पाठ १ – धरती का आँगन महके
कविता का भावार्थ :
कवि कहता है कि कर्म रूपी ज्ञान और विज्ञान की सुगंध से पृथ्वी का आंगन भर जाना चाहिए। ज्ञान की धारा ऐसी बहे कि खेत-खलिहान, बाग-बगीचे, शहर-गाँव सब खिल उठे। लोगों के मन में नई इच्छाएं जाग्रत हों और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हों। उनका विश्वास दृढ़ हो। विभिन्न कलाओं और शिल्पों के साथ हार पृथ्वी की छाती पर सुशोभित हो। यह पृथ्वी चारों ओर हरियाली से भरी हो, फलों आदि से युक्त हो, जो मनुष्य चन्द्रमा और मंगल तक पहुँच गया हो।
उसे मानवता की रक्षा करनी चाहिए और परमाणु बम जैसे विनाशकारी हथियारों से बचना चाहिए। चारों ओर के लोगों का आचरण पवित्र होना चाहिए; उन्हें एक सदाचारी जीवन व्यतीत करना चाहिए। लोगों को मेहनती होना चाहिए और मेहनत से अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। प्रतिभा चारों ओर डंक मारती है। लोगों को अपनी प्रतिभा और क्षमता से नई ऊंचाइयों को छूना चाहिए। मानवता को हर दिन नए रिकॉर्ड बनाकर नए मानक स्थापित करने चाहिए। सभी लोगों में प्रेम का संचार होना चाहिए ताकि सभी की आत्मा, तन, मन और धन पवित्र हो जाए और हम सब मिलजुल कर रहें।
इस कविता में वह सबके सुख-समृद्धि की कामना कर सकारात्मक बातें कर लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।
शब्द वाटिका :
शलाका – सलाई
आँकना – अंदाजा लगाना, मूल्य बताना
पैमाना – नाप-तौल, मापदंड
मेधा – बुद्धि
आवृत्त – ढँका, लौटाया हुआ
वसुधा – धरती, अवनि, धरा
कल्पना पल्लवन :
‘विश्व शांति की माँग सर्वाधिक प्रासंगिक है’, इस तथ्य पर अपने विचार लिखो ।
उत्तर: आज स्वार्थ ने मनुष्य को जकड़ लिया है। वह अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए भयानक अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग करने लगा है। इससे मानवता खतरे में है और चारों तरफ हिंसा का माहौल बना हुआ है। सभी देश अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए परमाणु बम बना रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन पूरी धरती का विनाश संभव है। इसे रोकने के लिए आज विश्व शांति की बात की जा रही है। आखिर शांति में ही हिंसा को रोकने की ताकत है। विश्व शांति के लिए मेल-मिलाप और भाईचारे की भावना की जरूरत है। सदाचार और स्नेह के द्वारा एक दूसरे के साथ मानवता का व्यवहार करके शांति स्थापित की जा सकती है।
* सूचना के अनुसार कृतियाँ करो :
(१) प्रवाह तालिका पूर्ण करो :
उत्तर:
(२) कृति पूर्ण करो :
उत्तर:
(३) उत्तर लिखो :
१. मेधा की ऊँचाई नापेगा –
उत्तर: प्रतिभा का पैमाना मेधा की ऊँचाई नापेगा।
२. हम सब मिलकर करें
उत्तर: वसुधा के जयगान से अर्चना हम सब मिलकर करें।
(४) कृति करो :
मानव अंतरिक्ष यान से यहाँ पहुँचा है ।
उत्तर:
१. चंद्रलोक
२. मंगल ग्रह
भाषा बिंदु
(अ) निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखो तथा उनका वाक्यों में प्रयोग करो :
शरीर
उत्तर: समानार्थी शब्द – तन
वाक्य प्रयोग – हमें अपने शरीर का ध्यान रखना चाहिए।
मनुष्य
उत्तर: समानार्थी शब्द – मानव
वाक्य प्रयोग – मनुष्य को हमेशा सावधान रहना चाहिए।
पृथ्वी
उत्तर: समानार्थी शब्द – वसुधा
वाक्य प्रयोग – पृथ्वी सूर्य के चारों और चक्कर लगाती है।
छाती
उत्तर: समानार्थी शब्द – सीना
वाक्य प्रयोग – एक ही गाँव के पांच सैनिकों के शहीद होने पर सारे गाँव ने छाती पीटी।
पथ
उत्तर: समानार्थी शब्द – राह
वाक्य प्रयोग – धर्म के पथ पर चलना अत्यन्त कठिन है।
(आ) पाठों में आए सभी प्रकार के सर्वनाम ढूँढ़कर उनका अपने वाक्यों में प्रयोग करो ।
उत्तर:
मैं – मैं इतनी आसानी से हार नही मानता ।
मैंने – मैंने राजू को सामान दे दिया ।
मुझे – मुझे किस तरह की योग्यताओं और अनुभव की ज़रूरत रहेगी ?
