पाठ ६ – चंदा मामा की जय
नए शब्द
सेविका – सेवा करने वाली
मजाक – हँसी-ठट्ठा
कड़ी – कठोर
शैतानी – शरारत
मुहावरा
गला फाड़कर रोना – जोर-जोर-से रोना
वाक्य : खिलौना टूट जाने के कारण बालक गला फाड़कर रो रहा था।
जरा सोचो ……… चर्चा करो
यदि तुम्हारा घर मंगल ग्रह पर होता तो ……
उत्तर: यदि मेरा घर मंगल ग्रह पर होता, तो यह मुझे मंगल के कठिन वातावरण से सुरक्षित रखने के लिए एक बड़े बुलबुले के अंदर होता। मैं बिजली बनाने के लिए सूरज की रोशनी का उपयोग करूंगा, और एयरलॉक अंदर हवा को साफ रखेगा। मेरे घर के अंदर बगीचे होंगे जहाँ पौधे बिना मिट्टी के उगते हैं। हर दिन, मैं बाहर देखता और लाल आकाश देखता और पृथ्वी के बारे में सोचता, जो बहुत दूर दिखती। वहाँ रहना मुझे याद दिलाएगा कि मनुष्य हमेशा नई चीजों की कोशिश कर रहे हैं और हम अलग-अलग जगहों पर रहने के लिए बदलाव कर सकते हैं।
वाचन जगत से
भारतीय मूल की किसी महिला अंतरिक्ष यात्री संबंधी जानकारी पढ़ो तथा विश्व के अंतरिक्ष यात्रियों के नाम बताओ ।
उत्तर: सुनीता विलियम अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला है। अंतरिक्ष में वे सात बार जा चुकी हैं और ५० घंटे ४० मिनट स्पेसवॉक करने वाली पहली महिला हैं। इनका जन्म १९ सितंबर १९६५ में युक्लिड (ओहियो राज्य) में हुआ । विवाह पूर्व इनका नाम सुनीता दीपक पांड्या था । इनके पति का नाम माइकल विलियम है। उनके पिता डॉ. दीपक पांड्या एम. डी. हैं. उनके पति माइकल विलियम नौसेना पोत चालक, हेलिकॉप्टर पायलट, पेशेवर नौसैनिक एवं गोताखोर हैं।
सुनीता को कई देश-विदेश के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। जैसे भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण, नासा स्पेसफ्लाइट मेडल, रशिया द्वारा स्पेस अभियान दल में मेरिट आने के लिए, नेवी एंड मैरिन क्रॉप अचिवमेंट मेडल आदि । सुनीता ‘महिला एक व्यक्तित्व अनेक’ की सच्ची कहानी है। वे एक ऐसी असाधारण महिला हैं जिनके नाम अनेक रिकॉर्ड दर्ज हुए हैं। उन्होंने अंतरिक्ष में १९४ दिन, १८ घंटे रहकर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। सुनीता में असाधारण इच्छाशक्ति, दृढता, उत्साह और आत्मविश्वास जैसे गुण होने के कारण ही वे इस तरह प्रतिमान बना पाईं। वे समुद्रों में तैराकी कर चुकी हैं, महासागरों में गोताखोरी कर चुकी हैं, युद्ध और मानव कल्याण के कार्य के लिए उड़ानें भर चुकी हैं, अंतरिक्ष तक पहुँच चुकी हैं और अब अंतरिक्ष से धरती पर आ चुकी हैं। सचमुच वे एक प्रेरणा बन चुकी हैं।
अंतरिक्ष यात्रियों के नाम :
(१) पहला अंतरिक्ष यात्री – यूरी गागरिन
(२) पहली महिला अंतरिक्ष यात्री – वेलेन्टिना तरेश्कावा
(३) पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री – राकेश शर्मा
(४) चाँद पर कदम रखनेवाला – नील आर्मस्ट्रांग
(५) सबसे अधिक उम्र का यात्री – कार्ल जो हैनिजे
(६) सबसे कम उम्र का अंतरिक्ष यात्री – गेरेमान तितोब
