Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Nine

पाठ २ - जंगल

We keep animals and birds for our happiness. They love them but take away their freedom. In the story presented, the author has emphasised that animals and birds should be allowed to live freely in their natural environment. Just as we humans love our freedom and our society, in the same way, these innocent, speechless creatures also have the right to live with their fellow men.

अनुशासन – नियम

झिझक – लज्जा, संकोच

बुहारना – झाडू लगाना

बुदबुदाना – अस्फुट स्वर में बोलना

कोंपल – नई पत्तियाँ

धमाचौकड़ी – उछलकूद, उपद्रव

बिटर दृष्टि – नजर गड़ाए देखना

कीच – कीचड़, दलदल

चितकबरी – रंग-बिरंगी

पोखर – जलाशय, तालाब

हमजोली – साथी, संगी

निस्पंद – निश्चल, स्तब्ध

प्रतिवाद – खंडन, विरोध

असमर्थता – अक्षमता या दुर्बलता

निश्चेष्ट – चेष्टा न करने वाला

अंतिम संस्कार – मरने के बाद किया जाने वाला क्रिया-कर्म

 

मुहावरे

१. घोड़े बेचकर सोना ।

अर्थ – निश्चित होकर सोना ।

वाक्य – वार्षिक परीक्षा समाप्त होने के बाद पल्लव घोड़े बेचकर सोया ।

 

२. घात लगाना ।

अर्थ – किसी को हानि पहुँचाने के अवसर ढूँढ़ना ।

वाक्य – वह चोर दरवान इसी दिन के लिए तो घात लगाये था, वर्ना विश्र्वास का ऐसा रँगीला नाटक खेलकर सेठ की तिजोरी-चाबी तक कैसे समझे रहता ?

संभाषणीय

‘जंगल में रहने वाले पक्षियों के मनोगत’ इस विषय पर कक्षा में चर्चा का आयोजन कीजिए :

उत्तर: (विद्यार्थी इस चर्चा को अपने मित्रों से अवश्य करें)

 

‘जंगल के राजा का मनोगत’ इस विषय पर कक्षा में चर्चा का आयोजन कीजिए।

उत्तर: विद्यार्थी इस चर्चा को अपने मित्रों से अवश्य करें)

IMG 20230126 051731 पाठ २ – जंगल (पूरक पठन)

मौलिक सृजन

‘जंगल ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले स्रोत हैं’ इस विषय पर अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर : मनुष्य और जंगल का नाता आदि काल से रहा है। वृक्ष हमारे प्राण हैं। वृक्ष ही हमें प्राणवायु प्रदान करते हैं। जंगलों को पृथ्वी का फेफड़ा कहा जाता है। वृक्ष हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हैं। हम जो विषैली वायु बाहर छोड़ते हैं, वृक्ष उसे ग्रहण करके स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक वायु हमें प्रदान करते हैं और हमें जीवन देते हैं। पीपल, नीम, बरगद, आम, जामुन, इमली, महुआ, गूलर, ढाक, साल, सागौन, कचनार, गुलमोहर और अमलतास आदि वृक्ष पर्यावरण के लिए अत्यधिक उपयोगी हैं।

पठनीय

जंगलों से प्राप्त होने वाले संसाधनों की जानकारी का वाचन कीजिए।

उत्तर: वनों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ किसी देश या काल की सीमा से बंधे नहीं होते हैं। वनों द्वारा प्रत्यक्ष लाभ तो स्थान-विशेष के लोगों को ही होता है, परंतु अप्रत्यक्ष रूप से इसका लाभ स्थानेतर लोगों को भी मिलता है।प्रत्यक्ष लाभ के अंतर्गत वनों से हमें ईधन के लिए पर्याप्त लकड़ी प्राप्त होती है। इसके अलावा सखुआ या साल, सागवान, देवदार आदि के वृक्षों से लकड़ियां प्राप्त होती हैं, जिनका फर्नीचर, कृषि तथा मशीनरी औजार, मकान तथा रेलवे में उपयोग की दृष्टि से व्यापक आर्थिक महत्व है। उद्योगों के लिए कच्चा माल भी वनों से प्राप्त होता है। कागज, दियासलाई, कत्था, रबर, कृत्रिम रेशम आदि के उद्योगों के लिए कच्चे माल की प्राप्ति भी वनों से ही की जाती है। पशुओं के लिए व्यापक चारागाह का निर्माण वनों द्वारा ही संभव होता है। वनों से काष्ठ कोयला प्राप्त होता है, जो सस्ता ईंधन होने के साथ ही ऊर्जा-शक्ति का सस्ता व सुलभ स्रोत भी है। भारतीय वनों में कुछ ऐसे वृक्ष भी पाए जाते हैं, जिनके फलों, पत्तियों व वृक्ष-छालों तथा उनके रसों से अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां तैयार की जाती हैं। वनों से रेशम और लाख भी प्राप्त होती है, जिससे वस्त्र और चूड़ी आदि का निर्माण होता है।

