पाठ १ – वाचन मेला
देखो, समझो और बताओ :
उत्तर: जब किसी स्थान पर लोग सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक या अन्य कारणों से एकत्रित होते है तो उसे मेला कहते है। मेले में तरह-तरह के क्रियाकलाप देखने को मिलते हैं। वास्तव में ‘वाचन मेला’ पुस्तक प्रेमियों के लिए महान उत्सव का अवसर माना जाता है। चित्र में पुस्तकों के अलग-अलग विभाग दिखाई दे रहे हैं। बच्चे अपनी-अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकों की जानकारी पाने में व्यस्त है। बच्चों ने ग्रंथदिडी निकालकर पुस्तकों का महत्त्व समझाने का प्रयास किया है। उनके हाथों में फलक पट्टियाँ है जो कह रही है कि पुस्तके हमें ज्ञान देती है, भाषा और विज्ञान की जानकारी देती हैं। चित्र के घोष वाक्य पुस्तकों का महत्त्व समझाते हैं।
किताबों की क्या भूमिका है? संक्षेप में समझाइये.
उत्तर: पुस्तकें ज्ञान और मनोरंजन से ओत-प्रोत होती है। वे ज्ञान का अक्षय भंडार होती है जो हमारा सही मार्गदर्शन करती है। वे समाज में नवचेतना का संचार कराती हैं अपने अंदर समाए विचारों के अस्व का अचूक निशान साधकर जनजागृति लाने का कार्य करती है। समाज की डगमगाती नौका को सशक्त पतवार हैं ये पुस्तकें। ये हमें साहस और धैर्य प्रदान करती हैं। अच्छी पुस्तकें हमें अमृत की तरह माण शक्ति अर्पित करती हैं। वे चरित्र निर्माण का सर्वोत्तम साधन है। उन्हें पढ़कर जीवन में कुछ महान कर्म करने की भावना हमारे मन में जगाती है। पुस्तकें प्रकाश गृह है जो समय के विशाल समुंदर में खड़ी हैं और हमारी जीवन नौका का मार्गदर्शन कर रही हैं।