तुम कुछ दिन अपने मित्र के यहाँ रहकर आए हो। उसे धन्यवाद देते हुए पत्र लिखो।

९१, सुप्रिया निवास, 

भवानी शंकर रोड, 

दादर, 

मुंबई – ४०० ०२८

२३ अक्तूबर, २०२४

 

प्रिय मित्र भूपेंद्र

सप्रेम नमस्कार।

तुम्हारे यहाँ से लौटे कई दिन हो गए हैं, परंतु मन में वहाँ के ही दृश्य घूम रहे हैं।

 

मैं तुम्हारे यहाँ चार दिन रहा। मुझे ऐसा लगा कि मैं अपने ही घर में हूँ। तुम्हारी माता जी तो सचमुच दया और प्रेम की मूर्ति हैं। उनके हाथ के बने भोजन का स्वाद जीभ अभी तक नहीं भूली है। तुम्हारे पिता जी और मनोरमा दीदी का स्नेह भी बार-बार याद आता है। तुम्हारे पड़ोसी बकुल के लतीफे जब मैं यहाँ अपने मित्रों को सुनाता हूँ तब वे हँसते-हँसते लोटपोट हो जाते हैं।

 

सचमुच, वे चार दिन बड़े मजे में गुजरे। इसके लिए मैं तुम सबको धन्यवाद देता हूँ।

 

तुम्हारे माता-पिता और दीदी को मेरा प्रणाम।

 

तुम्हारा मित्र,

धर्मेंद्र

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