Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Ten

पाठ ७ – महिला आश्रम

‘महिला आश्रम’ एक पत्रात्मक पाठ है। यहाँ पर दो पत्र दिए गए हैं। दोनों पत्र लेखक काका कालेलकर जी द्वारा सरोज को लिखे गए हैं। इन पत्रों के द्वारा उन्होंने महिला आश्रम की स्थापना के लिए सरोज का मार्गदर्शन किया है। उन्होंने बहुत ही सरल एवं स्पष्ट शब्दों में आश्रम के नियमों से सरोज को परिचित कराया है। उनके अनुसार महिला आश्रम के लिए किसी से पैसे माँगने की जरूरत नहीं है। वह किसी एक धर्म से जुड़ा नहीं होना चाहिए। आश्रम में स्वावलंबन, सदाचार, सेवा-भक्ति आदि के वातावरण का आग्रह होता है। लेखक प्रकृति से अपार प्रेम करते थे। तरह-तरह के फूल व पौधे उन्हें प्यारे लगते थे। वे गांधीवादी विचारधारा के समर्थक थे। वे गांधीजी के आदेशानुसार हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए उर्दू सीख रहे थे और उन्होंने सरोज को भी उर्दू सीखने के लिए कहा।

कलह – विवाद, झगड़ा

कुढ़न – खीझ

बेखटके – बिना किसी संकोच के, निसंकोच

लेखनीय

मानवतावाद पर विचार सुनिए ।

उत्तर: मानवतावाद एक दार्शनिक और नैतिक रुख है जो व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से मनुष्य के मूल्य और एजेंसी पर जोर देता है। यह तर्क, करुणा और आलोचनात्मक सोच के महत्व पर जोर देता है, इस विचार को बढ़ावा देता है कि मनुष्यों में अलौकिक विश्वासों की आवश्यकता के बिना नैतिक और पूर्ण जीवन जीने की क्षमता है। यह मानवीय क्षमता, गरिमा और समाज को आकार देने में मानवीय मूल्यों के महत्व पर जोर देता है। मानवतावाद के कई समर्थक मानव अधिकारों, सामाजिक न्याय और समाज की भलाई के लिए ज्ञान और शिक्षा की उन्नति की वकालत करते हैं।

पठनीय

अंतरिक्ष विज्ञान में ख्याति प्राप्त दो महिलाओं की जानकारी पढ़िए ।

उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।

संभाषणीय

‘अनुशासन स्‍वयं विकास का प्रथम चरण है’, कथन पर चर्चा कीजिए ।

उत्तर: अनुशासन मानव जीवन का आवश्यक अंग है। अनुशासन का अर्थ हैं नियमों का पालन करना। मनुष्य विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। अनुशासन का पालन करने से मनुष्य सुखद और उज्ज्वल भविष्य की राह निर्धारित करता है। अनुशासित जीवन शैली व्यक्ति को स्वस्थ रखती है। अनुशासन के कारण काम करने का दृढ़ संकल्प व्यक्ति के मन में बना रहता है। अनुशासन का पालन करने से व्यक्ति नियम-कानून के अनुसार काम करता है और अपने लक्ष्य पर निगाह बनाए रखता है। इस प्रकार अनुशासन से ही मनुष्य का पूर्ण विकास संभव है। इसलिए कहा गया है कि अनुशासन स्वयं विकास का प्रथम चरण है।

लेखनीय

किसी सामाजिक संस्‍था की जानकारी लिखिए ।

उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।

स्‍वाध्याय

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(१) संजाल पूर्ण कीजिए :

IMG 20231101 111340 पाठ ७ – महिला आश्रम

उत्तर: 

20231101 114209 0000 पाठ ७ – महिला आश्रम

(२) कारण लिखिए :

१. काका जी ने कंपास बॉक्‍स मँगाकर रखा –

उत्तर: क्योंकि वे तारों के नक्शे बनाना चाहते हैं।

 

२. लेखक ने फूल के गमले अपने पास से निकाल दिए –

उत्तर: क्योंकि उनकी तरफ ध्यान देने की उनकी इच्छा नहीं होती है।

(३) लिखिए :

१. जिन्हें ‘ता’ प्रत्‍यय लगा हो ऐसे शब्‍द पाठ से ढूँढ़कर उन प्रत्‍ययसाधित शब्‍दों की सूची बनाइए ।

IMG 20231101 111358 पाठ ७ – महिला आश्रम

उत्तर:

IMG 20231101 115102 पाठ ७ – महिला आश्रम

२. पाठ में प्रयुक्‍त पर्यायवाची शब्‍द लिखकर उनका  स्‍वतंत्र वाक्‍यों में प्रयोग कीजिए ।

उत्तर: 