 

लेखनीय

महाराष्ट्र के प्रमुख अभयारण्यों की जानकारी निम्न मुद्‍दों के आधार पर लिखिए:

उत्तर: महाराष्ट्र भारत का एक काफी अधिक लोकप्रिय राज्य है जहां पर बहुत सारे वन्यजीव अभयारण्य हैं। यदि आप भी एक प्रकृति प्रेमी हैं तो आपको महाराष्ट्र के इन बेहतरीन वन्यजीव अभ्यारण्यों की सैर के लिए जरूर जाना चाहिए।

 

नाम: नागझिरा वन्यजीव अभयारण्य

स्थान: भंडारा-गोंदिया

विशेषताएं

  • विभिन्न प्रजातियों के पक्षी 
  • जंगली जानवर के अनेकों प्रकार
  • सुंदर झीलें 

 

नाम: मेलघाट वन्यजीव अभयारण्य 

स्थान: अमरावती

विशेषताएं

  • टाइगर
  • प्राकृतिक नजारे 

 

नाम: बोर वन्यजीव अभयारण्य 

स्थान: हिंगानी, वर्धा

विशेषताएं

  • अनेकों प्रकार के पक्षियों और जानवरों की प्रजातियां
  • अनूठे प्राकृतिक दृश्य 

 

नाम: पैनगंगा वन्यजीव अभयारण्य

स्थान: यवतमाल-नांदेड

विशेषताएं

  • अनेकों प्रकार के पक्षियों और जानवरों की प्रजातियां
  • अनूठे प्राकृतिक दृश्य 

 

नाम: कोयना वन्यजीव अभयारण्य 

स्थान: सातारा

विशेषताएं

  • अनेकों प्रकार के वन्यजीवों की प्रजातियां पाई जाती हैं
  • हरियाली और मनमोहक दृश्य 

 

नाम: सागरेश्वर वन्यजीव अभयारण्य

स्थान: सांगली

विशेषताएं:

  • प्रकृति के सुंदर नजारे
  • अनेकों प्रकार के जंगली जानवर 

 

नाम: नागझिरा वन्यजीव अभयारण्य

स्थान: भंडारा-गोंदिया

विशेषताएं:

  • विभिन्न प्रजातियों के पक्षी 
  • जंगली जानवर के अनेकों प्रकार 
  • सुंदर झीलें 

 

नाम: भामरागढ़ वन्यजीव अभयारण्य 

स्थान: चंद्रपुर

विशेषताएं:

  • विभिन्न प्रजातियों के जंगली जानवर
  • प्राकृतिक सुंदरता के दृश्य
  • आम, जामुन, कुसुम जैसे पेड़ों का काफी व्यापक साम्राज्य। 

 

आसपास

अपने गाँव/शहर के वन विभाग अधिकारी से उनके कार्यसंबंधी जानकारी प्राप्त कीजिए।

उत्तर: (छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए)

 

श्रवणीय

‘मानो सूखा वृक्ष बोल रहा है’, उसकी बातें निम्‍न मुद्दो के आधार पर ध्यान से सुनिए :

उत्तर:

बीज: मैं बीज हूँ। मैं भूमि के गर्भ में बोया जाता हूँ और जब मेरे अंदर अंकुर फूट कर भूमि के सीने को चीर कर बाहर निकलते हैं, तब मैं पल्लवित होता हूँ, पुष्पित होता हूँ और पौधे का रूप लेता हूं।

