते हैं। कभी रीझते, कभी खीझने लगते हैं। कभी मिलते, कभी प्रसन्न और कभी लजाते हुए दिखाई देते हैं। ये सारे भाव और क्रियाएँ लोगों से भरे घर में ये अपने नेत्रों से ही प्रकट कर रहे हैं।

 

२। कहा कहूँ बाकी दसा,हरि प्राननु के ईस।

विरह-ज्वाल जरिबो लखै,मरिबौ भई असीस।।

अर्थ : नायिका की सखी नायक से कहती है- हे नायिका के प्राणेश्वर ! नायिका की दशा के विषय में तुम्हें क्या बताऊँ,विरह-अग्नि में जलता देखती हूँ तो अनुभव करती हूँ कि इस विरह पीड़ा से तो मर जाना उसके लिए आशीष होगा।

 

३। अंग-अंग नग जगमगत,दीपसिखा सी देह।

दिया बढ़ाए हू रहै, बड़ौ उज्यारौ गेह।।

अर्थ : नायिका का प्रत्येक अंग रत्न की भाँति जगमगा रहा है,उसका तन दीपक की शिखा की भाँति झिलमिलाता है अतः दिया बुझा देने पर भी घर मे उजाला बना रहता है।

कल्पना पल्लवन

‘गुन के गाहक सहस नर’ इस विषय पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: ‘गुन के गाहक सहस नर’ इसका अर्थ है, मनुष्य के अंदर के गुणों के स्वभाव के बारे में बताया गया है। गुणी व्यक्ति को दुनिया में सभी पसंद करते है, लेकिन बिना गुणों वाले व्यक्ति को समाज में कोई महत्व नहीं देता है।

इसलिए मेरे विचार इस प्रकार है हमें हमेशा अपना जीवन अच्छे गुणों के साथ व्यतीत करना चाहिए। अच्छे गुणों और अच्छे स्वभाव से हम सब का दिल जीत लेते है और हमेशा उन्हें सफलता मिलती है। बिना गुणों वाला व्यक्ति कभी भी जीवन में सफल नहीं होता।

पाठ के आँगन में

(१) सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए:

(क) कौआ और कोकिल में समानता तथा अंतर:

समानता अंतर कवि की दृष्टि से
कौआ
कोकिल

उत्तर:

समानता अंतर कवि की दृष्टि से
कौआ
काला रंग
कर्कश स्वर
कौआ अपवित्र है। कोकिल सुहावनी है।
कोकिल
काला रंग
मधुर स्वर
कवि की दृष्टि से

(ख) कवि की दृष्टि से मित्र की परिभाषा- 

उत्तर:

(१) स्वार्थरहित प्रेम 

(२) सुख दुःख में साथ देने वाले 

(३) धन से कोई मतलब नहीं 

(४) धोखा न देने वाले (ईमानदार)

 

(ग) आकृति

IMG 20230126 053855 पाठ १ - कह कविराय

उत्तर:

IMG 20230126 053922 पाठ १ - कह कविराय

(२) कविता में प्रयुक्त तत्सम, तद्‌भव, देशज शब्दों का चयन करके उनका वर्गीकरण कीजिए तथा पाँच शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए।

उत्तर: 

तत्सम – कोकिला, नर, कविराय, व्यवहार, जगत, वचन, ऋण

तदभव – गुन, कोय, गाहक, संसार, मतलब, कागज

देशज शब्द – गाँठ, पैसा, उधार, रूठा, पाछै, बिगारै, 

 

कोकिल की आवाज मीठी लगती है।

इस जगत के पालनहार प्रभु श्री राम है। 

संसार की यही रीत है। 

कागज की कश्ती से नदियां पार नहीं होती। 

पाछै ही रहना तुम|

 

(३) कवि के मतानुसार मनुष्य की विचारधारा निम्न मुद्दों के आधार पर स्पष्ट कीजिए:

(च) ॠण लेते समय ……….

उत्तर: ऋण लेते समय – मीठे वचन बोलना, झूठ बोलना।

 

(छ) ॠण लौटाते समय ……..

उत्तर: ऋण लौटाते समय – मारने दौड़ना, कागजों को झूठा बताना।

 

लेखनीय

सामाजिक मूल्यों पर आधारित पद, दोहे, सुवचन आदि का सजावटी सुवाच्य लेखन कीजिए।

उत्तर: 

इन दोहो और रोला के माध्यम से कविराय हमें यह बताना चाह रहे है कि यह दुनिया कैसी है और हमें किस प्रकार का व्यवहार इस दुनिया में करना चाहिए। ताकि हमें इस दुनिया में सम्मान मिले और हम अकेलपन, दुख के शिकार न हो। हमें अपने अंदर गुणों को विकसित करने पर बल देना चाहिए। मित्रता मतलबी होती है इसलिए हमें सतर्क रहना चाहिए। हमें ऋण किसी उधार न लेना चाहिए न देना चाहिए। हर काम सोच समझकर ही करना चाहिए। पुरानी बातों को भूलकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। परोपकार में अपना समय, धन और मन लगाना चाहिए ।

 

पाठ से आगे:

‘बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ’, कवि के इस कथन की हमारे जीवन में सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: हमें अपनी बीती बातों को भुलाकर आगे की ओर देखना चाहिए। जो हमसे आराम से हो सकता है उसकी को करने की ओर प्रवृत्त होना चाहिए। क्योंकि जब हम पिछली बातों में ही उलझे रहते है तो आगे के कामों पर ध्यान नही दे पाते। इससे हम सफल नहीं हो पाते। इससे अच्छा तो यह है कि पिछली बातों को भूलकर जीवन में आगे बढ़कर जो आप कर सकते हो वह करें और सफलता प्राप्त करें।