खोजबीन
इस वर्ष का सूर्यग्रहण कब है ? उस समय पशु-पक्षी के वर्तन-परिवर्तन का निरीक्षण करो और बताओ ।
उत्तर: सूर्य ग्रहण के दौरान, प्रकाश और तापमान में अचानक बदलाव के कारण कुछ जानवरों और पक्षियों के व्यवहार में बदलाव आ सकता है। रात्रिचर जानवर अंधेरे को रात का समय समझकर अधिक सक्रिय हो सकते हैं। दैनिक जानवर आश्रय की तलाश करके या भ्रम के लक्षण प्रदर्शित करके रात की तैयारी कर सकते हैं। पक्षी यह सोचकर अपने घोंसलों में लौट सकते थे कि रात करीब आ रही है। प्रकाश के स्तर में अचानक परिवर्तन के कारण कुछ जानवर उत्तेजना या बेचैनी के लक्षण प्रदर्शित कर सकते हैं। हालाँकि, सभी जानवर ध्यान देने योग्य परिवर्तन प्रदर्शित नहीं करते हैं, और प्रभाव प्रजातियों और ग्रहण की अवधि के आधार पर भिन्न हो सकता है।
स्वयं अध्ययन
सौरमंडल की जानकारी पर लघु टिप्पणी तैयार करो और बताओ ।
उत्तर: सौर मंडल में सूर्य, ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलिय धूल से बना है। सौर मंडल में आठ ग्रह, उनके 166 उपग्रह (चंद्रमा) पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। इन छोटे पिंडों में क्षुद्र ग्रह, धूमकेतु, उल्काएं आदि हैं।
सौर मंडल के चार छोटे आंतरिक ग्रह हैं बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल । फिर बृहस्पति, शनि, अरुण या युरेनस और वरुण या नेपच्यून आंतरिक ग्रह और बाह्य ग्रहों के बीच यानि मंगल और बृहस्पति के बीच क्षुद्रग्रहों का घेरा है जिसमें सोरोस नामक एक बौना ग्रह भी है। सौरमंडल के छोर पर बहुत ही छोटे-छोटे अरबों पिंड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु या पुच्छल तारे कहलाते हैं।
सौर मंडल के ये सभी आकाशीय पिंड स्वयं की और सूर्य की परिक्रमा करते हैं। पृथ्वी स्वयं की परिक्रमा 24 घंटे में पूरा करती है। इसके लिए उसे 23 घंटे, 56 मिनट और 4 सेकंड लगते हैं। पृथ्वी को यह दैनिक गति है जिसकी वजह से पृथ्वी पर दिन और रात होते हैं। पृथ्वी की वार्षिक गति भी है। पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा पूरी करने के लिए 365 दिन, 6 घंटे 48 मिनट और 45 सेकंड 14 लगते हैं। पृथ्वी की इस गति की वजह से पृथ्वी पर अलग-अलग ऋतुएँ होती हैं।
मेरी कलम से
किसी दुकानदार और ग्राहक के बीच होने वाला संवाद लिखो और सुनाओ : जैसे – माँ और सब्जीवाली ।
उत्तर:
माँ : (अपने-आप से) आज कुँजड़िन आएगी तो हरी सब्जी के लिए जरूर पूछूंगी।
पड़ोसन : भाभी जी कुंजनि आएगी तो मुझे भी आवाज देना ।
माँ : हाँ, जरूर।
कुँजड़िन : सब्जी लेलो, सब्जी।
माँ : आ जा, तुम्हारी ही राह देख रही थी। (पड़ोसन से) ये लो आ गई कुँडिन।
कुंजड़िन : आज सब्जी बहुत बढ़िया लाई हूँ और बहनजी मुझे आपके हाथ की बोहनी चाहिए।
माँ : देख, ये पालक की एक गड्डी दे दें, थोड़ा-सा हरा धनिया और पुदिना भी चाहिए।
कुँजड़िन : साथ में अदरक और हरी मिर्च दूँ क्या?
