Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Eight

पाठ ४ - सौहार्द-सौमनस्‍य

कविता का भावार्थ :

वो छोटा है और मैं बड़ा हूँ। (अर्थात् पद, ओहदे, उम्र, जाति-पाति आदि में) यह सब बातें निरर्थक है। छोटे व बड़े में कोई भेद नहीं करना चाहिए। हमारे पाँव की धूल उड़कर हमारे ही सिर पर बैठ जाती है।

 

नफरत एक ठंडी आग है। इसमें जलना छोड़ देना चाहिए, (अर्थात् नफरत कभी किसी से नहीं करनी चाहिए। हो सके तो हमें टूटे हुए दिलों को अवश्य जोड़ना चाहिए)।

 

पौधे कभी भी हमें हमारा नाम पूछकर फूल नहीं बाँटते है, हमने ही स्वार्थ के बहुत सारे स्कूल खोल रखे है। (हमारे पास अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए अलग-अलग रास्ते है।

 

हमारा धर्म, हमारी भाषा अलग-अलग है; मगर हम सभी एक ही है। विविध रंग हमें कभी अलग नहीं कर सकते है।

 

जो दूसरों को प्यार देता है, वह स्वयं भी प्यार पाता है। प्यार में सबकुछ नकद में होता है, यहाँ उधार नहीं रहता है।

 

संसार के जर्रे जर्रे में खुदा है और कण-कण में भगवान है। मगर जर्रे को कभी कण से अलग नहीं समझना चाहिए (खुदा व भगवान अलग नहीं है, ये हमें मान लेना चाहिए)।

 

प्यार की साज संभाल हमें इसीलिए करनी चाहिए क्योंकि नफरत से नफरत बढ़ती है और प्यार से प्यार बढ़ता है ( पनपता है)।

 

तरह-तरह के फूल और फल तो बगिया की शान है और मेरा हिंदुस्तान भी मुझको एक बगीचा ही नजर आता है। (हिंदुस्तान – भारत एक ऐसा देश है जहाँ इतनी विविधता हैं, अलग-अलग जाति, धर्म के लोग एकसाथ मिलजुलकर रहते हैं)।

 

हर बार हम सब जिसके नाम पर लड़ते हैं, उसी ने सपने में आकर कहा मेरे नाम पर मत लड़ो। लड़ना बेकार है अर्थात सही नहीं है।

 

दीप से दीप जल जाएगा तो कितना अच्छा होगा मगर यह तभी संभव हो पाएगा जब दीप पास (नज़दीक) आएँगे।

शब्द वाटिका :

निर्मूल – बिना जड़ की, निरर्थक 

स्‍वारथ – स्‍वार्थ

सम्‍हार – सँभाल, सुरक्षित

जर्रा – अत्‍यंत छोटा कण

कल्‍पना पल्‍लवन

‘भारत की विविधता में एकता है’, इसे स्‍पष्‍ट करो ।

उत्तर: विश्व में भारत सबसे पुरानी सभ्यता का एक जाना-माना देश है जहाँ वर्षों से कई प्रजातीय समूह एक साथ रहते हैं। भारत विविध सभ्यताओं का देश है जहाँ लोग अपने धर्म और इच्छा के अनुसार लगभग 1650 भाषाएँ और बोलियों का इस्तेमाल करते हैं। संस्कृति, परंपरा, धर्म, और भाषा से अलग होने के बावजूद भी लोग यहाँ पर एक-दूसरे का सम्मान करते हैं साथ ही भाईचारे की भावना के साथ रहते हैं। 

 

आमतौर पर विभिन्न राज्यों में रहने वाले लोग अपनी भाषा, संस्कृति, परंपरा, परिधान, उत्सव, रुप आदि में अलग होते हैं जैसे की बंगाली, महाराष्ट्रीयन, पंजाबी, तमिलीयन, आदि के रुप में जाने जाते हैं; फिर भी वो अपने आपको भारतीय कहते हैं जो “विविधता में एकता” को प्रदर्शित करता है। भारत में लोग अपनी संपत्ति के बजाय आध्यात्मिकता, कर्म और संस्कार को महत्व देते हैं जो उन्हें और पास लाता है। अपने अनोखे गुण के रुप में यहाँ के लोगों में धार्मिक सहिष्णुता है जो उन्हें अलग धर्म की उपस्थिति में कठिनाई महसूस नहीं करने देती।

 

भारतीय लोगों की इस तरह की विशेषताएँ यहाँ पर “विविधता में एकता” को प्रसिद्ध करती है, और दुनियाभर में भारत को प्रसिद्धि दिलाती है।

* सूचना के अनुसार कृतियाँ करो :-

(१) कृति करो :

१.

IMG 20230322 000854 पाठ ४ – सौहार्द-सौमनस्‍य

उत्तर:

IMG 20230322 000835 पाठ ४ – सौहार्द-सौमनस्‍य

२.

