Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Eight

पाठ ६ - अंधायुग

कविता का भावार्थ :

युयुत्सु : प्राचीनकाल में प्रभु की हत्या से हो सकता है, वध करनेवालों को मुक्ति मिल जाए, मगर इस अंधयुग में (कलियुग) मानव का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा? प्रभु के मरने के बाद मानव की रक्षा कौन करेगा ? प्रभु के इस कायर मरण के बाद क्या होगा ?

 

अश्वत्थामा : इसे आप कायर मरण का नाम मत दो। वह मेरा शत्रु था लेकिन मैं उनकी अच्छाइयों का वर्णन करूँगा। जब उनकी मृत्यु हुई थी तो मस्तक पर एक अनोखी चमक थी।

 

वृद्ध : वृद्ध के माध्यम से कवि कहते है कि, अरे बहेलिया श्रीकृष्ण के मौत के करीब का समय मरण नहीं था। मात्र शरीर का परिवर्तन था । श्रीकृष्ण ने सबकी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली थी। मानव के भविष्य को सुखमय बनाना उनका कर्तव्य था । इस अंधेयुग में मेरा एक भाग निष्क्रिय रहेगा। जो एक आत्मघाती की तरह रहेगा। शिथिल नहीं रहेगा संजय, युयुत्सु और अश्वत्थामा की तरह मैंने सब तरह का दायित्व पूर्ण किया है। आगे कहते हैं शेष दायित्व बाकी सभी मनुष्यों पर छोड़कर – जाता हूँ। भविष्य में हर मानव के अंदर यह मेरा गुण विद्यमान रहेगा। जिसके सहारे वह सभी नये सृजन में परिस्थितियों को देखकर निर्माण करेगा और पिछली बरबादियों का उसे ख्याल रहेगा। नये निर्माण में निर्भयता और साहस विद्यमान रहेगा। जीवन में ममता का संचार रहेगा। मैं उन अच्छे विचारों के लिए हमेशा जीवित रहूँगा और क्रियाशील बनूँगा ।

 

अश्वत्थामा : भविष्य में इसका अर्थ यह होगा कि सामान्य व्यक्ति के विचार अच्छे न होंगे। व्यक्ति जानवर जैसा बर्ताव करेगा। छुपकर वार करेगा, ईश्वर पर विश्वास नहीं करेगा। क्या वह अपने जीवन को सार्थक बना पाएगा?

 

वृद्ध : कवि कहते है कि निश्चय ही भविष्य में ऐसा होगा। किंतु दुनिया की डोर आपके हाथ में रहेगी। आपकी सर्वशक्तिमान ताकत जब चाहेंगी तब ऐसी ताकतों को नष्ट करेंगे। आप इतने बलशाली रहेंगे की जब चाहे किसी के प्राण ले सकते हैं और जीवन दे सकते हैं।

शब्द वाटिका :

वधिक – वध करने वाला

कायर – डरपोक 

ध्वंस – विनाश

सृजन – निर्माण

बर्बर – असभ्‍य, हिंसक

आत्‍मघाती – आत्‍महत्‍या करने वाला

कल्‍पना पल्‍लवन

‘मनुष्‍य का भविष्‍य उसके हाथों में है’ अपने विचार लिखो ।

उत्तर: मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का विधाता है। वह चाहे तो अच्छे कर्म करके अपने जीवन को स्वर्ग के समान सुंदर बना सकता है, या चाहे तो अपने जीवन को नरक बना सकता है। मनुष्य का जो मनुष्य जन्म है, वह बहुत दुर्लभ जन्म है। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में मानवता का पालन करते हुए अपने जीवन को सुखमय और सफल बनाना चाहिए। सद्गुणों और जीवन मूल्यों को अपनाकर मनुष्य अपने चरित्र को चमका सकता है। दुनिया में ऐसे कई महापुरुष हुए हैं जिन्होंने अपने काम से अपने जीवन को महान बनाया है। विद्यार्थी जीवन में हर विद्यार्थी को पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए, अच्छे संस्कार अपनाने चाहिए और उनका पालन करना चाहिए। इससे उनका भविष्य उज्जवल हो सकता है। यदि ये बचपन से ही कुसंग में फँस गये तो अपने जीवन को नर्क जैसा, कष्टदायक और कष्टमय बना लेंगे। यह मनुष्य पर निर्भर है कि वह फूल को चुने या कांटे को।

* सूचना के अनुसार कृतियाँ करो :-

(१) कृति करो :

१.

