Maharashtra Board Textbook Solutions for Standard Eight

पाठ ९ – अनमोल वाणी

कबीरजी कहते हैं कि हम जैसा भोजन करेंगे, वैसा ही हमारा मन हो जाता है। उसी प्रकार हम जैसा जल पीते हैं, वैसी ही हमारी भाषा यानी वाणी हो जाती है। अर्थात सादा, शुद्ध सात्विक आहार और पवित्र जल ग्रहण करने से हमारा मन और वाणी पवित्र होते हैं। कहने का अर्थ यह है कि खान-पान का हमारे शरीर पर बहुत प्रभाव पड़ता है।

 

हमें मान और अहंकार का त्याग करके दूसरों से ऐसी मधुर और विनम्र वाणी में बात करनी चाहिए, जिससे सुनने वाले को भी प्रसन्नता हो और साथ ही साथ स्वयं को भी प्रसन्नता हो । मीठी बोली दूसरों को तो सुख पहुँचाती ही है, इससे स्वयं को भी आनंद होता है। अर्थात मीठी बोली से ही दिल जीते जाते हैं।

 

कबीरजी कहते हैं कि मैं पूरा जीवन दूसरों के अवगुण देखने में ही लगा रहा, पर मुझे कोई बुरा आदमी नहीं दिखाई दिया। लेकिन जब मैंने आत्मविश्लेषण किया अर्थात अपने मन में झाँककर देखा, तो पाया कि मुझसे बुरा कोई इनसान नहीं है। मैं ही सबसे बुरा और स्वार्थी हूँ। अर्थात हम लोग दूसरों में बुराइयाँ ढूँढ़ते रहते हैं। अगर अपने अंदर झाँककर देखें, तो पाएँगे कि हम ही सबसे बुरे इनसान हैं।

 

बालक कृष्ण माता यशोदा से बाल सुलभ वाणी में पूछते हैं, माँ, मेरी चोटी कब बढ़ेगी? (तुम तो कहती थी कि दूध पीने से मेरी चोटी बढ़ जाएगी) मुझे दूध पीते हुए बहुत समय हो गया, पर यह आज भी छोटी-की-छोटी ही है। तुम तो कह रही थी कि दूध पीने से मेरी चोटी (भाई) बलदाऊ की चोटी की तरह खूब लंबी और मोटी हो जाएगी। (इस बहाने) तुम बार-बार मुझे कच्चा दूध पिलाती हो और मुझे मक्खन रोटी खाने को नहीं देती हो। सूरदास जी कहते हैं। कि भगवान श्रीकृष्ण और बलराम दोनों भाइयों की जोड़ी चिरजीवी हो ।

कबहिं – कब

चोटी – चुटिया, बेणी

अजहूँ – अब तक

काँचौ – कच्चा

पचि-पचि – बार-बार

चिरजीवौ – लंबी आयु

दोउ – दोनों

हलधर – बलराम

स्वाध्याय

सूचना के अनुसार कृतियाँ करो :-

(१) कृति पूर्ण करो :

IMG 20230813 163439 पाठ ९ – अनमोल वाणी

उत्तर:

IMG 20230813 184804 1 पाठ ९ – अनमोल वाणी

(२) कविता में इस अर्थ में आए शब्‍द लिखो : 

१. ठंडा 

उत्तर: शीतल

 

२. कोई 

उत्तर: कोय

 

३. बलराम 

उत्तर: हलथर 

 

४. मक्‍खन 

उत्तर: माखन

(३) कृति पूर्ण करो :

IMG 20230813 163451 पाठ ९ – अनमोल वाणी

उत्तर:

