Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Five

पाठ ९ – नीम

शब्दार्थ: 

ओझा झाड़ – फूँक करनेवाला 

वैद्य-हकीम – चिकित्सक

ना मैं डॉक्टर, ना मैं ओझा,

ना मैं वैद्य-हकीम।

मैं तो केवल एक पेड़ हूँ,

नाम है मेरा नीम।

 

मेरी सूखी पत्ती डालो,

ऊनी कपड़े, अनाज बचा लो। 

सूखी पत्ती के धुएं से, 

मक्खी-मच्छर दूर भगा लो ।

 

धनी पत्तियों के कारण,

शीतल है मेरी छाया । 

गरमी और थकान मिटी,

जो मेरे नीचे आया।

 

नहीं काटना मुझको तुम, 

मैं इतने सुख दे देता । 

सूरज की किरणों से मिलकर, 

हवा शुद्ध कर देता ।

 

सूरज, तारे, धरती, चाँद की, 

जब तक चले कहानी । 

हमेशा सबको सुख देने की, 

है मैंने मन में ठानी।

 

– लता पंत

सरल अर्थ:

नीम का वृक्ष अपना परिचय देते हुए कह रहा है, “मैं डॉक्टर – या ओझा नहीं हूँ, वैद्य या हकीम भी नहीं हूँ, मैं तो सिर्फ एक पेड़ हूँ और मेरा नाम नीम है। अर्थात एक डॉक्टर या वैद्य की तरह मैं मनुष्य के स्वास्थ्य का ख्याल रखता हूँ। मेरी सूखी पत्तियाँ ऊनी कपड़ों के साथ रखने से ऊनी कपड़े सुरक्षित रहते हैं। कोठार में अनाज के साथ सूखी पत्तियाँ रख देने से अनाज में इल्लियाँ या कीड़े-कीट नहीं पड़ते। मेरी सूखी पत्तियों को जलाने से जो धुआँ उठता है उससे मच्छर, मक्खियों जैसे किटाणु दूर भागते हैं। “

 

बैसाख जेठ की गरमी में नीम का हरापन और गाढ़ा हो जाता है। इसलिए नीम कहता है, “मेरी घनी पत्तियों के कारण मेरी छाया में शीतलता की रंगत है। जो कोई मेरी छाया में आकर बैठता है उसकी सारी थकान मिट जाती है और वह गरमी से राहत पाता है।

प्र. कोष्ठक में दिए वर्णों से रिक्त स्थान भरो (ड़े, णों, की, ना, मैं, थ, सू, हा, कि )

__ने

उत्तर: मैंने

 

कप__ 

उत्तर: कपड़े

 

ह__म

उत्तर: हकीम

 

अ__ज

उत्तर: अनाज

 

 __कान

उत्तर: थकान

 

 __रज

उत्तर: सूरज

 

क__नी

उत्तर: कहानी

 

__र__

उत्तर: किरणों