हिंदी निबंध लेखन

MIDDLE SCHOOL LEVEL (For Class 5 to 7)

विद्यालय में मेरा पहला दिन

विद्यालय में मेरा पहला दिन

विद्यालय में अपना पहला दिन आज भी मुझे याद है। उस दिन मुझे सबेरे जल्दी ही उठा दिया गया था। जब मैं नहा-धोकर तैयार हो गया, मुझे साफ-सुथरे कपड़े पहनाए गए। इसके बाद मेरी माँ मुझे पूजाघर में ले गई। वहाँ मैंने गणेशजी और देवी सरस्वती की मूर्तियों को प्रणाम किया। फिर मैंने घर के सभी बड़े लोगों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। माँ ने मेरे बैग में मेरी नयी पुस्तकें कलम, रबर इत्यादि वस्तुएँ रख दी थीं। जगमगाता नया  बैग मुझे बड़ा ही आकर्षक लग रहा था। माँ ने नया टिफिन और पानी की बोतल भी मुझे दी। नए गणवेश में, मैं फुले नहीं समा रहा था। मन हर्ष, उल्हास से भरा हुआ था। विद्यालय का पहला दिन था, इसलिए माँ स्वयं मुझे विद्यालय ले गई।

 

विद्यालय में कई शिक्षकों और बहुत-से विद्यार्थियों को देखकर मुझे थोड़ी घबराहट हुई। मेरी माँ ने मुझे हिम्मत बँधाई। फिर वे मुझे मेरी कक्षा में बिठाकर चली गई। मेरे वर्ग-शिक्षक ने प्यार से मेरी पीठ थपथपाई। इससे मेरी हिम्मत बढ़ी और मैं एक बेंच पर बैठ गया।कक्षा में कई छात्र मुँह बना कर रो रहे थे,कुछ तो जोरों से चीख रहे थे। यह सब देख कर मैं कुछ घबरा सा गया था।

 

कक्षा के सभी विद्यार्थियों की आँखें मुझ पर ही लगी हुई थीं। मैं कुछ समय तक तो शरमाया शरमाया रहा। फिर मैं कुछ बच्चों से घुलमिल गया। इतने में दोपहर की छुट्टी हो गई।  नाश्ता करके मैं खेलने चला गया। विद्यालय का बगीचा बहुत सुंदर और हरा-भरा था। कुछ बच्चे विद्यालय के मैदान में खेल रहे थे।

 

जब कक्षा में जाने की घंटी बजी, तो मैं दौड़कर अपनी बेंच पर बैठ गया। इस बार कक्षा में एक दूसरे शिक्षक आए। उन्होंने कुछ बच्चों से प्रश्न पूछे, परंतु मुझसे कुछ नहीं पूछा। शाम को छुट्टी होने पर घर जाने के लिए मैं विद्यालय के बड़े फाटक की ओर बढ़ा। वहाँ मेरी माँ मेरी प्रतीक्षा में खड़ी थी। माँ मुझे लेकर घर आ गई।

 

घर पहुँचा, तो सभी लोगों ने मेरा उत्साह बढ़ाया। मैंने भी खूब पढ़ाई करने का निश्चय किया। इस प्रकार विद्यालय में मेरा पहला दिन बीता।

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