IMG 20230813 184748 2 पाठ ९ – अनमोल वाणी

(४) ‘भोजन का प्रभाव’- टिप्पणी लिखो।

उत्तर: सुखी रहने लिए के लिए स्वस्थ रहना आवश्यक है। शरीर स्वस्थ रहता है तो मन स्वस्थ रहता है। शरीर की तंदुरुस्ती भोजन पर निर्भर करती है। इस संदर्भ में महत्त्व – पूर्ण है कि भोजन कब और कैसे करें। भोजन नियम से, मौन रहकर, चबा-चबाकर करना चाहिए। भोजन पूर्ण रूप से सात्विक होना चाहिए। राजसी भोजन गरिष्ठ होने के कारण शरीर को रुग्ण बनाता है। वहीं तामसी भोजन करने से शरीर, मन और बुद्धि पर घातक प्रभाव पड़ता है। इनसे अनेक प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। मन तामसी स्वभाववाला, क्रोधी, चिंताग्रस्त और चिड़चिड़ा हो जाता है। बुद्धि स्थूल और जड़ प्रकृति की हो जाती है। ऐसे लोगों का हृदय मानवीय संवेदनाओं से शून्य हो जाता है। भोजन से शरीर का पोषण तो होता ही है, मनुष्य का व्यक्तित्व यानि गुण, कर्म, स्वभाव और संस्कार भी बनते हैं। इसीलिए कहा गया है, जैसा भोजन खाइए, तैसा ही मन होय ।

कल्‍पना पल्‍लवन

पानी, वाणी, दूध इन शब्‍दों का उपयोग करते हुए कोई कविता लिखो।

उत्तर: 

प्राकृतिक खेल की कहानी

 

पानी की लहरों में जो मनमोहक नृत्य है,

जहाँ बच्चों की आँखों में खेलने की रौनक है,

एक कहानी सुनाऊंगा मैं, मिलकर खुशियों का सीरा,

शब्दों से सजाया, इस मनमोहक कविता का मीरा।

 

प्रकृति के राजा की बोलती यह धारा,

झूमते पेड़ों की आवाज़, खुशियों की साक्षात्कारा,

पुष्पों से भरी हरियाली में, खिलते रंगों का नवा,

एक गाय, शांति की झील में, देती अमृतसर्पिणी का प्याला।

 

तो सुनो ध्यान से, प्यारे बच्चों जी,

हमारी यह कहानी, तुम्हारी भी जुबानी,

पानी की मिठास, प्रकृति की बातें अनमोल,

दूध और सपनों की खोज में हो जाओ खेलने खोल।

भाषा बिंदु

पाठों में आए अलग-अलग काल के वाक्‍य ढूँढ़कर उनका अन्य कालों में परिवर्तन करो।

उत्तर: 

(१) सामान्य भूतकाल – राजा ने चारों बेटियों को अपने पास बुलाया ।

पूर्ण भूतकालराजा ने चारों बेटियों को अपने पास बुलाया था।

 

(२) सामान्य भविष्यकाल – मनुष्य नाखून बढ़ने नहीं देगा

अपूर्ण वर्तमानकाल – मनुष्य नाखून बढ़ने नहीं दे रहा है।

 

(३) अपूर्ण वर्तमानकाल – अरे रामू के बापू, घोड़े बेचकर सो रहे हो।

सामान्य भविष्यकाल – अरे रामू के बापू, घोड़े बेचकर सोते रहोगे।

 

(४) सामान्य भूतकाल – मेरी बेटी की हिंदी पर रजा साहब को बहुत गर्व होता था।

अपूर्ण भूतकाल – मेरी बेटी की हिंदी पर रजा साहब को बहुत गर्व हो रहा था।

 

(५) सामान्य भविष्यकाल – हम दो दिन जुहू पर पूर्ण विश्राम करेंगे।

सामान्य भूतकाल – हमने दो दिन जुहू पर पूर्ण विश्राम किया।

 

(६) अपूर्ण भूतकाल – इमारत की दीवार नींव से उठ रही थी।

अपूर्ण वर्तमानकाल – इमारत की दीवार नींव से उठ रही है।

 

(७) सामान्य वर्तमानकाल – मैं साहित्यकार हूँ, साहित्य चिंतन में विश्वास रखता हूँ।

सामान्य भविष्यकाल – मैं साहित्यकार हूँ, साहित्य चिंतन में विश्वास रखूँगा ।

 

(८) पूर्ण वर्तमानकाल – कांग्रेस ने स्वशासन का प्रस्ताव पास कर दिया है। 

सामान्य वर्तमानकाल – कांग्रेस स्वशासन का प्रस्ताव पास करती है।

 

