Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Ten

पाठ ६ – हम इस धरती की संतति हैं

भारत जिस प्रकार वीरों की भूमि है उसी प्रकार वीरांगनाओं की भी भूमि है। भारत देश का इतिहास इतना संपन्न एवं समृद्ध है कि इस देश का कोई भी राज्य अछूता नहीं होगा, जहाँ से वीर-वीरांगनाएँ देश पर मर मिटने के लिए आगे न आएँ हों ? भारत देश की अखंडता बरकरार रखने के लिए विविध-बालाओं ने भी त्याग एवं बलिदान का उदाहरण स्थापित किया है। ध्रुव, प्रहलाद, भरत, रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, चाँद बीबी, रजिया सुल्ताना, रानी पद्मिनी देवी, सावित्री आदि सब भारत माता की लाड़ली संतान हैं। इन सभी के अनमोल कार्यों ने ही भारत माता का मान बढ़ाया है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए वर्तमान बाल-बालाओं को एक-दूसरे का साथ देना है और भारत माता को प्रगति की ओर जाना है। यही इस काव्य का प्रमुख सार है।

दतुली – दाँत

शऊर – अच्छी तरह काम करने की योग्‍यता या ढंग, बुद्‌धि

जौहर – राजस्‍थान में प्राचीन समय में प्रचलित प्रथा। इसमें स्‍त्रियाँ विदेशी आक्रमणकारियों से अपने स्‍वाभिमान की रक्षा के लिए अग्‍नि में प्रवेश कर प्राणों की आहुति दे देती थीं । 

खफा – अप्रसन्न, नाराज, रुष्‍ट, क्रुद्ध

टंटा – व्यर्थ का झंझट, खटराग, उपद्रव, उत्‍पात, झगड़ा, लड़ाई 

 

मुहावरे

शेखी बघारना – स्‍वयं अपनी प्रशंसा करना

वाक्य : बलवान लोग शेखी बघारना नही जानते है वे सिधा अपना असर दिखाते है ।

 

डींग मारना – बड़ी-बड़ी बातें करना

वाक्य : मेरा दोस्त हमेशा अपने भाई के दुबई में रहने की डींगे मारता रहता है।

हम उस धरती के लड़के हैं, जिस धरती की बातें 

क्‍या कहिए; अजी क्‍या कहिए; हाँ क्‍या कहिए ।

यह वह मिट्टी, जिस मिट्टी में खेले थे यहाँ ध्रुव-से बच्चे ।

 

अर्थ : भारत वीरों को भूमि है। त्याग व बलिदान की भूमि है। इस बात को ध्यान में रखते हुए बड़े जोश एवं आवेश के साथ भारतमाता के ये प्यारे सपूत लड़कियों को संबोधित करते हुए कहते हैं, “हम उस धरती के पुत्र हैं, जिसका वर्णन करने के लिए हमारे पास शब्द ही नहीं है। यह धरती बहुत महान है। इस धरती की मिट्टी में ध्रुव जैसे कई तपस्वी पुत्र खेले थे।”

 

 

यह मिट्टी, हुए प्रहलाद जहाँ, जो अपनी लगन के थे सच्चे ।

शेरों के जबड़े खुलवाकर, थे जहाँ भरत दतुली गिनते,

जयमल-पत्‍ता अपने आगे, थे नहीं किसी को कुछ गिनते !

 

अर्थ : भारत की इस पवित्र मिट्टी से भक्त प्रह्लाद जैसे सच्चे बच्चों ने जन्म लिया। भरत बचपन से ही इतने बहादुर एवं साहसी थे कि वे शेरों के साथ युद्ध करके उन्हें हराते थे और उनके जबड़ों को फैलाकर उनके दाँत गिनने से भी नहीं डरते थे। चित्तौड़ की रक्षा करने हेतु अपने दोनों हाथों में तलवार लेकर लड़ने वाले सर्वश्रेष्ठ योद्धा जयमल ने अकबर की सेना का संहार किया था। ऐसे वीर बच्चों ने भारत की धरती पर जन्म लिया था।

 

 

इस कारण हम तुमसे बढ़कर, हम सबके आगे चुप रहिए ।

अजी चुप रहिए, हाँ चुप रहिए । हम उस धरती के लड़के हैं …

 

अर्थ : “लड़कों का समूह अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहता है कि हे लड़कियों! हम तुम सबसे महान हैं। हम लड़कों के आगे तुम लोग चुप रहिए। अजी लड़कियों चुप रहिए। हम इस धरती के वीर एवं बहादुर बच्चे हैं।”

 

 

बातों का जनाब, शऊर नहीं, शेखी न बघारें, हाँ चुप रहिए ।

हम उस धरती की लड़की हैं, जिस धरती की बातें क्‍या कहिए ।

 

अर्थ : भारत वीरांगनाओं की भी भूमि हैं। इस बात को सिर्फ ध्यान में रखते हुए बड़े जोश एवं आवेश के साथ भारतमाता की ये लाड़ली कन्याएँ लड़कों को संबोधित करते हुए कहती हैं, “आप सिर्फ बातें करने में माहिर हो। आप लोगों के पास बातें करने का कोई ढंग भी नहीं है। अब आप अपनी शेखी मत बघारिए, चुप हो जाइए। अब हमारे बारे में सुनिए। हम उस धरती की कन्याएँ हैं, जिसके बारे में क्या कहना ?”

