१५ अगस्त समारोह का वर्णन करते हुए अपने चाचा जी को पत्र लिखिए।
२५, देवदर्शन मेन्शन,
दूसरी मंज़िल, प्रिन्सेस स्ट्रीट,
मुंबई – ४०० ००२
१६ अगस्त, २०२४
पूज्य चाचा जी,
सादर प्रणाम।
मुझे गत सप्ताह में आपका पत्र मिला था। उसे पढ़कर बहुत ही खुशी हुई थी। मैं इस पत्र में १५ अगस्त का समारोह जिस प्रकार मनाया गया, इसका वर्णन लिखकर भेजती हूँ।
१५ अगस्त के दिन लोगों में अपूर्व उत्साह और आनंद दिखाई देता है। सुबह ७ बजे प्रभात फेरी स्कूल से निकली थी। जुलूस में स्कूल के बच्चे थे। साथ में उनका शिक्षक समुदाय था। बच्चे ‘आज़ादी अमर रहे’, ‘महात्मा गांधी की जय हो’, ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू की जय हो’, ‘भारत माता की जय हो’, के नारे लगाते हुए रास्तों पर गुज़र कर स्टेडियम (ब्रेबोन) में पहुँचे। वहाँ स्कूलों के प्रधानाचार्य, शिक्षक, एन. सी. सी. केडेट्स, तीन दलों के जवानों की बटेलियन आई थी। मुंबई शहर के अग्रगण्य नागरिक, समाज सेवक-सेविकाएँ, काँग्रेस सेवा दल के सदस्य, होमगाईस आदि उपस्थित हुए थे। गवर्नर के हस्त से ध्वज वंदन हुआ। ‘झंडा ऊँचा रहे तिरंगा’ का गीत गाया गया। उन्होंने अपने संभाषण में आज़ादी प्राप्त करने के लिए जिन शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी उन्हें श्रद्धांजली दी। हमें वर्तमान परिस्थिति में भारत राष्ट्र को बचाने के लिए क्या करना चाहिए, उसका वर्णन किया। स्वतंत्र भारत की प्रगति में बच्चों के योगदान का महत्त्व दिखाया। बाद में बच्चों ने संक्षिप्त भाषण किया। बालकों को दूध, केले और बिस्किट बाँटे गए। फिर कार्यक्रम समाप्त हुआ।
सरकारी कचहरियों, रेल स्टेशनों, सार्वजनिक बगीचों, नगरपालिका के मकानों, सचिवालय आदि मकानों को सजाया गया। रात में रंग-बिरंगी रोशनी से वे चमकने लगे। सारे शहर में आनंद-उल्लास का वातावरण था। संध्या के समय सांस्कृतिक और मनोरंजनात्मक कार्यक्रम हुए। दूरदर्शन पर उनका प्रसारण किया गया। घरों में मिष्टान्न बना था। बहुत-से लोगों ने अपने कपड़ों पर ध्वज का छोटा स्वरूप लगाया था। यह एक राष्ट्रीय त्यौहार है जो हमारी राष्ट्रीय एकता बढ़ाता है।
काकी जी, बड़ी दीदी, बड़े भैया आदि को मेरा सादर प्रणाम। चुन्नू-मुन्नू को मेरा प्यार। आपके पत्र का इंतज़ार करती हूँ। योग्य सेवाएँ लिखिए।
आपकी लाड़ली भतीजी,
नमिता
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