 

बचपन : मेरा बचपन माली की देखरेख में बीतता है, जो मुझे पानी देता है खाद देता है। मैं धीरे-धीरे विकसित होता हुआ पेड़ बनता हूँ।

 

ऋतुओं का परिणाम : ऋतुओं का परिणाम मुझ पर अलग-अलग परिणाम होता है। पतझड़ ऋतु में मेरे सारे पत्ते झड़ जाते हैं, जो पतझड़ के बाद बसंत ऋतु आती है जो मेरे जीवन में बहार लेकर आती है।

बसंत ऋतु में मेरे सारे पत्ते हरे-भरे हो जाते हैं। मैं अपनी पुरानी रैली को प्राप्त कर लेता हूँ। यह मेरे लिए उत्सव के समान होता है। अगले वर्ष फिर पतझड़ आना है। मेरे पत्ते झड़ने हैं, यही जीवन का मेरे जीवन का चक्र लगा रहना है। सर्दी की ऋतु में मैं कड़ाके की सर्दी झेलता हुआ अविचल खड़ा रहता हूँ, तो गर्मी की ऋतु में मैं प्रचंड गर्मी को सहता हुआ गुजरते राहगीरों को छाया प्रदान करता हूँ। 

 

मन की इच्छा : मेरे मन की इच्छा है यही है कि मैं अधिक से अधिक लोगों के काम आऊं। उनके जीवन में अपनी छाया के माध्यम से शीतलता प्रदान करूं। अपने फलों के माध्यम से उनकी भूख को शांत करूँ। अपने पत्ते, तने, वृक्ष की छाल आदि के माध्यम से उनकी अलग-अलग आवश्यकताओं को पूरा करूँ। एक पेड़ के मन की यही इच्छा होती है और यही उसके जीवन की नियति है, वह अपने लिए नहीं परमार्थ के लिए जीता है।

पाठ के आँगन में

(१) सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :

(क) प्रवाह तालिका : कहानी के पात्र तथा उनके स्वभाव की विशेषताएँ :

IMG 20230126 055816 पाठ २ – जंगल (पूरक पठन)

उत्तर: 

IMG 20230126 055804 पाठ २ – जंगल (पूरक पठन)

(ख) पहचानिए रिश्ते :

(१) दादी – तविषा – ………………..

उत्तर: सास – बहू 

 

(२) पीयूष – शैलेश – ………………..

उत्तर: पुत्र – पिता

 

(३) तविषा – शैलेश – ……………….

उत्तर: पत्नी – पति

 

(4) शैलेश – दादी – ………………..

उत्तर: पुत्र – माता

 

२) पत्र लेखन :-

गरमी की छुट्‌टियों में महानगरपालिका/नगर परिषद/ग्राम पंचायतों द्‌वारा पक्षियों के लिए बनाए घोंसले तथा चुग्गा-दाना-पानी की व्यवस्था किए जाने के कारण संबंधित विभाग की प्रशंसा करते हुए पत्र लिखिए।

उत्तर:

२ फरवरी, २०२२

 

सेवा में,

अध्यक्ष,

महानगरपालिका,

मुंबई, महाराष्ट्र

 

विषय : पक्षियों के लिए घोंसले तथा चुग्गा दाना-पानी की व्यवस्था किए जाने पर अभिनंदन हेतु पत्र।

 

महोदय,

आपको यह पत्र में एक विशेष उद्देश्य से लिख रही हूँ। में कक्षा नौवीं की छात्रा हूँ। प्रातः भ्रमण मेरा शौक है। गरमी की छुट्टियों मैं मैं सूर्य उगने से बहुत पहले घूमने के लिए निकल जाती हैं। इस के बार मैंने अनुभव किया कि सड़क के दोनों ओर स्थित वृक्षों पर पक्षियों की चहचहाहट बहुत अधिक है। पक्षियों के ये विभिन्न स्वर कानों को मधुर संगीत जैसे लगते थे।

 

जब मैंने ध्यानपूर्वक इसका कारण जानने की कोशिश की, तो देखा कि आपके विभाग द्वारा बहुत से घोंसले वितरित किए गए हैं, ताकि पक्षी उनमें अपना संसार बसा सकें। साथ ही अनेक स्थानों पर मैंने पानी से भरे कुंडे भी देखे। पार्कों में, चौराहों पर पक्षियों के लिए अनाज बिखरा हुआ देखा।

 

वास्तव में आपके विभाग द्वारा पक्षियों के संवर्धन के लिए किए गए ये कार्य सराहनीय हैं, अभिनंदनीय हैं।

धन्यवाद!

