Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Seven

पाठ ५ – बंदर का धंधा

हाथ लगा बंदर के एक दिन, 

टूटा-फूटा आला । 

झट बंदर ने पेड़ के नीचे,

कुरसी-मेज ला डाला । 

भालू आकर बोला-मुझको,

खॉंसी और जुकाम, 

बंदर बोला-तुलसी पत्ते, 

पीपल की जड़ थाम ।

पानी में तुम इन्हें उबालो,

सुबह-शाम को लेना, 

खॉंसी जब छू-मंतर होए,

फीस तभी तुम देना ।

बिल्ली बोली-मुझको आया,

एक सौ चार बुखार,

मैं शिकार पर कैसे जाऊँ,

जल्दी इसे उतार ।

 

बंदर बोला-रस गिलोय का,

तीन बार तुम पीना,

कल से ही तुम डांस करोगी

ईना, मीना, डीना ।

तभी लोमड़ी आकर बोली,

चिकना-सुंदर मुझे बनाओ,

मैं ही दीखूँ सबसे सुंदर 

ऐसी बूटी लाओ ।

बंदर बोला-घी कुँवार तुम

दोनों समय लगाओ,

चमकेगा कुंदन-सा चेहरा 

फीस मुझे दे जाओ ।

चल निकला बंदर का धंधा,

अब वह मौज मनाता,

अच्छी-अच्छी जड़ी-बूटियाँ,

जंगल से वह लाता ।