पाठ ७ – डाॅक्टर का अपहरण
प्रस्तुत पाठ एक विज्ञान कथा है, जो कल्पना पर आधारित है। इस कथा के माध्यम से कथाकार ने हमें मशीनी युग में निर्माण होने वाले दैत्याकार मशीनों के प्रति सजग किया है। आज का इंसान इनका गुलाम बन गया है। मशीनों की बढ़ती संख्या के कारण प्रदूषण एवं जलवायु पर बुरा असर पड़ रहा है। जिसके कारण लोगों को विविध घातक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः कथाकार ने इनकी रोकथाम व इन पर नियंत्रण रखने के लिए पाठकों को प्रेरित किया है।
लापता – जिसका पता न लगे
मुहावरे
हतप्रभ रहना – स्तब्ध रहना
वाक्य: जब से श्याम के घर में आग लगी है वह हतप्रभ हो गया है ।
नामो निशान मिटना – अस्तित्व समाप्त होना
वाक्य: महारानी लक्ष्मी बाई ने अनेक अंग्रेजो का सिर धड से अलग कर उनका नामो निशान न रहने दिया ।
आसपास
रात्रि में आकाश दर्शन का आनंद लेते हुए अपने अनुभवों का कथन कीजिए :
उत्तर: रात की गहरी चुपचापी में, मैंने अकेले बिल्कुल शांत जगह पर खड़ा होकर आकाश दर्शन का आनंद लिया। जब मैंने अपनी आँखें आकाश की ओर उठाई, तो मुझे जगमगाते हुए सितारों की खोज करने का अद्वितीय और मनोहारी अनुभव हुआ।
आकाश में चमकते हुए सितारे जैसे कि चमकते हुए ज्वेल्स की तरह थे, और वे अपने स्वर्णिम रंगों में मुझे सपनों की तरफ लेजाने की कोशिश कर रहे थे। गहरी रात की सुखद शांति में, मैंने अपने अनुभवों में विचरण किया और समय की अनगिनत गहराइयों में खो गया।
सितारों की धाराओं को देखकर मैं अपने छोटे से भाग्य के प्रति आभारी हो गया, और यह अनुभव ने मेरी मानसिक शांति को बढ़ावा दिया। आकाश दर्शन का यह सुंदर अनुभव मेरी आत्मा को शांति, सुख, और संतोष की ओर प्रवृत्त किया और मुझे यह याद दिलाया कि हम इस ब्रह्मांड के एक छोटे से हिस्से हैं, और हमारा संबंध उसके अनगिनत रहस्यों से है।
पठनीय
डाॅ. जयंत नारळीकर जी की विज्ञान संबंधी कोई किताब पढ़िए ।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
संभाषणीय
‘इसरो’ (ISRO) के संदर्भ में प्राथमिक जानकारी अंतरजाल से प्राप्त कर आपस में वार्तालाप कीजिए ।
उत्तर:
अजय : नयना क्या तुम ‘ISRO’ के बारे में जानती हो?
नयना : हाँ, मुझे सिर्फ ‘ISRO’ का पूरा नाम पता है- इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाएझेशन।
अजय : क्या तुम इसका हिंदी अनुवाद कर सकती हो?
नयना : नहीं, अजय तुम ही बताओ।
अजय : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन । नयना मुझे इतना पता है कि ‘इसरो’ का मुख्यालय बेंगलुरू, कर्नाटक में है।
अजय : क्या तुम इस संस्था के मुख्य कार्य के बारे में जानती हो?
नयना : नहीं, अजय ।
अजय : सुनो नयना, इस संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिए अंतरिक्ष संबंधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अंतरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, राकेटों का विकास शामिल है।
नयना : क्या तुम्हें ‘इसरो’ के बारे और में कुछ पता है?
