हिंदी निबंध लेखन

MIDDLE SCHOOL LEVEL (For Class 5 to 7)

सागर-तट पर एक शाम

सागर-तट पर एक शाम

एक शाम को घूमने के लिए मैं सागर तट पर गया। साथ में कुछ मित्र भी थे। वह शाम मुझे हमेशा याद रहेगी।

 

यह गर्मियों की लंबी और बोझल सी शाम थी। समय कट ही नहीं रहा था। उदास सी साँझ बहुत बुरी।ag रही थी, उसी समय मैं ने नदी किनारे जाने की सोची लटकाकर देने वाली गर्मी से छुटकारा  पाने का यह एक मात्र उपाय सूझा था मुझे। 

 

नदी किनारे पहुंचते ही पहला दृश्य मन मोहने वाला था। सागर की चांदी बिखेरती ठंडी लहरों ने मेरा खुली बांहों के साथ स्वागत किया, मुझे अपने निर्णय पर एक दम से प्रसन्नता हुई। ठंडी, शीतल हवाओं ने मानो मेरा सारा बोझलपन दूर कर दिया।

 

सागर के तट पर रंग-बिरंगे वस्त्र पहने हुए बच्चे उछल-कूद कर रहे थे। एक ओर अपार समुद्र था तो दूसरी ओर सागर-तट पर सैर करनेवालों की भीड़ थी। दोनों की छटा निराली थी। तुरंत ही मैं ने ठंडी,शीतल लहरों में उतरने का निश्चय किया और पाणि में उतर कर मैं खूब खेलने लगा अंततः मेरा मन प्रसन्न हो गया। कुछ समय बाद मैं पानी से बाहर आ गया, फिर भी गीले बदन से टकराती शीतल  लहरें मुझे गुदगुदाने लगती थीं लैब मेरा मन प्रसन्न था, मुझे सब कुछ अच्छा लग रहा था।

 

वहाँ तरह-तरह के खोमचे लगे हुए थे। कहीं लोग खड़े-खड़े चाट खा रहे थे, तो कहीं कुछ लोग नारियल का पानी पी रहे थे। कुछ बच्चे रेत के घरौंदे बना रहे थे। कुछ लोग अपने बच्चों को घोड़े की सवारी करा रहे थे।

 

धीरे-धीरे रात अपना आँचल फैलाने लगी। जब अँधेरा बढ़ने लगा तब अधिकतर लोग घर जाने के लिए सड़क की ओर बढ़ने लगे। कुछ लोग अब भी बसों और ऑटो-रिक्शों से उतरकर सागर-तट की ओर आ रहे थे। मैंने दौड़कर घर के समीप तक जानेवाली बस पकड़ ली। मैं सोच रहा था किसी दिन फिर मैं अपने मित्रों के साथ यहाँ आऊँगा।

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