Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Five

पाठ – स्वयं अध्ययन २

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एक बहेलिया था। एक दिन वह पेड़ के नीचे खड़ा था । पंछियों को पकड़ने की बात सोच ही रहा था कि तभी उसे आसमान में ढेर सारे कबूतर उड़ते हुए नजर आए। उसे लगा आज तो खुदा भी उसपर बड़ा मेहरबान है। मन में विचार आया नहीं कि सामने उनके दर्शन । बड़ी चतुराई से उसने वहाँ जाल बिछा दिया । कबूतरों को ललचाने के लिए उस जाल में कुछ दाने बिखेर दिए और खुद दूर जाकर एक पेड़ के पीछे छिप गया ।

 

दाने देखकर कबूतर दाना चुगने नीचे उतरे और सारे कबूतर जाल में फँस गए । अब वे बड़ा शोर मचाने लगे एक-दूसरे पर दोषारोप करने लगे। लेकिन उससे क्या लाभ ? अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत !

 

उन कबूतरों में एक बुजुर्ग कबूतर था। उसने उन सब को चुप कराया। फिर समझाया कि हम सब एक साथ उड़ेंगे तो इस जाल को भी उड़ाकर ले जा सकते हैं। मैं जब इशारा करूँगा तब एक साथ पूरी शक्ति से उड़ना । सभी कबूतरों को बुजुर्ग कबूतर की बात समझ में आई। उन्होंने बुजुर्ग कबूतर की बात मानी। जब बुजुर्ग कबूतर ने इशारा किया तब सारे कबूतर एक साथ उड़े।

 

कबूतरों को इस तरह जाल के साथ उड़ते देख बहेलिया हक्का बक्का रह गया। वह उन कबूतरों के पीछे दौड़ा लेकिन उन्हें पकड़ने में असफल रहा।

 

सारे कबूतर दूर पहाड़ों की खाई में जाल समेत उतर गए। वहाँ उनका मित्र चूहा रहता था। चूहे ने अपने मित्रों की मदद की। उनका जाल अपने पैने दाँतों से कुतर डाला। सारे कबूतर जाल से मुक्त हुए। उन्होंने अपने चूहे मित्र को धन्यवाद दिया। अब वे फिर से खुले आसमान में आजादी से उड़ने लगे ।

 

सीख: इस कहानी से यही सीख मिलती है कि एकता में बड़ी ताकत होती है और लालच में कभी नहीं आना चाहिए।