पाठ ८ – हम चलते सीना तान के
नए शब्द
मरुस्थल – रेगिस्तान
रजकण – धूलिकण
एहसान – उपकार
पुरखे – पूर्वज
समर – युद्ध
मुहावरा
सीना तानकर चलना – गर्व से चलना
वाक्य : देश की रक्षा में लगे सैनिक सीना तान कर चलते हैं और दुश्मन का मुकाबला करते हैं।
खोजबीन
भारत के सभी राज्यों की प्रमुख भाषाओं के नाम बताओ । उनसे संबंधित अधिक जानकारी पढ़ो ।
उत्तर:
सुनो तो जरा
किसी शहीद और उसके परिवार के बारे में सुनो : मुद्दे – जन्म तिथि, गाँव , शिक्षा, घटना ।
उत्तर: २६/११ के आतंकी हमले को मुंबईवासी ही नहीं बल्कि दुनिया भी भुला नहीं सकती। इसी आतंकी हमले में शहीद हुए ब्लैक कमांडो के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन अपनी छोटी सी जिंदगी में उन्होंने ऐसी वीरता का परिचय दिया कि देशवासियों के दिलों में बस गए।
इनका जन्म १५ मार्च १९७७ को बैंगलोर में स्थित नायर परिवार में हुआ। इनका मूल गाँव चेरुवनूर, केरल में स्थित है। परंतु इनके पिताजी सेवानिवृत्त होने के बाद बैंगलोर में बस गए। आई. एस. आर. ओ. अधिकारी के उन्नीकृष्णन और धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन के संदीप इकलौते पुत्र थे।
इनकी शिक्षा फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल, बैंगलोर में हुई। १९९५ में उन्होंने विज्ञान की स्नातक उपाधि प्राप्त की और फिर वे एन्. डी. ए. में शामिल हो गए। १२ जुलाई १९९९ को उन्हें बिहार रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त किया गया। हमले और चुनौतियों का सफर वहाँ से शुरू हो गया। वे एक ऐसे लोकप्रिय अधिकारी थे जिन्हें उनके वरिष्ठ और कनिष्ठ दोनों पसंद करते थे। सेना के सबसे कठिन कोर्स ‘घातक कोर्स’ में वे अव्वल रहे। बहादुरी के उनके जज्बे को देखकर ही उन्हें एन. एस. जी कमांडो सेवा के लिए चुना गया। जुलाई १९९९ में ऑपरेशन विजय के दौरान उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया।
२६ नवंबर २००८ की रात ताज होटल के ऑपरेशन में वे टीम कमांडर थे। १० कमांडो के एक समूह के साथ उन्होंने होटल में प्रवेश किया और होटल की छठी मंजिल पर पहुँचे। तीसरी मंजिल पर आतंकवादियों को पाकर उन्होंने उनसे कड़ा मुकाबला किया। उनके प्रमुख सहयोगी सुनील यादव इस मुठभेड़ में घायल हुए। आतंकवादियों से भयंकर मुठभेड़ करते हुए उन्होंने सुनील यादव को इलाज के लिए बाहर निकालने की व्यवस्था की अपनी सुरक्षा को ताक पर रखकर आतंकवादियों का पीछा किया। आतंकवादियों की एक गोली पीछे से लगी और वे गंभीर रूप से घायल हुए। अंत में २७ नवंबर २००८ को उनकी मृत्यु हो गई। पूरे सैनिक सम्मान के साथ बैंगलोर में उनके अंतिम संस्कार किए गए। उनकी बहादुरी के लिए २६ जनवरी २००९ को उन्हें मरणोपरांत ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया गया।
मेरी कलम से
शालेय प्रतिज्ञा का श्रुतलेखन करो और प्रतिज्ञा के मूल्यों का अपने व्यवहारों से सत्यापन करो ।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
विचार मंथन
।। हम सब एक हैं ।।
अध्ययन कौशल
अब तक पढ़े हुए मुहावरों-कहावतों का वर्णक्रमानुसार संग्रह बनाओ और चर्चा करो ।
उत्तर:
मुहावरे :
(1) अक्ल का पत्ता खोलना – तरकीब बताना ।
(2) अनाप-शनाप बोलना – निरर्थक बातें करना ।
(3) आँखें खुली की खुली रहना – चकित रह जाना ।
(4) कमर कसना – दृढ़ संकल्प करना।
(5) करवटें बदलना – बेचैन रहना।
(6) खाट पकड़ना – बीमार होना।
(7) खून-पसीना एक करना – कड़ी मेहनत करना।
(8) गला फाड़कर रोना – जोर जोर से रोना ।
(9) गले लगाना प्यार से मिलना।
(10) चार चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना।
(11) जी की कली खिलना – खुश होना।
(12) ठगा सा रह जाना – चकित होना ।
(13) ठान लेना – निश्चय करना ।
(14) तारीफ के पुल बाँधना– प्रशंसा करना ।
(15) तुनककर बोलना – चिढ़कर बोलना ।
(16) दरार पड़ना – दूरी बढ़ना ।
(17) दाव पर लगाना – कुछ पाने के लिए बदले में कुछ लगाना ।
(18) दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति – तेज गति से विकास ।
(19) दुखड़ा रोना – दुख सुनाना ।
(20) मात देना – पराजित करना।
(21) मुँह लटकाना – उदास होना
(22) सिर आँखों पर रखना – स्वीकार करना।
(23) सीना तानकर चलना – गर्व से चलना।
(24) हथियार डालना आत्मसमर्पण करना।
कहावतें :
(1) अंत भला तो सब भला – परिणाम अच्छा तो सब अच्छा।
(2) एक और एक ग्यारह – एकता में बल।
(3) चिराग तले अँधेरा – योग्य व्यक्ति के आसपास ही अयोग्यता।
(4) जहाँ चाह, वहाँ राह – इच्छा होने पर मार्ग मिलता है।
(5) दूध का दूध पानी का पानी करना – सही न्याय करना।
जरा सोचो …… लिखो
यदि तुम सैनिक होते तो ……
उत्तर: यदि मैं सैनिक होता तो बहुत बहादुर और मजबूत होता। मैं अपने देश और इसमें रहने वाले लोगों की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत करूँगा मुझे कठिन परिस्थितियों को संभालने और जब चीजें मुश्किल हो जाए तो शांत रहने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाएगा। मैं एक अच्छा टीम खिलाड़ी बनूँगा, अपने साथी सैनिकों से दोस्ती करूँगा और एक-दूसरे की मदद करूँगा मैं हर किसी की सुरक्षा की परवाह करूंगा, यहाँ तक कि उन लोगों की भी जो सैनिक नहीं हैं। मैं अपनी नौकरी के लिए बहुत कुछ त्यागने को तैयार हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि सभी को सुरक्षित रखना और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाना वास्तव में महत्वपूर्ण है।
सदैव ध्यान में रखो
मानव सेवा ही सच्ची सेवा है ।
१. निम्न पंक्तियों का अर्थ लिखो :
(क) हिंदूस्तान ______ तान के ।
उत्तर: इस देश की मिट्टी में हम खेले हैं, खा-पीकर बड़े हुए हैं। देश की मिट्टी के कण-कण से हमें ममता और स्नेह मिला है। इस मिट्टी ने कभी हमारे बीच भेदभाव नहीं किया। इस मिट्टी के कण-कण का हम पर कर्ज है जो हमें चुकाना है। हम भारत माता की संताने हैं और सीना तानकर आगे बढ़ते हैं।
(ख) जो वीरत्व ______ तान के ।
उत्तर: देश पर अगर शत्रुओं का आक्रमण हुआ तो हम अपनी वीरता और विवेक का ऐसा परिचय देंगे कि उसकी कहानियाँ भारत के गाँव, नगर और घर-घर में गाई सुनाई जाएँगी। हमारी वीर गाथाएँ गीत बनकर अगणित देशवासियों के कंठों से फूट पड़ेंगी। समर्पण के ये गीत गाते हुए हम सीना तानकर आगे बढ़ते हैं।
२. देशप्रेम वाली चार पंक्तियों की कविता लिखो।
उत्तर:
सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा,