 

 

अजी क्‍या कहिए, हाँ क्‍या कहिए ।

जिस मिट्टी में लक्ष्मीबाई जी, जन्मी थीं झाँसी की रानी ।

रजिया सुलताना, दुर्गावती, जो खूब लड़ी थीं मर्दानी ।

जन्मी थी बीबी चाँद जहाँ, पद्‌मिनी के जौहर की ज्‍वाला ।

सीता, सावित्री की धरती, जन्मी ऐसी-ऐसी बाला । 

गर डींग जनाब उड़ाएँगे, तो मजबूरन ताने सहिए, ताने सहिए, ताने सहिए ।

हम उस धरती की लड़की हैं…

 

अर्थ : “भारत की इस मिट्टी में रानी लक्ष्मीबाई ने जन्म लिया था। जिसने अपनी झाँसी की रक्षा करने हेतु स्वयं को कुर्बान कर दिया था। इस मिट्टी में रजिया सुलताना एवं महारानी दुर्गावती ने भी जन्म लिया था। इन रानियों ने रणभूमि में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया था। इस मिट्टी में रानी चाँद बीबी ने जन्म लिया था, जिनकी वीरता को कोई कैसे भूल सकता है! दुश्मन से स्वयं की प्रतिष्ठा एवं मान-मर्यादा की लाज रखने हेतु रानी पद्मिनी ने जौहर किया था। उनके इस त्याग को कोई भला कैसे भूल सकता है! इस भारत की भूमि पर देवी सीता व सावित्री जैसी पतिव्रताओं ने भी जन्म लिया था। अगर आप लोग बड़ी-बड़ी बातें करने से बाज नहीं आओगे, तो हम भी मजबूरन आप सभी पर ताना कसने से पीछे नहीं हटेंगी। आखिर हम भी इसी धरती की ही लड़कियाँ हैं। “

 

 

यों आप खफा क्‍यों होती हैं, टंटा काहे का आपस में । 

हमसे तुम या तुमसे हम बढ़-चढ़कर क्‍या रक्‍खा इसमें ।

झगड़े से न कुछ हासिल होगा, रख देंगे बातें उलझा के ।

बस बात पते की इतनी है, ध्रुव या रजिया भारत माँ के । 

भारत माता के रथ के हैं हम दोनों ही दो-दो पहिये, अजी दो पहिये, हाँ दो पहिये ।

हम उस धरती की संतति हैं ….

 

अर्थ : लड़के व लड़कियाँ आपस में समझ जाते हैं कि हमें आपस में लड़ना नहीं चाहिए। आखिर, हम सब इस धरती की संतति हैं। इसलिए वे दोनों मिलकर कहते हैं, “हम सभी के लिए नाराज होने जैसी कोई भी बात नहीं है। हम आपस में झगड़ा क्यों करें? हममें से कौन महान है, इसमें कुछ भी नहीं रखा है। आपस में झगड़ने से कुछ भी हासिल नहीं होगा, सिर्फ हम बातों को उलझा देंगे। बस, एक ही बात महत्त्वपूर्ण है, ध्रुव हो या रजिया सुलताना एक ही भारत माता के बच्चे हैं। हम सब एक ही भारत माता रूपी रथ के दो पहिए हैं। आखिर, हम सब उसी पवित्र, महान एवं उदात्त धरती की संतति हैं।”

स्‍वाध्याय

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(१) वर्गीकरण कीजिए :

पद्यांश में उल्लिखित चरित्र-ध्रुव, प्रह्लाद, भरत, लक्ष्मीबाई, रजिया सुलताना, दुर्गावती, पद्‌मिनी, सीता, चाँदबीबी, सावित्री, जयमल

IMG 20231031 143026 पाठ ६ – हम इस धरती की संतति हैं

उत्तर: 

IMG 20231031 143544 पाठ ६ – हम इस धरती की संतति हैं

(२) विशेषताओं के आधार पर पहचानिए :

१. भारत माता के रथ के दो पहिये – 

उत्तर: लड़का – लड़की (स्त्री – पुरुष)

 

२. खूब लड़ने वाली मर्दानी – 

उत्तर: रानी लक्ष्मीबाई

 

३. अपनी लगन का सच्चा – 

उत्तर: प्रह्लाद

 

४. किसी को कुछ न गिनने वाले – 

उत्तर: जयमल 

(३) सही/गलत पहचानकर गलत वाक्‍य को सही करके वाक्‍य पुन: लिखिए :

१. रानी कर्मवती ने अकबर को राखी भेजी थी ।

उत्तर: गलत

सही वाक्य : रानी कर्णावती ने अकबर को राखी भेज थी।

 

२. भरत शेर के दाँत गिनते थे ।

उत्तर: सही 

 

३. झगड़ने से सब कुछ प्राप्त होता है ।

उत्तर: गलत

सही वाक्य : झगड़ने से बातें और उलझ जाती है।

 

४. ध्रुव आकाश में खेले थे ।

उत्तर: गलत

सही वाक्य : ध्रुव मिट्टी में खेले थे।

(४) कविता से प्राप्त संदेश लिखिए ।

उत्तर: स्त्री व पुरुष एक समान होते हैं। कोई एक-दूसरे से बड़ा या छोटा नहीं होता। दोनों का अस्तित्व समाज व देश के लिए अत्यावश्यक होता है। स्त्री-पुरुष समानता पर सभी को बल देना चाहिए। इसलिए वर्तमान बालकों बालिकाओं को एक-दूसरे का साथ देना है तथा भारत माता को प्रगति की ओर ले जाना है। क्योंकि वे हो आनेवाले भारत की पीढ़ी हैं। राष्ट्र के विकास की आधारशिला हैं।