माँ : हाँ, एक-दो नींबू भी देना, पर दाम सही लगाना।
कुँजड़िन : बहन जी आप से मैंने कभी दाम ज्यादा लिया हैं क्या?
माँ : अब मेरा मुँह मत खुलवाओ। मीठा-मीठा बोलकर मुझ से अच्छे खासे रुपए ऐंठ लेती हो।
कुँजड़िन : अरे, अरे, ऐसी नाराज मत हो बहन। आप लोग मोलभाव करते हों, इसलिए थोड़ा बोलना ही पड़ता है।
माँ : चल बहाने मत बना। इनका मोल क्या हुआ।
विचार मंथन
।। बिन माँगे मोती मिले ।।
सदैव ध्यान में रखो
निवेदन सदैव विनम्र शब्दों में ही करना चाहिए।
१. किसने, किससे और क्याें कहा है ?
(क) ‘‘हम तुम्हें कड़ी से कड़ी सजा देंगे ।’’
उत्तर: यह वाक्य रातरानी ने सुनील से कहा क्योंकि नींदपरी ने सुनील पर कई आरोप लगाए थे और रातरानी को भी ऐसा लगा कि सुनील बड़ों का मजाक उड़ाता है, उनका आदर नहीं करता ।
(ख) ‘‘सबको क्षमा किया जाता है ।’’
उत्तर: यह वाक्य रातरानी ने सभी बच्चों से कहा क्योंकि बच्चों में बुराई के साथ-साथ अच्छाई भी थी और बच्चों ने प्रतिज्ञा भी की कि वे छोटी-बड़ी सभी बुरी आदतें छोड़ देंगे।
२. इस एकांकी का सारांश अपने शब्दों में लिखो ।
उत्तर: यह एकांकी रातरानी की अदालत का दृश्य प्रस्तुत करती है। एकांकी में नींदपरी द्वारा रोने वाले बच्चों पर मुकदमा चलाया गया है। सुनील, अनिल और अन्य चार बच्चों को अदालत में पेश किया गया। अनिल हमेशा रोता रहता है और सुनील बहुत शैतानियाँ करता है। आज उसने घर में चाय की कप-प्लेटें तोड़कर माँ को परेशान कर दिया था। वह अपनी माँ का कहना नहीं मानता था। कोई भी काम समय पर नहीं करता था। मतलब खाने के समय खाना नहीं खाता था, खेलने के समय खेलता नहीं था और पढ़ने के समय पढ़ता नहीं था। वह बड़ों का आदर नहीं करता था और उनको ‘तू’ कहकर पुकारता था और दूसरों को पीटता भी था।
उसके इतने सारे अपराध सुनकर रातरानी क्रोधित हुई और सुनील ने जब ‘नींदपरी झूठ-मूठ कहती है’ कहा तो रातरानी को लगा कि सुनील तो बड़ों का मजाक भी उड़ाता है। इसलिए वह उसे कड़ी से कड़ी सजा देना चाहती थी। परंतु – सारे बच्चे गला फाड़कर रोने लगे और सुनील को सजा न देने की विनति करने लगे। बच्चों के रोने का कारण यह भी था कि रोने पर उन्हें लड्डू और बताशे मिलते थे इसलिए वे रोते थे। सुनील भी रातरानी से माफी माँगकर शैतानी न करने की बात कहता है। सभी बच्चे भी कभी न रोने की बात कहते हैं।
तभी चंदामामा आते हैं। चंदामामा ने बच्चों के अच्छे गुण रातरानी को बताए और सुनील को सजा देकर अन्याय करने से रोका। उन्होंने बताया कि सुनील उससे छोटे बच्चों को कभी नही मारता, उनसे प्यार करता है। रोनेवाले सभी बच्चे बड़ों का कहना मानते हैं, उन्हें प्यार करते हैं, उनका आदर करते हैं, और आपस में कभी नहीं झगड़ते । ऐसे गुणी बच्चों को सजा नहीं दी जाती। रातरानी ने बच्चों को बुरी आदतें छोड़ने पर सजा नहीं देने का वचन दिया। बच्चों ने भी छोटी-बड़ी सभी बुरी आदतें छोड़ने की प्रतिज्ञा की। इसलिए रातरानी ने सभी बच्चों को माफ कर दिया।