हमारा – हमारा खाना तो दाल-रोटी ही है ।
मेरा – मेरा नाम अमान है ।
तुमने – तुमने इस प्रश्न का उत्तर विस्तार से नहीं लिखा ।
तुम्हे – हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे ।
तुम्हारा – मुझे बताओ तो तुम्हारा जन्म कब और कहाँ हुआ था?
स्वयं – राजा इतना हैरान हुआ कि उसने उस रात चोर की निगरानी स्वयं करने का निश्चय किया।
वह – वह मौल मेरे घर के पास है ।
उसने – कल उसने मुझे अपनी किताब काम करने के लिए दी।
उसका – कल उसने मुझे अपनी किताब काम करने के लिए दी।
उपयोजित लेखन
‘छाते की आत्मकथा’ विषय पर निबंध लिखो ।
उत्तर:
‘छाते की आत्मकथा’
मैं एक छाता हूं, जिसका उपयोग आप वर्षा होने पर अवश्य करते होंगे। कुछ लोग तो मुझे गर्मी से बचने के लिए भी उपयोग में लाते हैं और गर्मी के मौसम में मैं उन्हें गर्मी से बचाने का पूरा प्रयास भी करती हूं। मैं गर्मी के मौसम में सूरज की गर्मी को अपने अंदर समा लेती हूं और उसे अपने से आगे नहीं बढ़ने देती हूं। वहीं वर्षा के मौसम में मैं वर्षा की बूंदों को अपने आप से पार नहीं होने देती हूं, जिसके परिणामस्वरूप मुझे उपयोग करने वाले हमेशा इन दोनों अवस्थाओं से बचे रहते हैं।
परंतु अधिकतर लोग मेरा उपयोग वर्षा आने पर ही करते हैं। बरसात के मौसम में, मुझे आप अपने आसपास बड़ी आसानी से देख सकते हैं और इस मौसम में मैं लोगों द्वारा प्रतिदिन उपयोग की जाने वाली वस्तु बन जाती हूं। इन दिनों मेरी बड़ी देख रेख भी की जाती है और मुझे बड़े प्रेम व आदर के साथ रखा जाता है।
मैं अनेक रंगों में आती हूं लेकिन अधिकतर लोग मुझे काले रंग में खरीदना ही उचित समझते हैं। पर कुछ भी हो, चाहे कोई मुझे काले रंग में खरीदे या किसी अन्य रंग में कार्य तो सभी रंग की छतरियों का एक ही होता है।
यदि मेरे उपयोग की बात करें, तो मेरा उपयोग सभी उम्र के लोग करते हैं। छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति तक आपको मेरा उपयोग करते दिख जाएंगे। इसका एक कारण यह भी है कि मेरा उपयोग करना अत्यंत ही सरल है और मैं इतनी हलकी हूं कि हर कोई मुझे बड़ी आसानी से एक जगह से दूसरी जगह तक अपने साथ ले जा सकता है।
मुझे आशा है कि मेरा अस्तित्व जैसा आज है, वैसा ही भविष्य में भी रहेगा और मैं आगे भी इसी प्रकार मनुष्य के काम आती रहूंगी।
स्वयं अध्ययन
प्राचीन भारतीय शिल्पकला संबंधी सचित्र जानकारी संकलित करो, विशेष कलाकृतियों की सूची बनाओ ।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए ।