पाठ ४ – शब्द संपदा
नए शब्द
फरियाद – याचना, प्रार्थना
किस्सा – कहानी
हू-ब-हू – जैसे-का-वैसा
मेहनताना – पारिश्रमिक
कहावत
दूध का दूध, पानी का पानी करना – सही न्याय करना।
वाक्य : राजा सिकंदर ऐसा था कि दूध का दूध और पानी का पानी कर देता था।
मुहावरे
सिर आँखों पर रखना – स्वीकार करना
वाक्य : गाँव के सभी लोग गाँव के सरपंच को सिर आँखों पर बिठाकर रखते हैं।
मात देना – पराजित करना
वाक्य : आपने तो कठोर हृदयता में अपने भाई को भी मात कर दिया है |
मुँह लटकाना – उदास होना
वाक्य : पिता जी के डाँटने पर सीमा मुँह लटकाकर बैठ गई।
स्वयं अध्ययन
वाणी कैसी होनी चाहिए, बताओ ।
उत्तर:
सुनो तो जरा
‘भारत के संविधान की उद्देशिका’ सुनो और दोहराओ ।
उत्तर: यह उद्देशिका संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु प्राय: प्रस्तुत की जाती है। भारतीय संविधान की उद्देशिका अमेरिकी संविधान से प्रभावित तथा विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। यह संविधान का सार मानी जाती है तथा उसके लक्ष्य को प्रकट करती है।
जरा सोचो ……… चर्चा करो
यदि तुम पशु-पक्षियों की बोलियाँ समझ पाते तो…
उत्तर: पशु-पक्षी बेजुबान हैं ऐसा नहीं वे अपनी भाषा में मतलब बोलियों में बोलते भी हैं परंतु हम उन्हें समझ नहीं पाते। अगर समझ पाते तो उनकी जुबान से रोज हमें मनुष्य के दुष्कर्मों की कहानियाँ ही सुनने मिलतीं। पाप-पुण्य की बातें करने वाले हम मनुष्य मानते हैं कि किसी को बेघर करना सबसे बड़ा पाप है और अपने स्वार्थ की खातिर हम पाप पर पाप किए जा रहे हैं।
जंगलों की अंधाधुंध कटाई करके हम उनके घर उनसे छीन रहे हैं। फिर वे गाँव शहर में आ जाते हैं तब मनुष्य उन्हें मार भगाता है। वनों में उन्हें खाने-पीने को चारा उपलब्ध होता है। उनके मुँह से हम निवाला भी छीन रहे हैं। बेचारे वन से बाहर आकर हमारे फैले प्रदूषण में जी भी नहीं पाते। न खा पी सकते हैं न सो पाते हैं।
अब वे शिकायत करें भी तो किससे करें? बेचारे मौसम की मार झेलते हुए मौत को गले लगा लेते हैं। भूख प्यास से जूझते हुए दम तोड़ देते हैं। मनुष्य को संवेदनाहीन, निष्ठूर, क्रूर, स्वार्थी इस तरह के ताने ही हम उनकी जुबान से सुनते अगर उनको बोलियाँ समझ पाते। ‘अज्ञान में भी सुख होता है’ इसलिए अच्छा है कि हमें उनकी बोली नहीं समझती। परंतु उनके संरक्षण के लिए सरकार के साथ- साथ जनता को भी आगे आना है ताकि पर्यावरण संतुलन बना रहे और पशु-पक्षी और मनुष्य की जीवन नैया हँसते-खेलते पार हो जाए।
विचार मंथन
।। कथनी मीठी खाँड़-सी ।।
सदैव ध्यान में रखो
शब्दाें का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए ।
खोजबीन
हजारी प्रसाद द्विवेदी की ‘कबीर ग्रंथावली’ से पाँच दोहे ढूँढ़कर सुंदर अक्षरों में लिखो ।
उत्तर:
(१) धीरे-धीरे रे मना, धीरे सबकुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय ।।
(२) माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोय ।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय।।
(३) गुरु गोविंद दोनो खड़े, काके लागू पाय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ।।
(४) साई इतना दीजिए, जा में कुटुंब समाय।
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु न भूखा जाए।।
(५) बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंची को छाया नहीं, फल लागे अति दूर ।।
अध्ययन कौशल
जानकारी प्राप्त करने के विविध संदर्भ स्रोतों के बारे में पढ़ो और उनका संकलन करो ।
उत्तर:
(१) अंतरजाल : गूगल पर हमारे कई प्रश्नों के उत्तर बड़ी आसानी से उपलब्ध होते हैं। परंतु गूगल का उपयोग स्मार्ट फोन, टैबलेट या लैपटॉप, कंप्यूटर हो तो ही संभव है। अतः इनमें से कोई एक और साथ में इंटरनेट होना आवश्यक है।
(२) संदर्भ ग्रंथ : पुस्तकालय की किताबें जानकारी का अच्छा साधन होती हैं। इन किताबों को पढ़कर अपनी टिप्पणी बना सकते हैं या विशिष्ट पन्नों की झेरॉक्स लेकर अपने पास फाईल में संकलन कर सकते हैं।
(३) अखवार या पत्र-पत्रिकाएँ इनको पढ़कर हम जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और आवश्यक जानकारी के फुटनोट बनाकर रख सकते हैं या खुद की खरीदी पत्र-पत्रिकाओं के पन्ने काटकर अपने पास फाईल करके संकलित कर सकते हैं।
(४) किसी व्यक्ति का भाषण, अध्यापक द्वारा बताई बातें या दूरदर्शन पर देखीं, सुनी बातें भी हमें जानकारी दे सकती हैं। अर्थात उनके भी नोटस् बनाकर रखने से ही वह जानकारी काम आएगी क्योंकि समय के साथ जानकारी का विस्मरण होना प्राकृतिक है।
१. तीन-चार वाक्यों में उत्तर लिखो:
(क) ‘भाषा’ का क्या अर्थ है, इसके कारण क्या हुआ है?
