अपने मित्र को अपनी दिनचर्या बताते हुए पत्र लिखिए।

१०३, सलिल विला,

शिवाजी पार्क,

पुणे – ४११ ००१

१७ जून, २०२४

 

प्रिय मित्र सुभाष,

सप्रेम नमस्कार।

आज ही तुम्हारा पत्र मिला। पता चला कि तुम्हें अपने सारे काम सुव्यवस्थित ढंग से करने में कठिनाई होती है। मित्र, समय बड़ा ही महत्त्वपूर्ण होता है। जीवन में अगर आगे बढ़ना है, तो अपने सारे कार्य सुनियोजित तरीकों से करने पड़ेंगे। हमें अपने दैनिक कार्यों को सही ढंग से नियोजन करना चाहिए। तभी हम अपने सभी कार्य ठीक समय पर समाप्त कर सकते हैं। मैंने अपने सारे कार्य इस प्रकार नियोजित कर रखे हैं। जैसे कि मैं सुबह उठकर मुँह-हाथ धोकर कसरत करता हूँ। दूध पीकर एक घंटा पढ़ाई करता हूँ। फिर घर के कामों में माता जी की मदद करता हूँ। इसके पश्चात समय सारिणी के अनुसार मैं अपनी पुस्तक और कॉपियाँ रखता हूँ। खाने का डिब्बा लेकर पाठशाला जाता हूँ। वहाँ मैं मन लगाकर पढ़ता हूँ।

 

शाम को घर लौटने पर मैं अपना बस्ता उचित स्थान पर रखता हूँ। गणवेश बदलकर हाथ-मुँह धोकर थोड़ा नाश्ता करता हूँ। इसके बाद एक घंटा अपने मित्रों के साथ खेलने जाता हूँ। घर आने पर पुनः हाथ-पैर धोकर अपना गृहकार्य पूर्ण करता हूँ। रात आठ बजे परिवार के साथ भोजन करता हूँ। उसके बाद प्रतिदिन रात दस बजे तक मैं स्वाध्याय करता हूँ। कमरे की चीजें व्यवस्थित करता हूँ और सबको शुभरात्री कहकर सोने जाता हूँ। तुमसे भी मैं यही अनुरोध करता हूँ कि तुम भी इसी तरह समय का नियोजन करो और अपने सभी कार्य ठीक समय पर करना सीखो। आशा करता हूँ कि तुम भी अपनी दिनचर्या को समय के अनुसार नियोजित करोगे और जीवन में सफलता प्राप्त करोगे। अपना तथा अपने परिवार का भी ख़याल रखोगे।

 

मेरी ओर से माता-पिता को सादर प्रणाम। भाई-बहनों को प्यार। शेष सकुशल। आपके उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी।

 

तुम्हारा मित्र,

मोहन

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