अपने मित्र/सहेली को पत्र लिखकर बताइए कि आपके देखे हुए देहात व शहर में क्या अंतर है।
गोकुल भवन,
एस. वी. रोड,
मालाड़ (प.),
मुंबई – ४०० ०९५
१७ मार्च, २०२४
प्रिय मित्र रवि,
सप्रेम नमस्कार।
कल तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर खुशी हुई कि तुम्हारे परिवार में सब कुशल मंगल है। इसके पहले के पत्र में तुमने रामपुर गाँव के बारे में पूछा था। मैं अभी एक हफ़्ता उधर रहकर वापस आया हूँ। तुम्हें मालूम है कि मैं मुंबई जैसे महानगर में रहता हूँ। दोनों में ज़मीन आसमान का अंतर है।
रामपुर एक छोटा-सा गाँव है। लोग सीधे-साधे हैं। कहीं भी विकास का नामोनिशान नहीं है। कच्ची सड़कें हैं। लोगों को रोज़गार नहीं मिल रहा है। बहुत से लोग नौकरी की तलाश में शहरों की ओर चले गए हैं। एक-दो छोटे स्कूल हैं। कॉलेज तो है ही नहीं। एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। बड़े इलाज के लिए शहर की ओर जाना पड़ता है।
अब अपने शहर मुंबई के बारे में लिखता हूँ। मुंबई में सभी आधुनिक सुविधाएँ हैं। स्कूल, कॉलेज, बड़े-बड़े अस्पताल, लंबी-चौड़ी सड़कें, ऊँची-ऊँची इमारतें, बिजली से चलने वाली रेलगाड़ियाँ आदि यहाँ की शान है। यही कारण है कि देहात छोड़कर लोग मुंबई जैसे शहर की ओर भाग आते हैं। शहर के जितना न सही उसके आधा विकास हो जाए, तो रामपुर के लोग चैन की नींद सो पाएँगे।
बस, अभी के लिए इतना ही। घर में सभी को मेरा प्यार देना।
तुम्हारा मित्र,
सुनील
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