(१) कलह : विवाद या झगड़ा 

वाक्य : उन दोनों में कलह हुआ।

(२) कुड़न : खीझ 

वाक्य : उसकी बात पर मुझे कुढ़न हुई।

(३) व्यवस्था : प्रबंध 

वाक्य : मैने मेहमानों के खाने-पीने की व्यवस्था की।

(४) फूल : सुमन 

वाक्य : मैने बाजार से गुलाब के पाँच फूल लाए।

(५) आँख : नयन 

वाक्य : उसकी एक आँख तिरछी है।

(६) कमजोर : अशक्त 

वाक्य : वह बहुत कमजोर हो गया है। 

(७) ध्यान : एकाग्रता 

वाक्य : मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।

(८) एकता : ऐक्य 

वाक्य : एकता में शक्ति होती है।

(९) आराम : विश्राम 

वाक्य : परिश्रम के बाद आराम अत्यंत आवश्यक होता है।

(१०) रास्ता : पथ 

वाक्य : मेरा रास्ता मत काटो।

(११) चिरंजीव : दीर्घायु 

वाक्य : भीष्म को चिरंजीव बने रहने का वरदान मिला था।

(४) प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :

IMG 20231101 111411 पाठ ७ – महिला आश्रम

उत्तर:

IMG 20231101 115047 jpg पाठ ७ – महिला आश्रम

अभिव्यक्ति

‘पत्र लिखने का सिलसिला सदैव जारी रहना चाहिए’ इस संदर्भ में अपने विचार लिखिए ।

उत्तर: पत्र लेखन एक कला है। पत्रों का हमारे जीवन में सदैव महत्त्वपूर्ण स्थान बना रहेगा। कई महापुरुषों द्वारा लिखे गए पत्रों से हमें कई प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है। महापुरुषों द्वारा लिखे गए पत्रों में अनुभवों का भण्डार भरा हुआ होता है। ऐसे पत्र हमारे पथ-प्रदर्शक होते हैं। रिश्तेदार एवं मित्रों को लिखे गए पत्रों में एक अपनापन होता है; मिठास होती है। व्यक्ति पत्र लिखते समय अपने मन के भावों को भी उसमें उतारता है। पत्र दो व्यक्तियों को भावात्मक दृष्टि से बाँध देते हैं। कहा भी गया है, पत्र किसी भी भाषा में लिखा जाए, उसमें छिपा प्रेम एक होता है। इसलिए हर व्यक्ति पत्रों को सँभाल कर रखता है। यदि व्यक्ति अपनेपन व प्रेम की भावना को बनाए और संजोए रखना चाहता है, तो उसे पत्र लिखने का सिलसिला सदैव जारी रखना चाहिए।

उपयोजित लेखन

‘संदेश वहन के आधुनिक साधनों से लाभ-हानि’ विषय पर अस्सी से सौ शब्‍दों तक निबंध लिखिए । 

उत्तर: संदेश वहन मानव की प्रगति के लिए महत्त्वपूर्ण है। इस दुनिया के एक देश में बैठे लोगों को दूसरे देशों से जोड़ता है। आज मानव सभ्यता प्रगति की ओर अग्रसर है। इसका मुख्य श्रेय संदेश वहन के आधुनिक साधनों को ही जाता है।

 

ई-मेल, दूरभाष, ट्विटर, फैक्स, फेसबुक मैसेज, व्हॉटसएप, ये संदेश वहन के आधुनिक साधन हैं। इनके माध्यम से दो या दो से अधिक व्यक्ति एक-दूसरे से मीलों दूर रहकर भी आपस में बातचीत और संदेशों का आदान-प्रदान कर सकता हैं। इतना ही नहीं वे एक-दूसरे को स्क्रीन पर प्रत्यक्ष देख भी सकते हैं। फैक्स मशीनों के द्वारा कागज पर लिखकर दूसरे देश में बैठे व्यक्ति को संदेश भेजा जा सकता है। ई-मेल को फैक्स का उत्तम रूप माना जा सकता है। संदेश वहन के साधनों के कारण सभी देशों का आपसी संपर्क बढ़ गया है। आज व्यापार से संबंधित कार्य संदेशवहन के कारण घर या कार्यालय में बैठे-बैठे संपन्न किए जा सकते हैं।

 

संदेश वहन के जिस प्रकार कुछ लाभ हैं वैसी ही कुछ हानियाँ भी हैं। कोई-कोई लोग दिन-रात ई-मेल, मोबाइल, ट्विटर, फैक्स, फेसबुक मैसेज, व्हाटसएप का इस्तेमाल करते हैं; जिससे उनकी आँखों की रोशनी कमजोर हो जाती है। इस रोग से महीनों तथा वर्षों तक छुटकारा नहीं मिल पाता। संदेश वहन के साधनों का लगातार इस्तेमाल करने से व्यक्ति मानसिक तनाव का शिकार हो जाता है। जिससे व्यक्ति का स्वास्थ्य घातक रूप से प्रभावित होता है।