IMG 20230320 220549 पाठ ६ – अंधायुग

उत्तर:

IMG 20230320 220519 पाठ ६ – अंधायुग

२.

IMG 20230320 220605 पाठ ६ – अंधायुग

उत्तर:

IMG 20230320 220539 पाठ ६ – अंधायुग

(२) संजाल पूर्ण करो :

IMG 20230321 180737 पाठ ६ – अंधायुग

उत्तर:

IMG 20230321 180802 पाठ ६ – अंधायुग

(३) उत्‍तर लिखो :

कविता में प्रयुक्‍त पात्र

उत्तर: 

१. युयुत्सु

२. अश्वत्थामा

३. वृद्ध

भाषा बिंदुयुयुत्सु

१. पाठों में आए मुहावरों का अर्थलिखकर उनका अपने स्‍वतंत्र वाक्‍यों में प्रयोग करो :

उत्तर:

लोहा मानना – श्रेष्ठता स्वीकार करना

वाक्य : सबने रामू की कला का लोहा मान लिया है।

 

रंगे हाथ पकड़ना अपराध करते हुए प्रत्यक्ष पकड़ना

वाक्य : उसे लोगों ने रंगे हाथ पकड़ लिया है।

 

घोड़े बेचकर सोना – निश्चिंत होकर सोना

वाक्य : परीक्षा खत्म होते ही मैं घोड़े बेचकर सो गया।

 

अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना स्वयं का नुकसान करना

वाक्य : पढ़ाई न करने के कारण वह फेल हो गया। उसने तो सचमुच अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली।

 

खाली हाथ रहना पास में कुछ न होना

वाक्य : सब कुछ दान करने के बाद वह खाली हाथ रहा।

 

सिर खपाना – बहुत बुद्धि लगाना

वाक्य : गणित का उदाहरण सुलझाते समय सभी को सिर खपाना पड़ता है।

 

पसीना बहाना – कड़ी मेहनत करना

वाक्य : किसान पसीना बहाकर अनाज उगाता है।

 

आँखों से परदा हटाना – वास्‍तविकता से अवगत कराना

वाक्य : जब उसकी आँखों से परदा हटेगा तब उसकी अक्ल ठिकाने आ जाएगी।

 

न्योछावर करना – समर्पित करना

वाक्य :वीरों ने देश पर अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

 

अवाक खड़ा रहना – अचंभित हो जाना

वाक्य : पड़ोसी की नई कार देखकर मैं अवाक खड़ा रहा।

 

तिलमिला जाना – गुस्सा हो जाना

वाक्य : यदि कोई मेरा अपमान करें तो मैं तिलमिला जाता हूँ।

 

काफूर होना – गायब हो जाना

वाक्य :चोर चोरी करके काफूर हो गया।

 

नीचा दिखाना – अपमानित करना

वाक्य : वह सबको नीचा दिखाने की ताक में रहता है।

 

चौपट करना – बरबाद करना

वाक्य : उसने शराब की लत के कारण अपना कारोबार चौपट कर दिया।

 

पारावार न रहना – सीमा न रहना

वाक्य : परीक्षा में प्रथम आने पर मेरी खुशी का पारावार न रहा।

२. पढ़ो और समझो :

वर्ण विच्छेद वर्ण विच्छेद
मानवीय
म्+आ+न्+अ+व्+ई+य्+अ
वाक्य
सहायता
स्+अ+ह्+आ+य्+अ+त्+आ
शब्द
मृदुल
म्+ऋ+द्+उ+ल्+अ
व्यवहार

उत्तर:

वर्ण विच्छेद वर्ण विच्छेद
मानवीय
म्+आ+न्+अ+व्+ई+य्+अ
वाक्य
व+अ+क्+य
सहायता
स्+अ+ह्+आ+य्+अ+त्+आ
शब्द
श+ब्+द
मृदुल
म्+ऋ+द्+उ+ल्+अ
व्यवहार
व्+य्+व+ह+अ+र

स्‍वयं अध्ययन

‘कर्म ही पूजा है’, विषय पर अपने विचार सौ शब्‍दों में लिखो ।

उत्तर: अगर हम समझते हैं कि काम का वास्तविक अर्थ पूजा है, तो काम वास्तव में वास्तविक पूजा है क्योंकि बिना काम के हमारा जीवन बेकार है। यदि हम अपने जीवन में इसका अच्छी तरह से पालन करते हैं, तो यह सफलता, प्रगति और खुशी की कुंजी के रूप में कार्य करता है।

 

यदि लोग सही अर्थों में इसका अर्थ समझते हैं, तो यह निश्चित रूप से विश्व अर्थव्यवस्था के परिदृश्य को सकारात्मक रूप से बदल देगा और लोगों को जीवन में कठिन चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगा। हालाँकि, हम इस ग्रह पर एक साथ रहने वाले लोगों के प्रकार को अनदेखा नहीं कर सकते।

 

कार्यकर्ता ईमानदारी से कमाता है, निष्क्रिय लोग दूसरों परजीवी की तरह निर्भर करते हैं, आदि हमारे जीवन और शरीर को जंग लग जाता है अगर हम इसे बिना किसी काम, उद्देश्य के अपना जीवन व्यतीत करते हैं। जीवन में महानता पाने के लिए कड़ी मेहनत ही एक रास्ता है। ऐसा माना जाता है कि, केवल वे लोग जो अपने काम में रुचि लेते हैं, वे दिल से पूजा करते हैं।

उपयोजित लेखन 

निम्‍नलिखित मुद्दों के आधार पर कहानी लिखकर उसे उचित शीर्षक दो ।

एक गाँव – दर्जी की दुकान – प्रतिदिन हाथी का दुकान से होकर नदी पर नहाने जाना – दर्जी का हाथी को केला खिलाना – एक दिन दर्जी को मजाक सूझना – दर्जी दवारा हाथी को सुई चुभाना – परिणाम – शीर्षक

 

उत्तर:

जैसी करनी, वैसी भरनी

हिंदपुर नाम के एक गांव में एक किसान के घर में एक पालतू हाथी रहता था। वह बहुत चतुर था। उसका नियम था कि वह रोज सुबह तालाब में पानी पीने जाता। रास्ते में दर्जी की दुकान हुआ करती थी। वह उसे प्रतिदिन केले खाने को दिया करता था। इस एहसान को चुकाने के लिए हाथी तालाब से लौटते समय दर्जी को एक कमल का फूल देता था। इस तरह दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई। एक दिन दर्जी ने मन ही मन सोचा, “क्यों न आज हाथी के साथ मजाक किया जाए?” जब हाथी रोज की तरह केले लेने आया तो दर्जी ने केले की जगह सुई से हाथी की सूंड में छेद कर दिया। हाथी खून का घूंट पीकर तालाब में चला गया। रास्ते में उसका मन बदला लेने का उपाय सोचने लगा। तालाब से लौटते समय उसने अपनी सूंड में मिट्टी लाकर दर्जी की दुकान में रख दी। दुकान में रखे सभी नए कपड़े खराब हो गए। दर्जी अपना नुकसान देखकर पछताने लगा। 

 

सीख : इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि जैसा बीज बोओगे वैसा ही फल मिलेगा।