(९) पूर्ण भूतकाल – रमन की वर्षगाँठ ने मुझे पूरे एक महीने से बेचैन कर रखा था।

सामान्य भूतकाल – रमन की वर्षगाँठ ने मुझे पूरे एक महीने से बेचैन किए रखा।

 

(१०) अपूर्ण वर्तमानकाल – पिता जी गलियारे में खड़े-खड़े निश्शब्द रो रहे हैं।

अपूर्ण भूतकाल – पिता जी गलियारे में खड़े-खड़े निश्शब्द रो रहे थे।

उपयोजित लेखन

‘आगे कुआँ पीछे खाई’ कहावत का अर्थ लिखकर उससे संबंधित कोई प्रसंग लिखो।

उत्तर: रमेश अपने स्कूल की क्रिकेट टीम का कप्तान था। जल्दी ही पास के शहर में क्रिकेट मैच होने वाला था। जिसके लिए अपने स्कूल से रमेश का चुनाव किया गया। इसी बीच यूनिट परीक्षा प्रारंभ हो गई। रमेश चाहता था कि वह परीक्षा न देकर दूसरे स्कूलों के खिलाड़ियों के साथ | क्रिकेट का अभ्यास करे। उसने स्कूल के प्राचार्य को एक प्रार्थना पत्र दिया कि मेरे पिता जी रोगग्रस्त होकर अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी सेवा सुश्रुषा के लिए मुझे उनके पास रहना होगा। अतः मैं परीक्षा नहीं दे सकूँगा। वह रोज सुबह स्कूल के समय अपना बैग लेकर निकलता। क्रिकेट का खूब अभ्यास करता और स्कूल छूटने के समय पर घर वापिस आ जाता। सब ठीक-सा लग रहा था। परंतु एक चिंता हर समय रमेश के मन पर छाई रहने लगी। यदि प्राचार्य जी को उसके झूठ के बारे में पता चल गया तो वे उसे क्रिकेट टीम से निकाल देंगे। वह सभी शिक्षकों की नजरों से भी गिर जाएगा। और पिता जी को जब पता चलेगा कि वह उन्हें बीमार बताकर क्रिकेट का अभ्यास कर रहा है, तो उन पर क्या गुजरेगी। क्या वे भविष्य में उस पर विश्वास कर पाएँगे। अब रमेश को लग रहा था कि अपने हाथों उसने ऐसा संकट पैदा कर लिया है कि वह कहीं का नहीं रहा है। उसके आगे कुआँ है पीछे खाई।

स्‍वयं अध्ययन

‘हाफ मैराथन’ में सफलता प्राप्त करने के लिए कौन-कौन-सी तैयारियाँ करोगे, लिखो।

उत्तर: हाफ मैराथन के लिए तैयार होना एक बड़े साहसिक कार्य की तैयारी करने जैसा है! अच्छा प्रदर्शन करने के लिए, आप दौड़ने का अभ्यास करना चाहेंगे। छोटे रनों से शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे उन्हें लंबा करें। इससे आपके शरीर को लंबे समय तक दौड़ने की आदत डालने में मदद मिलती है। फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज जैसे स्वस्थ खाद्य पदार्थ खाने से आपको बहुत सारी ऊर्जा मिलेगी, और हाइड्रेटेड रहने के लिए पानी पीना याद रखें। अच्छे दौड़ने वाले जूते पहनना सुनिश्चित करें जो अच्छी तरह से फिट हों, ताकि दौड़ के दौरान आपके पैर आरामदायक रहें। इसके अलावा, आराम करना और पर्याप्त नींद लेना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आपके शरीर को मजबूत होने के लिए समय की आवश्यकता होती है। अपने आप पर विश्वास रखें और सकारात्मक रहें – आप यह पूरी तरह से कर सकते हैं! यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो वयस्कों या किसी ऐसे व्यक्ति से पूछें जो दौड़ना जानता हो। और सबसे महत्वपूर्ण बात, अपने प्रशिक्षण का आनंद लें और दौड़ के दिन के उत्साह का आनंद लें। याद रखें, दौड़ पूरी करना एक बड़ी उपलब्धि है, इसलिए अभ्यास करते रहें, स्वस्थ रहें और अपनी हाफ मैराथन यात्रा का आनंद लें!