भाषा बिंदु

(१) निम्‍न वाक्‍यों में अधोरेखांकित शब्‍द समूह के लिए कोष्‍ठक में दिए गए मुहावरों में से उचित मुहावरे का चयन कर वाक्‍य फिर से लिखिए :

आँख

उत्तर: 

१. आँख दिखाना

अर्थ : गुस्सा होना

वाक्‍य : यदि अजय को कोई कुछ काम के लिए कहता है, तो वह तुरंत आँख दिखाता है।

 

२. आँख का तारा होना 

अर्थ : बहुत प्रिय होना।

वाक्‍य : हर बच्चा अपने माता-पिता की आँख का तारा होता है।

 

मुँह

उत्तर: 

१. मुँह ताकना

अर्थ : दूसरे पर आश्रित होना।

वाक्‍य : आलसी लोग काम के लिए हमेशा दूसरों का मुँह ताकते रहते हैं।

 

२. कलेजा मुँह को आना

अर्थ : बहुत घबरा जाना।

वाक्‍य : अचानक बिजली चले जाने से मेरा कलेजा मुँह को आ गया।

 

दाँत

उत्तर: 

१. दाँत खट्टे करना

अर्थ : लड़ाई में हराना।

वाक्‍य : पांडवों ने कौरवों के दाँत खट्टे कर दिए।

 

२. दाँतों तले ऊँगली दबाना

अर्थ : आश्चर्यचकित होना।

वाक्‍य : जादूगर का जादू देखकर मैंने दाँतों तले ऊँगली दबा ली।

 

हाथ

उत्तर: 

१. अपनी जान से हाथ धोना

अर्थ : मरना।

वाक्‍य : हाइवे पर गाड़ी ज्यादा तेज़ चलाने पर कई लोग अपनी जान से हाथ धो चुके हैं।

 

२. दाहिना हाथ होना

अर्थ : बहुत बड़ा सहायक होना।

वाक्‍य : सरदार वल्लभभाई पटेल गांधीजी के दाहिने हाथ थे।

 

हृदय

उत्तर: 

१. हृदय रो पड़ना

अर्थ : अत्यधिक दुखी होकर रोना । 

वाक्‍य : इकलौते बेटे की मृत्यु पर माँ का हृदय रो पड़ा।

 

२. हृदय से लगाना

अर्थ : गले लगाना।

वाक्‍य : ससुराल जाते समय माँ ने अपनी बेटी को हृदय से लगाया।

उपयोजित लेखन

अपने मित्र/सहेली को जिला विज्ञान प्रदर्शनी में प्रथम पुरस्‍कार प्राप्त होने के उपलक्ष्य में बधाई देते हुए निम्न प्रारूप में पत्र लिखिए ।

IMG 20231101 111446 पाठ ७ – महिला आश्रम

उत्तर: 

१० जनवरी २०१८

 

प्रिय मित्र निकेतन, 

सप्रेम नमस्ते ।

          निकेतन, तुम कैसे हो ? आशा करता हूँ कि तुम ठीक होगे। मैं भी यहाँ पर ठीक हूँ।

 

          कल ही मैने समाचार पत्र में पढ़ा कि तुम्हें जिला विज्ञान प्रदर्शनी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह समाचार पढ़कर मैं फूला न समाया । इसलिए तुम्हें हार्दिक बधाई देने के लिए मैं यह पत्र लिख रहा हूँ। तुम्हें विज्ञान में बेहद रूचि है। तुम हमेशा विज्ञान से संबंधित पुस्तकों का वाचन करते रहते हो मुझे तुम पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है। मुझे याद है, तुमने विज्ञान प्रदर्शनी के लिए मॉडल एवं प्रकल्प तैयार करने के लिए पिछले महीने से ही तैयारी शुरू कर दी थी। आखिर, तुम्हारी मेहनत रंग लाई और तुम्हें प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। तुम्हारे द्वारा निर्मित यह प्रकल्प तुम्हारी सृजनात्मकता एवं प्रतिभा की गवाही देता है। सचमुच, तुम मेरे मित्र हो, यह मेरे लिए बड़ी खुशी की बात है। मेरे परिवार वालों ने भी तुम्हें हार्दिक बधाई दी है।

 

          और क्या लिखूँ ? तुम्हारी प्रशंसा के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं है। जैसे ही ग्रीष्मावकाश शुरू हो जाएँ वैसे ही तुम मेरे घर पर रहने के लिए आ जाना। मैं तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा। अपनी माता जी एवं पिता जी को मेरा सादर प्रणाम कहना ।

 

कुमार संदेश जोशी 

२०२, पारिजात, 

नारायण मार्ग, 

मुंबई – ४०० ०२०.

kumarsandesh511@gmail.com