उत्तर: सार्थक शब्दों का व्यवस्थित क्रमबद्ध संयोजन। मनुष्य एक विचारशील प्राणी है। उसने अपने मस्तिष्क से भाषा की खोज की। यह भाषा ही सभी प्रगति की जड़ है। दुनिया की सभी ज्ञानशाखाओं का विकास भाषा के कारण ही संभव हुआ।
(ख) भाषा समृद्ध कैसे होती है ?
उत्तर: शब्दों के बाहर जाने और अन्य अनेक भाषाओं के शब्दों के आने से हमारी भाषा समृद्ध होती है। कुछ शब्दों का स्वभाव ही ऐसा होता है कि वे अन्य भाषा के शब्दों में घुलमिल जाते हैं। कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जो भिन्न भाषाओं के मेल से बनते हैं, जैसे वर्षगाँठ संस्कृत और हिंदी भाषा के – शब्दों का मेल है, तो रेलयात्री अंग्रेजी-हिंदी भाषा के शब्दों का मेल है और कुछ शब्द उनके मूल रूप में ही आ जाते हैं। विशेषतः वे शब्द जिनके लिए हमारे पास प्रतिशब्द नहीं होते जैसे पेंसिल, रेडियो आदि। इस तरह शब्दों के आने से भाषा समृद्ध बनती है।
२. शब्दों के बारे में लेखक के विचार बताओ ।
उत्तर: शब्दों के बारे में लेखक ने बताया है कि शब्दों का संसार बड़ा विचित्र है। शब्द मनुष्य को ज्ञान से जोड़ते हैं। शब्द मनुष्य को मनुष्य से जोड़ते हैं और शब्द ही मनुष्य को मनुष्य से तोड़ते हैं। विज्ञान की नजर में वे सिर्फ ध्वनि चिह्न हैं पर मनुष्य उन्हें अर्थ देकर, जीवंत बनाता है और उनमें विविध स्वभाव गुण आने लगते हैं। वे मनुष्य को हँसाते भी हैं और दुखी भी करते हैं। कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जिन्हें बार-बार सुनने की इच्छा होती है। ऐसी अनोखी है यह शब्दों की दुनिया।
३. भाषा समृदि्ध के कारण लिखाे ।
उत्तर: शब्द भंडार जितना अधिक उतनी भाषा समृद्ध मानी जाती है। कुछ भाषाओं के शब्द किसी दूसरी भाषा से मित्रता कर लेते हैं और उन्हीं में से एक बना जाते हैं। हिंदी के कुछ शब्द मिलनसार हैं और अन्य भाषाओं के मेल से बने हैं। कुछ हिंदी-संस्कृत से तो कुछ हिंदी और अरबी / फारसी से तो कुछ अंग्रेजी और संस्कृत के मेल से बने हैं। शब्दों के इस प्रकार बाहर जाने और अन्य अनेक भाषाओं के शब्दों के आने से हमारी भाषा समृद्ध होती है। ऐसे शब्द जिन्हें हमारी भाषा में प्रतिशब्द न हो उन शब्दों को भाषा में सहर्ष स्वीकार करने से भाषा समृद्ध ही होगी।
४. वाचन-संस्कृति बढ़ाने से होने वाले लाभ लिखो ।
उत्तर: कमसे कम शब्दों में बोलना और लिखना एक कला है। यह कला विविध पुस्तकों के वाचन से और परिश्रम से साध्य हो सकती है। किस समय, किसके सामने, किस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना चाहिए इसे अनुभव, मार्गदर्शन के अलावा वाचन द्वारा भी सीखा जा सकता है। शब्दसंपदा बढ़ाने के लिए साहित्य के वाचन की जरूरत होती है। अतः अपनी वाचन संपदा बढ़ाने के लिए वाचन संस्कृति को बढ़ाना आवश्यक हैं। जितनी हमारी वाचन संस्कृति बड़ी उतनी ही विशाल शब्द संपदा के हम मालिक बन जाएँगे।
भाषा की ओर
नीचे दिए गए वाक्य पढ़ो और उपयुक्त शब्द उचित जगह पर लिखो :
उत्तर:
(१) लक्ष्मी मिल यहाँ से दस मील दूरी पर है।
(२) प्राण छोड़ दूँगा पर प्रण नहीं छोडूंगा।
(३) हंस को देखकर रुचिका हँस पड़ी।
(४) शब्द कोश में कोष शब्द मिलता है।
(५) दिन रात दीन-दुखियों की सेवा करना सभी का कर्तव्य है।
(६) नदी के कूल का कुल जल समेटा नहीं जा सकता।
(७) दीया दीवाली में जलाकर देहरी पर रख दिया।
(८) बालक पिता से पानी पीता है।