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा।
रहने को गणतंत्र हमारा, अमनत्र हमारा,
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्।
३. इस कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में स्पष्ट करो।
उत्तर: प्रस्तुत कविता हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखा एक अभियान गीत है। इस रचना के माध्यम से कवि ने समता एवं बंधुता का महत्त्व प्रतिपादित किया है। प्रकृति ने भारत को भले ही मैदानों और पर्वतों में बाँट दिया हो परंतु स्थानभिन्नता से फर्क नहीं पड़ता, ना ही धर्म, जाति पाँति या भाषा देशवासियों को बाँट सकती है। इस देश के कण-कण में समता, ममत्व, अपनापन है। देश की रक्षा करने के लिए और देश की मिट्टी का कर्ज उतारने के लिए समर्पण और त्याग हमारा इतिहास रहा है। हम बच्चे भी उन्हीं के वंशज हैं। बलिदान का अवसर मिलने पर पीछे नहीं हटेंगे। मिट जाएँगे लेकिन देश के झंडे को गिरने नहीं देंगे। इतना उत्कट देशप्रेम देश के हर बालक में है। यही इस कविता का केंद्रीय भाव है।
४. अपने देश के राष्ट्रीय प्रतीकों के नाम बताओ।
उत्तर:
राष्ट्रीय ध्वज – तिरंगा
राष्ट्रीय पुष्प – कमल
राष्ट्रीय पक्षी – मोर
राष्ट्र गान – जन गण मन
राष्ट्रीय जलचर – डॉलफिन
राष्ट्रीय नदी – गंगा
राष्ट्रीय प्रतीक – अशोकस्तंभ
राष्ट्रीय पशु – बाघ
राष्ट्रीय फल – आम
राष्ट्रीय गीत – वंदे मातरम्
राष्ट्रीय मुद्रा – रुपया
राष्ट्रीय पेड़ – बरगद
भाषा की ओर
अर्थ के आधार पर वाक्य पढ़ो, समझो और उचित स्थान पर लिखो :
उत्तर:
(1) विस्मयार्थक वाक्य – वाह! क्या बनावट है ताजमहल की !
(2) विधानार्थक वाक्य – बच्चे हँसते-हँसते खेल रहे थे।
(3) निषेधार्थक वाक्य – माला घर नहीं जाएगी।
(4) इच्छार्थक वाक्य – खूब पढ़ो, खूब बढ़ो ।
(5) संकेतार्थक वाक्य – यदि बिजली आएगी तो रोशनी होगी।
(6) प्रश्नार्थक वाक्य – इसे हिमालय क्यों कहते हैं?
(7) आज्ञार्थक वाक्य – सदैव सत्य के पथ पर चलो।
(8) संभावनार्थक वाक्य – कश्मीर का सौंदर्य देखकर तुम्हें आश्चर्य होगा।
पहले वाक्य में क्रिया के करने या होने की सामान्य सूचना मिलती है । अतः यह वाक्य विधानार्थक वाक्य है । दूसरे वाक्य में आने का अभाव सूचित होता है क्योंकि इसमें नहीं का प्रयोग हुआ है । अतः यह निषेधार्थक वाक्य है । तीसरे वाक्य में प्रश्न पूछने का बोध होता है । इसके लिए क्यों का प्रयोग हुआ है । अतः यह प्रश्नार्थक वाक्य है । चौथे वाक्य में आदेश दिया है । इसके लिए चलो शब्द का प्रयोग हुआ है । अतः यह आज्ञार्थक वाक्य है । पॉंचवें वाक्य में विस्मय-आश्चर्यका भाव प्रकट हुआ है । इसके लिए वाह शब्द का प्रयोग हुआ है । अतः यह विस्मयार्थक वाक्य है । छठे वाक्य में संदेह या संभावना व्यक्त की गई है । इसके लिए होगा शब्द का प्रयोग हुआ है । अतः यह संभावनार्थक वाक्य है । सातवें वाक्य में इच्छा या आशीर्वाद व्यक्त किया गया है । इसके लिए खूब पढ़ो, खूब बढ़ो का प्रयोग हुआ है । अतः यह इच्छार्थक वाक्य है । आठवें वाक्य में एक क्रिया का दूसरी क्रिया पर निर्भर हाेने का बोध हाेता है । इसके लिए यदि, तो शब्दों का प्रयोग हुआ है । अतः यह संकेतार्थक वाक्य है ।