पाठ ४ – छापा
‘छापा’ यह एक हास्य-व्यंग्यपरक कविता है। इस कविता के माध्यम से कवि ने आम आदमी की आर्थिक स्थिति का वर्णन किया है। कवि ने दर्शाया है कि आम आदमी के पास समुन्नत साधन नहीं होते हैं। उसके घर में खाली बरतनों के अलावा कुछ भी नहीं होता है। फिर भी आयकर विभाग के अधिकारी उसके घर पर छापा डालते हैं। उसके घर की सारी चीजों को अस्त-व्यस्त कर देते हैं, फिर भी उन्हें कुछ नहीं मिलता है। अंत में हारकर जाते समय वे सिर्फ क्षमा माँगते हुए कहते हैं कि उन्हें किसी ने तो गलत खबर दी थी। यही अधिकारी रईसों के घर जाकर कीमती चीजें अपनी हिरासत में लेते हैं। उन चीज़ों को वे सरकारी कार्यालय में जमा करते हैं। इसलिए कवि कहते हैं कि यदि आयकर विभाग के अधिकारी उन चीज़ों में से कुछ चीज़ों को जिनके घर में कुछ नहीं मिलता, ऐसे गरीब लोगों में बाँट दें तो बहुत ही बढ़िया हो जाएगा।
रोष – गुस्सा
अर्जित – कमाया हुआ
अर्थ – पैसा/धन
कनस्तर – टीन का पीपा
तख्त – लकड़ी की बड़ी चौकी
मेरे घर छापा पड़ा, छोटा नहीं बहुत बड़ा
वे आए, घर में घुसे, और बोले-सोना कहाँ है ?
मैंने कहा-मेरी आँखों में है, कई रात से नहीं सोया हूँ
वे रोष में आकर बोले-स्वर्ण दो स्वर्ण !
मैंने जोश में आकर कहा-सुवर्ण मैंने अपने काव्य में बिखेरे हैं
उन्हें कैसे दे दूँ ।
वे झुँझलाकर बोले, तुम समझे नहीं
हमें तुम्हारा अनधिकृत रूप से अर्जित अर्थ चाहिए
मैं मुसकाकर बोला, अर्थ मेरी नई कविताओं में है
तुम्हें मिल जाए तो ढूँढ़ लो
वे कड़ककर बोले, चाँदी कहाँ है ?
मैं भड़ककर बोला-मेरे बालों में आ रही है धीरे-धीरे
अर्थ : कवि के घर पर आयकर विभाग का बहुत बड़ा छापा पड़ा। आयकर विभाग के कई अधिकारी उनके घर पर पधारे। घर में आते ही उन्होंने कवि से कहा, “सोना कहाँ है?” कवि ने बड़े ही सहज भाव से उत्तर दिया, “सोना तो मेरी आँखों में है क्योंकि कई रातों से मैं ठीक से सोया नहीं हूँ।” वे आग बबूला होकर बोले, “हम स्वर्ण के बारे में बात कर रहे हैं।” कवि ने भी जोश में आकर कहा, “सुवर्ण तो मैंने अपनी कविताओं में बिखेरा है। उस सुवर्णों को मैं नहीं दे सकता।” फिर उन्होंने झुंझलाकर कहा, “तुम हमारी बात को ठीक से समझ ही नहीं पा रहे हो। हमें तुम्हारा अनिधकृत रूप से कमाया हुआ अर्थ चाहिए।” यह सुनकर कवि ने हँसते हुए कहा, “अर्थ मेरी नई कविताओं में समाया हुआ है। यदि आप उसे ढूँढ़ सकते हैं तो ढूंढ़ लें।” अब उन्होंने कड़ककर कहा, “चाँदी कहाँ है?” कवि ने भी भड़ककर जवाब दिया, “चाँदी मेरे बालों में धीरे-धीरे आ रही है। मेरे बाल आहिस्ता आहिस्ता सफेद हो रहे हैं।”
वे उद्भ्रांत होकर बोले,
यह बताओ तुम्हारे नोट कहाँ हैं ?