 

आपकी विश्वासी,

शिफा खान

मुंबई – ४०० ०७०

xyz@abc.com

 

३) कहानी लेखन :-

दिए गए शब्दों की सहायता से कहानी लेखन कीजिए। उसे उचित शीर्षक देकर प्राप्त होने वाली सीख भी लिखिए :-

अकाल, तालाब, जनसहायता, परिणाम

उत्तर: 

राजस्थान के जयपुर शहर में एक गाँव है। इस गाँव में आज से एक दशक पहले तक स्थिति बहुत भयानक थी। पानी की बहुत कमी थी जिससे यहाँ के लोगों का जीना दूभर हो गया था। लोग सेठ साहुकारों के कर्ज से दबे थे। अशिक्षा, गरीबी जैसी महामारी से जूझ रहे थे। उसपे पिछले दो वर्षों से वर्षा भी नहीं हुई। जैसे इस गाँव में किसी का श्राप हो आखिरकार इस मुसीबत से लड़ने का गाँव वालों ने फैसला कर लिया। गाँव में रहने वाले एक हजार युवा पीढ़ी ने गाँव से २० किलोमीटर टूर पर बहने वाली एक नदी से अपने गाँव तक नहर खोदकर लाने का फैसला कर लिया। और उस पानी को संचित स्वरूप में रखने के लिए कई छोटे छोटे तालाब बनाने की योजना बनाई।

 

जन सहायता से आखिरकार इस योजना को साकार कर लिया गया। लोगों ने दिन-रात कड़ी मेहनत करके चार दिन के अंदर ही नहर खोदने का काम पूरा कर लिया। और पाँचवे दिन उस नहर में पानी आ गया। गाँव के लोगों को उनके मेहनत का परिणाम मिल ही गया। लोगों में खुशी उमड़ गई, लोगों ने एक टूसरे को बधाई दी।

 

किसानों ने अपनी अपनी खेती का काम शुरू किया। तालाब भरने लगे। गाँव में खुशि लौट आई। कुछ वर्षों बाद अनाज का उत्पादन इतना हुआ कि लोगों ने उसे बेचकर लाखों रुपया कमाया। गाँव में पशुओं की संख्या भी बढ़ गई दूध-दही का उत्पादन इतना बढ़ गया कि लोगों ने उसके व्यापार से भी काफी पैसा कमाया। अब इस गाँव में कोई गरीब और कर्जदार नहीं रहा। गाँव में विद्यालय, हॉस्पिटल, कई उद्योग धंधे शुरू हो गए,’ जिससे यह गाँव समृद्ध हो गया।

 

सीख : मनुष्य यदि मुसीबतों का सामना करे तो उसे कोई न कोई राह मिल ही जाती है।

 

पाठ से आगे

पालतू प्राणियों के लिए आप क्या करते हैं, विस्तार पूर्वक लिखिए ।

उत्तर: पालतू प्राणी हमारे लिए बहुत उपयोगी होते हैं। हम उनका हर तरह से ध्यान रखते हैं। टॉमी मेरा कुत्ता है। उसे मैं बहुत प्यार करता हूँ। उसका एक प्यारा-सा घर है। में रोज उसे नहलाता हूँ, हालाँकि उसे नहाना बिलकुल पसंद नहीं है। उसकी व उसके घर की सफाई का ध्यान रखता हूँ। में ही उसे वैक्सीन आदि के लिए डॉक्टर के यहाँ लेकर जाता हूँ। में उसके साथ खेलता हूँ। उसे बाहर घुमाने ले जाता हूँ। उसके खिलाने-पिलाने की जिम्मेदारी मैंने ही ले रखी है। टॉमी हर समय मेरे साथ रहना पसंद करता है।