पाठ १३ – पहचान हमारी – भाग (२)
शब्दार्थ:
गुड़हल – एक फूल
सहिजन – एक सब्जी
अंबर – आकाश
पढ़ो:
जल, एक, गढ़, वह, ओर, और, कमल, करतल, अनपढ़, जगमग, अचरज, आजकल, ऐसा, काला, पीला, झाड़ी, लीची, चातक, अज्ञात, एकता, पपीता, सुदूर, शहतूत, अनुसूची, कुतूहल, मेवे, जैतून, थैले, टोपी, दौड़ो, तौलो, कचौड़ी, कैकेयी, वैदेही, शैलेश, कैनेडी, चौकोर, नौरोजी, चौकोन, तब, क्षण, अंग, श्रम, धन, मठ, सत्र, ऑन, ऑफ, आँख, अतः, नमः, नयन, ऋषभ, बॉल, हॉल, बौनों, बाजरा, तालाब, बिहारी, बेचैन, त्रिवेणी, अमृत, चूड़ियाँ, अनुकूल, वाङ्मय, षटकार, बंटी, कंघा, अंडा, पंप, पंख, कंठ, पंछी, अंजीर, अंकिता, अचंभा, अंगूर, बंधन, गुंफन, झंझावात, पंढरपुर।