IMG 20230322 000815 पाठ ४ – सौहार्द-सौमनस्‍य

उत्तर:

IMG 20230322 000747 पाठ ४ – सौहार्द-सौमनस्‍य

(२) कविता में इस अर्थ में प्रयुक्‍त शब्‍द लिखो :

१. दीपक – ______

उत्तर: दीप

 

२. पुष्‍प – ______

उत्तर: फूल

 

३. तिरस्‍कार – ______

उत्तर: नफरत

 

४. प्रेम – ______ 

उत्तर: प्यार

(३) कविता में प्रयुक्‍त विलोम शब्‍दों की जोड़ियाँ लिखो ।

उत्तर: 

१. छोटा × बड़ा

२. एक × अनेक

३. नकद × उधार

४. प्यार × नफरत

भाषा बिंदु

पाठों में आए अव्ययों को पहचानो और उनके भेद बताकर उनका अलग-अलग वाक्यों में प्रयोग करो ।

उत्तर: 

(i) आज – क्रियाविशेषण अव्यय

वाक्य प्रयोग – आज रविवार है।

 

(ii) कल – क्रियाविशेषण अव्यय

वाक्य प्रयोग – कल मैं गाँव जाऊँगा ।

 

(iii) अचानक – क्रियाविशेषण अव्यय

वाक्य प्रयोग – अचानक बारिश शुरू हुई।

 

(iv) तुरंत – क्रियाविशेषण अव्यय

वाक्य प्रयोग – तुम तुरंत चले आओ।

 

(v) परंतु – समुच्चयबोधक अव्यय

वाक्य प्रयोग – मैंने उसे बहुत समझाया परंतु वह नहीं माना।

 

(vi) बल्कि – समुच्चयबोधक अव्यय

वाक्य प्रयोग – मुझे चाय ही नहीं, बल्कि बिस्कुट भी चाहिए।

 

(vii) और – समुच्चयबोधक अव्यय

वाक्य प्रयोग – राम और गीता स्कूल जाते हैं।

 

(viii) इसलिए – समुच्चयबोधक अव्यय

वाक्य प्रयोग – बारिश शुरू हुई इसलिए मैं छाता लेकर चल पड़ा।

 

(ix) के लिए – संबंधसूचक अव्यय

वाक्य प्रयोग – मैं उसके लिए नई साईकिल खरीदकर लाई।

 

(x) की ओर – संबंधसूचक अव्यय

वाक्य प्रयोग उसने अपनी दृष्टि आकाश की ओर टिका दी.

 

(xi) के साथ – संबंधसूचक अव्यय

वाक्य प्रयोग – मैं उसके साथ खेलता हूँ।

 

(xii) के ऊपर – संबंधसूचक अव्यय

वाक्य प्रयोग – उसके ऊपर एक छत है।

 

(xiii) आह! – विस्मयादिबोधक अव्यय

वाक्य प्रयोग – आह! मुझे दर्द हो रहा है।

 

(xiv) वाह! – विस्मयादिबोधक अव्यय

वाक्य प्रयोग – वाह ! क्या ताज है। 

 

(xv) अरे ! – विस्मयादिबोधक अव्यय

वाक्य प्रयोग – अरे! तुम इधर आ जाओ।

उपयोजित लेखन

शालेय बैंड पथक के लिए आवश्यक सामग्री खरीदने हेतु अपने विद्‍यालय के प्राचार्य से विद्‌यार्थी प्रतिनिधि के नाते अनुमति माँगते हुए निम्‍न प्रारूप में पत्र लिखो :

उत्तर:

१३ फरवरी, २०२३.

प्रति,

माननीय प्राचार्य, 

डॉन बास्को विद्यालय, 

कुर्ला (प.) 

मुंबई – ४०० ०७०

विषय : शालेय बैंड पथक के लिए आवश्यक सामग्री खरीदने हेतु अनुमति पत्र।

माननीय महोदय,

सादर प्रणाम।

मैं कुमारी सपना पांडे आपके विद्यालय की कक्षा आठवीं ‘अ’ की विद्यार्थी-प्रतिनिधि हूँ। आपको पता है कि इस वर्ष हमारा स्कूल ‘राज्य बैंड प्रतियोगिता’ में हिस्सा लेने वाला है। इसलिए प्रतियोगिता की तैयारी करने के लिए हमें कुछ बैंड सामग्री की जरूरत है। अपने स्कूल के पास जो बैंड सामग्री है वह बहुत ही दयनीय स्थिति में है। अत: इस पत्र के द्वारा मैं आपसे अनुरोध करना चाहती हूँ कि अपने विद्यालय के बैंड पथक के लिए सामग्री खरीदने के लिए मुझे अनुमति दे दीजिए। मुझे आशा है कि हमारी विनती पर अवश्य विचार करेंगे और हमें सामग्री खरीदने के लिए शीघ्र अनुमति प्रदान करेंगे।

                         कष्टार्थ क्षमा!

आपकी आज्ञाकारी,

सपना पांडे

(विद्यार्थी प्रतिनिधि,

कक्षा – आठवीं ‘अ’)

स्‍वयं अध्ययन

‘नफरत से नफरत बढ़ती है और स्‍नेह से स्‍नेह बढ़ता है’, इस तथ्‍य से संबंधित अपने विचार लिखो ।

उत्तर: नफरत मनुष्य के हृदय को जलाने का काम करती है और साथ ही वह मनुष्य के मन-मस्तिष्क पर भी हावी हो जाती है। इस कारण मनुष्य दूसरे व्यक्ति से नित जलता रहता है और दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष की भावना रखता है। ऐसा करने से व्यक्ति को कुछ भी हासिल नहीं होता। वह स्वयं के लिए गड्ढा खोदने का काम करता है। यदि हम किसी से नफरत करेंगे, तो दूसरे भी हमसे नफरत करते रहेंगे।

 

इसलिए हमें एक-दूसरे के साथ स्नेह से आचरण करना चाहिए। स्नेह यानी प्यार की भावना। स्नेह में एक-दूसरे को आपस में बाँधने की शक्ति होती है। इससे भाईचारा व शांति प्रस्थापित होती है। समाज में प्रेम का प्रचार एवं प्रसार करने से व्यक्ति पूजनीय बन जाता है और उसे प्रेम के बदले में प्रेम ही मिलता है।