परीक्षा से एक महीने पहले करूँगा तैयार
वे गरजकर बोले, हमारा मतलब आपकी मुद्रा से है
मैं लरजकर बोला,
मुद्राएँ आप मेरे मुख पर देख लीजिए,
वे खड़े होकर कुछ सोचने लगे
फिर शयन कक्ष में घुस गए
और फटे हुए तकिये की रूई नोचने लगे
उन्होंने टूटी अलमारी को खोला
रसोई की खाली पीपियों को टटोला
बच्चों की गुल्लक तक देख डाली
पर सब में मिला एक ही तत्त्व खाली…
कनस्तरों को, मटकों को ढूॅंढ़ा सब में मिला शून्य-ब्रह्मांड
देखकर मेरे घर में ऐसा अरण्यकांड
उनका खिला हुआ चेहरा मुरझा गया
और उनके बीस सूची हृदय में
रौद्र की जगह करुण रस समा गया,
अर्थ : कवि के घर पर आए आयकर विभाग के अधिकारियों ने कवि से उद्भ्रांत होकर पूछा, “तुमने नोट कहाँ रखे हैं?” कवि ने तपाक से उत्तर दिया, “मैं नोट परीक्षा के एक महीने पहले तैयार करता हूँ।” अब उन्हें गुस्सा आया। इसलिए उन्होंने गरजकर कहा, “हम आपसे मुद्रा के बारे में पूछ रहे हैं। वह कहाँ है?” कवि ने भी गरजकर कहा, “आप मुद्राओं को मेरे चेहरे पर देख सकते हो।” इसके बाद उन्होंने खड़े होकर कुछ सोचा और फिर वे कवि के शयन कक्ष में घुस गए। वहाँ पर वे कवि के एक फटे हुए तकिये की रूई नोचकर देखने लगे। शायद उसमें रूपए हों। उन्होंने टूटी अलमारी को भी खोलकर देखा। रसोईघर में जो खाली पोपियाँ थीं उन्हें भी टटोलकर देखा । कवि के बच्चों की गुल्लक को भी टटोला। इतना सब कुछ टटोलने के बाद भी उनके हाथ कुछ नहीं लगा। कवि के घर का खाली जंगल देखकर उनका चेहरा मुरझा गया और उनके बीस सूची हृदय में रौद्र की जगह करुण रस समा गया।
वे बोले, क्षमा कीजिए, हमें किसी ने गलत सूचना दे दी
अपनी असफलता पर वे मन ही मन पछताने लगे
सिर झुकाकर वापिस जाने लगे
मैंने उन्हें रोककर कहा, ठहरिए !
सिर मत धुनिए मेरी एक बात सुनिए
मेरे घर में अधिक धन होता तो आप ले जाते
अब जब मेरे घर में बिल्कुल धन नहीं है
तो आप मुझे कुछ देकर क्यों नहीं जाते
जिनके घर में सोने-चाँदी के पलंग और सोफे हैं
उन्हें आप निकलवा लेते हैं
बहुत अच्छी बात है, निकलवा लीजिए
पर जिनके घर में बैठने को कुछ भी नहीं
उनके यहाँ कम-से-कम
एक तख्त तो डलवा दीजिए ।
अर्थ : कवि के घर की पूरी तरह से छानबीन करने के बावजूद कुछ भी न मिलने के कारण आयकर विभाग के अधिकारियों ने कवि से माफी माँगते हुए कहा कि किसी ने उन्हें गलत सूचना दे दी थी। अपनी असफलता पर वे मन ही मन पछता भी रहे थे। आखिर में वे अपना सिर झुकाकर वापिस जाने लगे तो कवि ने उन्हें जाने से रोका और कहा, “आप अब अपना सिर मत धुनिए। मैं जो कह रहा हूँ उस बात की ओर ध्यान दीजिए। यदि आपको मेरे घर पर अधिक धन मिलता तो आप ले जाते लेकिन आप लोगों को मेरे घर पर कुछ नहीं मिला। इसलिए आप लोग अब मुझे कुछ न कुछ तो देकर जाइए। जिनके घर में सोने-चाँदी के पलंग एवं सोफे होते हैं, उन्हें आप निकलवा लेते हैं। यह बहुत ही अच्छी बात है। लेकिन जिनके घर में बैठने के लिए भी कुछ नहीं है उनके यहाँ कम से कम एक तख्ता तो डलवा दीजिए।
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
(१) कृति पूर्ण कीजिए :
१. कवि ने छापामारों से माँगा:
उत्तर:
२. घरों की स्थिति दर्शाने वाली पंक्तियाँ:
उत्तर:
३. अंतिम चार पंक्तियों का भावार्थ लिखिए ।
उत्तर: ‘छापा’ इस कविता के कवि श्री ओमप्रकाश हैं। उनके घर पर आयकर विभाग का बहुत बड़ा छापा पड़ा। उन्होंने कवि के घर की पूरी तरह से छानबीन की; परंतु उन्हें कुछ भी न मिला। इसलिए उन्होंने कवि से माफी माँगते हुए कहा कि किसी ने उन्हें गलत सूचना दे दी थी। तब कवि ने उनसे कहा, “जिनके घर में सोने-चाँदी के पलंग एवं सोफे होते हैं, उन्हें आप निकलवा लेते हैं। यह बहुत ही अच्छी बात है। लेकिन जिनके घर में बैठने के लिए भी कुछ नहीं हैं उनके यहाँ कम से कम एक बड़ी चौकी (तख्ता) तो डलवा दीजिए। “
स्वाध्याय
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
(१) संजाल पूर्ण कीजिए :
उत्तर:
(२) कृति पूर्ण कीजिए :
१. कवि द्वारा छापामारों को दिए गए सुझाव
उत्तर:
१. मेरे घर में कुछ नहीं है। इसलिए आप मुझे कुछ देकर जाइए ।
२. जिनके घर में बैठने के लिए कुछ भी नहीं उनके यहाँ एक तख्ता डलवा दीजिए।
२. शयनकक्ष में पाई गई चीजें
उत्तर:
१. फटा हुआ तकिया
२. टूटी अलमारी
(३) कविता के आधार पर जोड़ियाँ मिलाइए :
उत्तर:
अर्थ – नई कविता में
सुवर्ण – काव्य कृतियों में
चाँदी – बालों में
मुद्रा – चेहरे पर
(४) प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :
उत्तर:
(५) ऐसे प्रश्न बनाइए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों :
१. अरण्यकांड
उत्तर: कवि के घर में क्या देखकर छापामारों का खिला हुआ चेहरा मुरझा गया ?
२. तख्त
उत्तर: पद्यांश में प्रयुक्त एक साधन, जिस पर बैठा जाता है ?
३. असफलता
उत्तर: छापामार किस पर मन ही मन पछताने लगे ?
४. अनधिकृत
उत्तर: छापामारों ने कवि से कौन-से रूप में कमाए हुए अर्थ की माँग की ?
(६) सोना, चाँदी, अर्थ और मुद्रा इन शब्दों के विभिन्न अर्थ बताते हुए कविता के आधार पर इनके अर्थ लिखिए ।
उत्तर:
(i) सोना नींद एक क्रिया, एक धातु
कविता के आधार पर अर्थ : सुवर्ण
(ii) चाँदी स्वच्छ व शुभ, एक धातु
कविता के आधार पर अर्थ रजत
(iii) अर्थ: मतलब, पैसा या धन
कविता के आधार पर अर्थ : पैसा
(iv) मुद्रा नोट या रुपए चेहरे का भाव
कविता के आधार पर अर्थ : नोट
(७) ‘कर जमा करना, देश के विकास को गति देना है’ विषय पर अपने विचार लिखिए ।
उत्तर: कर जमा करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। सरकार अपनी गतिविधियों, निधि और जनता सेवा के लिए इसी कर की राशि का उपयोग करती है। भारत के राष्ट्रीय विकास में आय के रूप में कर की राशि का उपयोग होता है। कर जमा करके व्यापार और उद्योग के प्रतिस्पर्धात्मक युग में सुधार लाया जा सकता है। कर की राशि द्वारा सरकार विविध उपक्रम क्रियान्वित करती हैं उदा. सब्सीडी देना, पोस्ट ऑफिस के लिए अनुदान करना, सार्वजनिक क्षेत्रों में प्रगति के कार्य करना (उद्यान निर्माण, विविध सरकारी विद्यालयों का निर्माण, रेल्वे विकास कार्य) आदि। सेवानिवृत्त लोगों की पेंशन भी कर की राशि से ही अदा की जाती है।
अतः स्पष्ट है कि कर जमा करके हम देश के विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
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