पाठ ८ – अपनी गंध नहीं बेचूँगा
प्रस्तुत गीत के माध्यम से बालकवि बैरागी ने समझाया है कि स्वाभिमान ही जीवन है। व्यक्ति को परिस्थिति के प्रतिकूल होने के बावजूद भी अपने स्वाभिमान को नहीं बेचना चाहिए। स्वाभिमान व्यक्ति को जीवन में ऊँचा उठाने में सहायक सिद्ध होता है। स्वाभिमान के कारण ही व्यक्ति तेजस्वी बनता है । कवि कहते हैं कि फूल के पास अपनी गंध होती है। हम फूल की पंखुड़ियों को एक-दूसरे से अलग कर सकते हैं, लेकिन चाहकर भी उसकी गंध को उससे अलग नहीं कर सकते। फूल अपनी स्वाभिमान रूपी गंध से अलग नहीं होना चाहता। इसलिए वह कहता है कि चाहे कुछ भी हो जाए वह अपनी गंध नहीं बेचेगा।
गंध – महक, बास
कोंपल – नई कोमल पत्तियाँ
अरुणाई – लालिमा, लाली
अनुबंध – समझौता, प्रतिज्ञा पत्र
प्रतिबंध – रुकावट, विघ्न
चाहे सभी सुमन बिक जाएँ चाहे ये उपवन बिक जाएँ
चाहे सौ फागुन बिक जाएँ पर मैं गंध नहीं बेचूँगा
अपनी गंध नहीं बेचूँगा ।।
अर्थ : फूल कहता है कि चाहे भले ही सारे सुमन बिक जाएँ या चाहे सारे उपवन भी बिक जाएँ। इतना ही नहीं चाहे सौ फागुन भी बिक जाएँ फिर भी वह अपनी गंध नहीं बेचेगा। चाहे परिस्थिति प्रतिकूल हो या अनुकूल वह अपनी गंध बेचने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं होगा । वह अपने स्वाभिमान को मिटने नहीं देना चाहता।
जिस डाली ने गोद खिलाया जिस कोंपल ने दी अरुणाई
लछमन जैसी चौकी देकर जिन काँटों ने जान बचाई
इनको पहिला हक आता है चाहे मुझको नोचें-तोड़ें
चाहे जिस मालिन से मेरी पँखुरियों के रिश्ते जोड़ें
ओ मुझपर मँड़राने वालो मेरा मोल लगाने वालो
जो मेरा संस्कार बन गई वो सौगंध नहीं बेचूँगा ।
अपनी गंध नहीं बेचूँगा ।।
अर्थ : फूल कहता है कि पेड़ की डाली ने उसे अपनी गोद में खिलाया है और नई कोमल पत्तियों ने उसे लालिमा प्रदान की है। काँटों ने उसकी रक्षा के लिए लक्ष्मणरेखा जैसी चौकी बनाकर उसकी जान बचाई है। इन सभी के अनंत उपकार वह भूलना नहीं चाहता। इसलिए वह कहता है कि इन सभी को मुझे नोचने-तोड़ने अथवा किसी भी मालिन को समर्पित करने का पहला हक है। फूल उस पर मँडराने वाली तितलियों को और उसका मोल लगाने वालों को बड़े ही स्वाभिमान से कहता है कि उसकी सौगंध उसका संस्कार है। उसे वह कदापि नहीं बेचेगा। चाहे कुछ भी हो पर वह अपनी गंध नहीं बेचेगा।
मौसम से क्या लेना मुझको ये तो आएगा-जाएगा
दाता होगा तो दे देगा खाता होगा तो खाएगा ।
कोमल भँवरों के सुर सरगम पतझरों का रोना-धोना
मुझपर क्या अंतर लाएगा पिचकारी का जादू-टोना
ओ नीलाम लगाने वालो पल-पल दाम बढ़ाने वालो
मैंने जो कर लिया स्वयं से वो अनुबंध नहीं बेचूँगा ।
अपनी गंध नहीं बेचूँगा ।।
अर्थ : फूल कहता है कि उसे किसी भी मौसम से सरोकार नहीं है क्योंकि मौसम तो आते-जाते रहते हैं। जो मौसम उसे प्रफुल्लित करेगा; उस दाता रूपी मौसम से वह सब कुछ प्राप्त कर लेगा और जो मौसम उससे कुछ लेकर जाएगा, उसे वह नष्ट करेगा। उसे अपने ऊपर मँडराकर गीत गाने वाले भँवरे तथा पतझड़ के रोने-धोने से भी कुछ लेना-देना नहीं है। उस पर कोई पिचकारी में कृत्रिम रंग भरकर डालेगा, तो भी उस पर किसी भी प्रकार का असर नहीं होगा। वह बड़े स्वाभिमान के साथ उसकी नीलामी लगाने वालों तथा पल-पल उसकी कीमत बढ़ानेवालों से कहता है कि उसने अपने आप से समझौता कर लिया है कि वह अपनी गंध नहीं बेचेगा।
मुझको मेरा अंत पता है पँखुरी-पँखुरी झर जाऊँगा
लेकिन पहिले पवन परी संग एक-एक के घर जाऊँगा
भूल-चूक की माफी लेगी सबसे मेरी गंध कुमारी
उस दिन ये मंडी समझेगी किसको कहते हैं खुद्दारी
बिकने से बेहतर मर जाऊँ अपनी माटी में झर जाऊँ
मन ने तन पर लगा दिया जो वो प्रतिबंध नहीं बेचूँगा ।
अर्थ : फूल कहता है कि उसे अपना अंत पता है। वह ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रह सकता। उसकी प्रत्येक पंखुड़ी एक-एक करके झर जाएगी। फिर भी वह मरने से पहले पवन परी के साथ हर एक घर में स्वच्छंद विहार करना चाहता है। यदि उससे कुछ भूल-चूक हुई होगी, तो वह अपनी गंध के द्वारा सबसे माफी माँगेगा। फूल की खुद्दारी का सभी को पता लगने में देर न लगेगी। यह मंडी रूपी दुनिया उसके स्वाभिमान से एक दिन अवश्य परिचित होगी। फूल इतना स्वाभिमानी है कि वह बिकने से बेहतर मर जाना तथा मिट्टी में झर जाना पसंद करेगा। वह अपने मन से तन पर लगाए गए प्रतिबंध से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा। वह अपनी गंध हरगिज नहीं बेचेगा।
स्वाध्याय
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
(१) कृति पूर्ण कीजिए :
उत्तर:
(२) लिखिए :
१. फूल को बिक जाने से भी बेहतर लगता है ______।
उत्तर: मर जाना
२. फूल के अनुसार उसे तोड़ने का पहला अधिकार इन्हें हैं ______।
उत्तर: डाली, कोंपल व काँटे
(३) कृति पूर्ण कीजिए :
उत्तर:
(४) सूची बनाइए :
इनका फूल से संबंध है –
१. __________
२. __________
३. __________
४. __________
उत्तर:
इनका फूल से संबंध है –
१. उपवन
२. डाली
३. कोंपल
४. काँटे
(५) कारण लिखिए :
१. फूल अपनी सौगंध नहीं बेचेगा
उत्तर: क्योंकि फूल के लिए उसकी कृतज्ञता ही उसका संस्कार बन गई है जो उसके लिए एक सौगंध है।
२. फूल को मौसम से कुछ लेना नहीं है
उत्तर: क्योंकि मौसम तो आता-जाता रहेगा।
(६) ‘दाता होगा तो दे देगा, खाता होगा तो खाएगा’ इस पंक्ति से स्पष्ट होने वाला अर्थलिखिए ।
उत्तर: इस पंक्ति में फूल कहता है कि जो मौसम उसे प्रफुल्लित करेगा; उस दाता रूपी मौसम से वह सब कुछ प्राप्त कर लेगा और जो मौसम उससे कुछ लेकर जाएगा उसे वह नष्ट करेगा। अर्थात उसे मौसम से कुछ लेना-देना नहीं है।
(७) निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर पद्य विश्लेषण कीजिए :
१. रचनाकार का नाम
२. रचना का प्रकार
३. पसंदीदा पंक्ति
४. पसंदीदा होने का कारण
५. रचना से प्राप्त संदेश/प्रेरणा
उत्तर:
(१) रचनाकार का नाम: बालकवि बैरागी
(२) रचना का प्रकार : गीत
(३) पसंदीदा पंक्ति : बिकने से बेहतर मर जाऊँ अपनी माटी में झर जाऊँ मन ने तन पर लगा दिया जो वो प्रतिबंध नहीं बेचूँगा।
(४) पसंदीदा होने का कारण : उपर्युक्त पंक्ति में फूल अपने स्वाभिमान और सम्मान के लिए मर जाना और मरकर मिट्टी में झर जाना अधिक पसंद करता है। वह इस निर्णय पर किसी भी कीमत पर अडिग रहना चाहता है। यदि व्यक्ति में सम्मान और स्वाभिमान की भावना न हो तो उसका जीवन निरर्थक होता है।
(५) कविता से प्राप्त संदेश या प्रेरणा : स्वाभिमान ही जीवन है। स्वाभिमान के बिना जीवन निरर्थक होता है। स्वाभिमान से व्यक्ति की सम्मान व प्रतिष्ठा बनी रहती है।