अजय : हाँ नयना, जून २०१६ तक इसरो लगभग २० अलग-अलग देशों के ५७ उपग्रहों को लाँच कर चुका है और इसके द्वारा उसने अब तक १० करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं। इसरो को शांति, निशस्त्रीकरण और विकास के लिए साल २०१४ में इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
नयना : अजय, आज तुमने मुझे बहुत ही अच्छी जानाकारी दी है। इसके लिए मैं तुम्हें धन्यवाद देती हूँ।
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
(१) आकृति पूर्ण कीजिए :
उत्तर:
(२) ‘यदि मैं डॉ. भटनागर की जगह होता/होती’ तो… इस विषय पर अपने विचार लिखिए :
उत्तर: यदि मैं डॉक्टर भटनागर की जगह होता, तो मेरी भी स्थिति कुछ उनके जैसे ही हो जाती। आखिर मैं भी एक इंसान हूँ और मेरा भी डॉक्टर भटनागर की भाँति परिवार है। यदि मुझे कोई ऐसे रात के समय में आकर किसी यान में बिठाकर जबरदस्ती से ले जाता, तो मेरे भी होश उड़ जाते । अचानक क्या हो रहा है, इसके बारे में मुझे कुछ नहीं सूझता । फिर भी मैं अपनी हिम्मत नहीं हारता । चुपचाप यान में बैठकर उनके घर पर जाता और उनकी स्थिति को जानने की कोशिश करता और उन्हें मुसीबतों से उबारने के लिए भरसक कोशिश करता। आखिर, डॉक्टरों का धर्म ही होता है मरीजों की सेवा करना जितना मेरे अकेले से बन पड़ता, उतना मैं जरूर करता। उनका सही मार्गदर्शन करता और बड़े ही विनम्र भाव से व अपना धैर्य अड़िग रखते हुए हरपल उन्हें खुश रखता। मन में ये आस जरूर रखता कि अन्य ग्रहवासी भी अपने जैसे इंसान हैं और वह मुझे जरूर एक दिन यान में बिठाकर पृथ्वी पर छोड़ आएँगे। फिर यहाँ आकर मैं अन्य सहयोगी डॉक्टर एवं वैज्ञानिकों की सहायता से उनके लिए औषधि का निर्माण करता ।
लेखनीय
‘यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होती/होता…’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए :
उत्तर: प्रत्येक छात्र का अपना सपना होता है। वह भविष्य में बड़ी- से बड़ी मंजिल प्राप्त करना चाहता है। मेरा भी एक सपना है। वह है- अतंरिक्ष यात्री बनने का। इसके लिए मैं सतत अभ्यास व परिश्रम कर रहा हूँ । अतंरिक्ष यात्री बनने के पश्चात मैं कैसे व किस प्रकार कार्य करूँगा, यह प्रश्न मेरे मन में बार बार उपस्थित हो रहा है।
सचमुच, मैं यदि अंतरिक्ष यात्री होता, तो मैं अंतरिक्ष की सैर करता, वहाँ जाकर रहता । वहाँ जाकर गुरूत्वाकर्षण हीन योगाभ्यास करता, अंतरिक्ष शटल का अभ्यास करता। अंतरिक्ष में रहने का अभ्यास करता और उसके लिए प्राथमिक तौर पर तैयारी करता ।
यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता, तो संपूर्ण भारत में भ्रमण कर छात्र- छात्राओं को अंतरिक्ष विज्ञान से परिचित कराता । उनमें अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति प्रेम निर्माण करता ताकि आगे चलकर वे भी मेरे जैसे अंतरिक्ष यात्री बन सकें और अपने देश का नाम रोशन कर सकें।
यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता, तो अंतरिक्ष में जाकर सबसे लंबा ‘, स्पेस वॉक करता और अपने नाम पर रिकार्ड बना कर भारत देश का नाम संसार मे ऊँचा करता। अंतरिक्ष में रहकर और वहाँ पर प्रयोग कर, वहाँ की मिट्टी एवं अन्य पदार्थों को लेकर वापस आ जाता ताकि कैंसर जैसी घातक बीमारियों की दवाइयाँ उपलब्ध हो सकें। यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता, तो मैं संपूर्ण मानव जाति का विचार करके उनके बारे में सोचता।
यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता, तो अपनी जीवनी लिखता और उसके माध्यम से लोगों को बताता कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में कैसे रहते हैं, उन्हें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, अंतरिक्ष में वे क्या खाते हैं, कब सोते हैं, कब जागते हैं, अंतरिक्ष में गुरुत्व बल के ना होने से किस प्रकार परेशानियों का सामना करते हैं आदि ।
यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता, तो स्वयं को सबसे अधिक भाग्यशाली समझता। जन्मभर मेहनत, परिश्रम व लगन से कमाई हुई धनराशि को मानव सेवा के लिए समर्पित कर देता। जब मैं अंतरिक्ष यात्री होता, तब ही मैं ये सारी उपलब्धियाँ एवं श्रेय प्राप्त कर सकता । अतः अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए मैं भरसक कोशिश करूँगा क्योंकि मैं जानता हूँ-
“मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं,
जिनके सपनों में जान होती है।
पंख से कुछ नहीं होता
हौसलों से उड़ान होती है।”
मौलिक सृजन
‘अन्य ग्रहवासी से मेरी मुलाकात’ विषय पर संवाद बनाकर लिखिए ।
उत्तर:
मनोहर : कौन हो तुम? तुम धरती के निवासी नहीं लगते हो। कहाँ से आए हो, तुम ? बताओ। मैं तुम्हारे बारे में जानने के लिए उत्सुक हूँ ।
अन्य ग्रहवासी : जी हाँ, तुमने सही पहचाना। मैं इस धरती का निवासी नहीं हूँ। मैं पृथ्वी से लगभग १५ हजार करोड़ कि. मी. की दूरी पर स्थित ग्रह से आया हूँ।
मनोहर : इतने दूर से आए हो, तुम। पर कैसे आए हो ? इतनी दूरी से यहाँ धरती पर आना, तुम्हारे लिए कैसे संभव हो सका है ?
अन्य ग्रहवासी : हमारे पास अत्याधुनिक यान है, इसके जरिए हम कहीं भी, किसी भी सौरमंडल के ग्रह पर आसानी से जा सकते हैं।
मनोहर : क्या कहा तुमने? किसी भी सौरमंडल के ग्रह पर ! सौरमंडल तो एक ही है ।
अन्य ग्रहवासी : (हँसते हुए) किसने कहा तुम्हें कि सौरमंडल एक है। ब्रहमांड में तो सूर्य जैसे कई सूर्य हैं और सभी के अपने- अपने ग्रह हैं। उन ग्रहों पर दुनिया बसी है और वे सभी तुम्हारे ग्रह के लोगों से कई गुना ज्यादा उन्नतिशील हैं।
मनोहर : यह जानकर मुझे बेहद खुशी हुई कि सौरमंडल अनंत है। पर एक बात मुझे समझ में नहीं आ रही है कि तुम हमारी धरती पर क्यों आए हो ।
अन्य ग्रहवासी : हमारे ग्रहवासियों ने हरी-हरी वसुंधरा पर रहने वाले लोगों की संस्कृति के बारे में बहुत कुछ सुना है। अतः आप की संस्कृति का अभ्यास करने के लिए मैं यहाँ उपस्थित हुआ हूँ।
मनोहर : तुम्हारे विचार सुनकर मैं आनंद विभोर हो गया हूँ। मुझे बेहद खुशी होगी, यदि तुम मेरे साथ चलोगे, तो मैं तुम्हें संपूर्ण भारत का भ्रमण कराऊँगा । अन्य ग्रहवासी मैं भी यही चाहता हूँ।
श्रवणीय
सौर मंडल के किसी एक ग्रह संबंधी जानकारी प्राप्त कर कक्षा में सुनाइए :
उत्तर: मंगल, सौर मंडल का चौथा ग्रह है और यह सूर्य के आस-पास घूमता है। यह एक आकर्षक ग्रह है जिसे कुछ लोग “लाल ग्रह” के रूप में जानते हैं, क्योंकि इसका सतह लाल रंग की है।
मंगल का एक प्रमुख विशेषता है कि यह एक प्राकृतिक उपग्रह, फोबोस और दीमोस, के साथ है, जिन्हें दुनिया के अन्य किसी ग्रह पर नहीं पाया जाता है।
मंगल की तटीय क्षेत्रों पर एक सीरीज ऑफ मिशन, जैसे कि मैंगलयान (Mangalyaan) और मैर्स रोवर कर्यालय, ने अकेले एक कुशल अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) के द्वारा भेजे गए हैं।