इस तरह एकांकी द्वारा लेखक ने बुरी आदतों का त्याग करने की सलाह दी है। साथ ही बड़ों को सम्मान देने और छोटों से प्यार करने के लिए प्रेरित किया है। लेखक ने शांति-प्रियता के लिए भी प्रोत्साहित किया है।
३. इस एकांकी के पसंदीदा पात्र का वर्णन करो।
उत्तर: इस एकांकी का पसंदीदा पात्र सुनील है। भले ही नींदपरी ने उसे रातरानी के सामने पेश किया है और उसपर कई आरोप भी लगाए गए हैं। फिर भी छोटे बच्चों ने रातरानी को सजा देने से रोकने की कोशिश की। ये सभी बच्चे रोते थे क्योंकि रोने पर उन्हें लड्डू और बताशे मिलते थे। लेकिन सुनील के लिए वे मिठाई को समर्पित करने के लिए तैयार हो गए थे। क्योंकि सुनील उनसे बहुत प्यार करता था। उन्हें कभी नहीं पीटता था। वह उन बच्चों का चहेता था। छोटे बच्चों से जो प्यार करता है, बच्चे उन्हें अपना मानते हैं। सुनील को बच्चे अपना भाई मानते थे। इतना अपनापन और प्यार पानेवाला सुनील मेरी नजर में बहुत ऊँचा है। इसलिए मुझे भी सुनील पसंद है।
४. नैतिक मूल्यों की सूची बनाओ और उनपर अमल करो ।
उत्तर: हमारे जीवन में नैतिक मूल्यों का बहुत महत्त्व है। हमारे समाज और राष्ट्र की उन्नति इन्हीं मूल्यों पर निर्भर है। पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चे देश का कल है । अतः उन्हें नैतिक मूल्यों की जानकारी और उनपर अमल करना नितांत जरूरी है। ये नैतिक मूल्य निम्नलिखित हैं।
(१) ईमानदारी
(२) सत्यता
(३) विवेक
(४) शिष्टाचार
(५) सदाचार
(६) अनुशासन
(७) त्याग
(८) कृतज्ञता, आदि।
इनपर अमल करने के लिए मैं कभी झूठ नहीं बोलूँगा। अपनों से बड़ों के प्रति सम्मान की भावना रखूँगा। उम्र में जो मुझसे छोटे हैं उनके प्रति स्नेह की भावना रखूँगा। मेरे माता-पिता का कहना मानूँगा। अपने सभी काम समय पर करूंगा। सार्वजनिक जगहों पर शांति बनाए रखूँगा और शिष्टाचार का पालन करूँगा । घर हो या पाठशाला अनुशासन का पालन करूँगा। कोई शैतानी नहीं करूँगा।
भाषा की ओर
निम्नलिखित वाक्य पढ़ो और मोटे और ⬭ में छपे शब्दों पर ध्यान दो :
उपर्युक्त वाक्यों में और, परंतु, अथवा, तो, क्योंकि …. शब्द अलग-अलग स्वतंत्र वाक्यों या शब्दों को जोड़ते हैं । ये शब्द समुच्चयबोधक अव्यय हैं ।
उपर्युक्त वाक्यों में वाह, अरे, अरे रे, छिः, शाबाश ये शब्द क्रमशः खुशी, आश्चर्य, दुख, घृणा, प्रशंसा के भाव दिखाते हैं । ये शब्द विस्मयादिबोधक अव्यय हैं ।