ग्रीष्मावकाश के संबंध में अपने बड़े भाई को पत्र लिखो।
१८९, गांधीनगर,
कोल्हापुर – ४१६ ००१
१० मई, २००७
पूज्य भाई साहब,
सादर प्रणाम।
मैं आपके पत्र की प्रतीक्षा कर ही रहा था कि आपका ५ मई का पत्र मिला। इसे पाकर मन खुश हो गया। मैं अपनी वार्षिक परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया हूँ। विद्यालय में गर्मी की छुट्टियाँ भी शुरू हो गई हैं। मैं पूजनीया भाभीजी के साथ १६ मई तक मुंबई आ जाऊँगा।
मैं इन छुट्टियों में आपके पास रहना चाहता हूँ। वहाँ रहकर मुझे बहुत कुछ देखने, जानने और सीखने का मौका मिलेगा। वहाँ पुस्तकों एवं अन्य जरूरी चीजों की खरीदारी भी हो जाएगी। भाभीजी की भी इच्छा है कि गर्मी की छुट्टियाँ खत्म होने तक मैं मुंबई में ही रहूँ।
आपको माताजी और पिताजी का शुभाशीर्वाद और पूनम तथा राजू का प्रणाम।
आपका अनुज,
अशोक
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