मंगल के अंतरिक्ष मिशनों ने ग्रह की तटीय और उपग्रहों के अध्ययन की प्रक्रिया को सुधारा है, और यह धरती के बाहरी जीवन के संभावने की खोज में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
पाठ के आँगन में
(१) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
सौरमंडल के अन्य ग्रह पर बसे लोगों के चिकित्साशास्त्र में पिछड़े रहने के कारणों की सूची तैयार कीजिए :
उत्तर:
(२) ‘स्वास्थ्य की समस्या सभी जगह पाई जाती है’ इस विषय पर अपने विचार लगभग आठ से दस वाक्यों में लिखिए :
उत्तर: आज के बढ़ते औद्योगीकरण और तकनीकी विकास ने इंसान को ऐसी अति आधुनिक सुख-सुविधाएँ प्रदान की हैं, जिनके कारण उसका जीवन अप्रत्याशित रूप से सरल और सहज बन गया है। लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि बढ़ते औद्योगीकरण और उन्नत औद्योगिकी के कारण पृथ्वी के प्राकृतिक वातावरण में व्यवधान उत्पन्न हो गया है। इस व्यवधान ने प्रकृति के स्वाभाविक सामंजस्य को असंतुलित कर दिया है और, चूँकि मानव-जीवन प्रकृति का अभिन्न अंग है, इसलिए बढ़ते प्राकृतिक असंतुलन ने इंसान के जीवन को भी असंतुलित कर दिया है। फलस्वरूप आज का बिगड़ा पर्यावरण मनुष्य के स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित कर रहा है। आज मिलावट का कहर सबसे ज्यादा हमारी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर ही पड़ रहा है। संपूर्ण देश में मिलावटी खाद्य पदार्थों की भरमार हो गई है। आजकल नकली दूध, नकली घी, नकली तेल, नकली चायपत्ती आदि सब कुछ धड़ल्ले से बिक रहा है। अगर कोई इन्हें खाकर बीमार पड़ जाता है तो हालत और भी खराब हो जाती है, क्योंकि जीवनरक्षक दवाइयाँ भी नकली ही बिक रही हैं।
पाठ से आगे
‘उड़न तश्तरी’ की संकल्पना अंतरजाल से पढ़कर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: जेडउड़न तश्तरीजेड एक उपक्रम हो सकता है, जो सड़कों पर उड़ती गाड़ियों के लिए होता है, और यह सुपरसोनिक यातायात का एक अद्वितीय संविदान का हिस्सा हो सकता है। यह वाहन उच्च गति और आकर्षक डिज़ाइन के साथ आ सकता है और आकाश में उड़ते समय मुख्य फायदा होगा।
उड़न तश्तरी का उपयोग दीर्घ दूरी की यात्रा के लिए किया जा सकता है, और यह संकेत देता है कि यह जलवायु परिवर्तन के लिए विकसित किया जा सकता है, जो बदलते परिवार और व्यापार यातायात को अनुकूलित कर सकता है।
इसके अलावा, उड़न तश्तरी का उपयोग राज्यों के बीच तेजी से यातायात को भी संभावित बना सकता है, जिससे समय और खर्च कम हो सकता है। इसके अतिरिक्त, इसका प्रदूषण को कम करने और उच्च गति यातायात को प्रोत्साहित करने के पॉटेंशियल हो सकता है।
इसके लिए, अधिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास की आवश्यकता है, लेकिन उड़न तश्तरी एक बड़ी तकनीकी और यातायात क्रांति का हिस्सा हो सकता है जो भविष्य में हमारे यातायात सिस्टम को बदल सकता है।
भाषा बिंदु
निम्न वाक्यों में कारक रेखांकित कर उनके नाम और चिह्न लिखकर पाठ से अन्य वाक्य खोजकर तालिका में लिखिए :
(१) श्रीमती भटनागर ने दरवाजे पर फिर से वैसे ही गाड़ी के पहियों के निशान देखे ।
(२) उस सी.डी. को तुरंत सुनने की व्यवस्था की गई ।
(३) अजीब आशंकाओं से परेशान हो उठा ।
(४) यहाँ भी लोगों ने रहने के लिए घर बना रखे हैं ।
(५) घर से बाहर गए उन्हें काफी समय हो गया ।
(६) हे मानव, मुझे क्षमा कर मैं पृथ्वी से बहुत दूर पहुँच चुका हूँ ।
उत्तर: