उड़न तश्तरी
प्रस्तावना :
पृथ्वी पर सभ्यता के प्रारंभ से ही यह माना जाता रहा है कि इस ब्रह्माण्ड में हम अकेले नहीं हैं, अनेक धार्मिक आख्यान, विज्ञान पर आधारित कहानियाँ आदि इस संदर्भ में अनेक रूपों में अपना मंतव्य व्यक्त करती हैं। आधुनिक दुनिया में भी जब संसार बिल्कुल प्रयोगात्मक विज्ञान पर आधारित है बहुत से लोग परग्रहियों को देखने का दावा करते हैं जो उड़नतश्तरी में बैठकर पृथ्वी पर आते हैं।
अब तक विश्व के कई हिस्सों में उड़न तश्तरियों के देखे जाने की चर्चा की गई है, किंतु कुछ लोगों ने उन घटनाओं को सही माना, तो कुछ ने उन्हें मात्र कल्पना कहा। इनको लेकर विश्व के वैज्ञानिक भी दो वर्गों में बंटे हैं। एक वर्ग का मानना है कि पृथ्वी से परे ग्रहों पर अधिक बुद्धिमान परग्रही जीव हैं, जो अत्याधुनिक अंतरिक्ष यान में सवार होकर दूसरे ग्रहों की सैर करते हैं, तो दूसरा इसे कोरी बकवास मानता है। वास्तव में, इनके अस्तित्व को लेकर अब तक प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है।
उड़न तस्तरी का तात्पर्य :
उड़न तश्तरी का अंग्रेजी पर्याय अनआइडेण्टिफायड फ्लाईंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) है। यह अति बुद्धिमान परग्रही जीव अर्थात एलियन द्वारा निर्मित तश्तरी या डिस्कनुमा अत्याधुनिक तकनीक सम्पन्न ऐसी चीज है, जिसका उपयोग अंतरिक्षयान के रूप में किया जाता है। यह अब तक जाँच का विषय बना हुआ है और वैज्ञानिकों के लिए एक अनसुलझा रहस्य है। विश्व के कई देशों में जब-जब इनके देखे जाने की बात होती है तब-तब एक बार फिर से पृथ्वी से इतर ग्रहों पर जीवन के होने की बहस छिड़ जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, कनाडा, चीन आदि देशों सहित भारत में भी इनके देखे जाने की पुष्टि की गई है। कई बार तो लोगों ने उड़न तश्तरी सहित एलियन को धरती पर भी देखे जाने की बात कही है।
अब तक यूएफओ पर हुए शोध :
मई, 2014 में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने, जिनमें कैलिफोर्निया स्थित एसईटीआई (SETI) संस्थान के वरिष्ठ खगोलविद् शोध स्नातक भी शामिल हैं, पृथ्वी से परे आधा दर्जन स्थानों पर जीवन होने की सम्भावना व्यक्त की है, जिसकी खोज में अभी दो दशक का समय लग सकता है। पृथ्वी से बाहर सौर प्रणाली में जीवन की सम्भावना तलाशे जाने वाले ऐसे अधिकतम प्रयासों का केंद्र मंगल और चंद्रमा है। दिसम्बर, 2012 में ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के यूएफओ परियोजना के पूर्व प्रमुख निक पोप ने कहा था कि दुनिया का सबसे बड़ा रेडियो दूरबीन ‘स्क्वायर किलोमीटर एरे’ (एसकेए) के वर्ष 2016 में कार्य शुरू करने के साथ ही 100 प्रकाश वर्ष दूर तक की सभ्यताओं का पता लगाया जा सकेगा।
उनके अनुसार, हमारी धरती वर्ष 2024 तक एलियन के सम्पर्क में आ सकती है। रूसी अंतरिक्ष संस्थान के निदेशक एवं प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक एंडी फिंकेलस्टीन के अनुसार, आकाशगंगा में हमारे सौरमंडल के समान और भी कई सौरमंडल हैं, जिनके अपने सूर्य हैं। यदि उनके ग्रहों पर पानी हो, तो वहाँ जीवन होने की पूरी-पूरी सम्भावना है। उनका कहना है कि बाहरी ग्रहों पर भी मानव की तरह एक सिर और दो हाथ-पैर वाले प्राणी हैं, जो वर्ष 2031 तक पृथ्वी पर धावा बोल सकते हैं नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक ब्रायन पी. श्मिट ने बीजिंग में हुए अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के 28वें महासम्मेलन में कहा था- ‘मैं समझता हूँ कि एलियंस को यह बताना बुद्धिमानी नहीं है कि हम कहाँ रह रहे हैं, क्योंकि उनके साथ इंसानों की भेंट सुखद नहीं होगी।’
उड़न तस्तरी देखे जाने की विभिन्न घटनाएँ :
वर्ष 2009 में सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम के बीच श्री बराक हुसैन ओबामा वाशिंगटन स्थित कैपिटल हिल्स में राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ले रहे थे, तभी एक कैमरामैन की नजर आकाश में तेजी से भागती चिड़िया, जैसी एक काली-सी चीज पर पड़ी, जो वास्तव में चिड़िया न थी, किंतु वह देखते-ही-देखते कहाँ गायब हो गई कुछ पता न चला।
यूएफओ-सी दिखने वाली उस अज्ञात वस्तु की वीडियो तस्वीर ले ली गई, जिसे बाद में अन्य लोगों ने देखा। इसी वर्ष ब्रिटेन के रक्षामंत्रालय ने खुलासा किया कि वर्ष 2008 में ब्रिटिश संसद ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ के ऊपर डेढ़ घंटे तक एक बड़ी-सी उड़न तश्तरी मंडराती रही थी, जिस एयर क्रॉफ्ट की तरह रोशनी निकल रही थी। इन दोनों घटनाओं के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि अब एलियंस धरती के देशों की प्रशासनिक गतिविधियों में रुचि लेने लगे हैं। वर्ष 2011 में अमेरिकी खुफिया एजेंसी ‘एफबीआई’ की एक गोपनीय फाइल को सार्वजनिक करने के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि अमेरिकी पुलिस और सेना के अधिकारियों ने वर्ष 1949 में साल्ट लेक सिटी के उत्तर में लोगान के पास एक यूएफओ को पहाड़ों से टकराकर नष्ट होते हुए देखा था। लोगान से पूर्व वर्ष 1947 में भी यूएफओ के देखे जाने की घटना चर्चा में आई थी। यद्यपि अमेरिका में वर्ष 1969 में यूएफओ की जाँच की फाइल बंद कर दी गई थी, किंतु एलियंस द्वारा पृथ्वी पर बार-बार दस्तक देते रहने के कारण भला अमेरिका इनसे अप्रभावित हुए कैसे रह पाता।
वर्ष 2008 तक 19 अमेरिकी पायलटों सहित अमेरिकी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी डेनिस कुचिनिन भी उस वर्ग में शामिल हो गए, जो यूएफओ को देखने का दावा करता था। वर्ष 2010 में ‘नासा’ के वैज्ञानिकों को शनि ग्रह के टाइटन नामक उपग्रह पर हाइड्रोजन में सांस लेने वाले एलियंस के प्रमाण मिले। नासा के वैज्ञानिक क्रिस मैके का कहना है- ‘हम धरतीवासी जिस प्रकार ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं, उसी प्रकार टाइटन पर उपस्थित जीव हाइड्रोजन ग्रहण करते हैं।’ मैके की बात से स्पष्ट होता है कि दूसरे ग्रहों पर जल आधारित जीवों से भिन्न जीव भी मौजूद हैं अर्थात् जीवन का अस्तित्त्व जल के बिना भी हो सकता है। वर्ष 2011 में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने मलेशिया की वैज्ञानिक मजलान ओथमान को धरती पर एलियंस एम्बेसडर चुना, ताकि जब कोई एलियंस भविष्य में धरती पर कदम रखे तो वह उससे बात करने हेतु पहले से तैयार रहें।
ओथमान अंतरिक्ष में जाने वाले पहली मलेशियन महिला हैं। स्टीफन हाकिंग के शब्दों में – ‘मेरे दिमाग की गणनाएँ कहती हैं कि एलियंस हैं, मगर हमारे सामने अब यह चुनौती है कि वे दिखते कैसे हैं? अधिकतर एलियंस माइक्रोब्स जैसे या फिर छोटे पशुओं की तरह हो सकते हैं।’ वैज्ञानिकों के अनुसार, एलियंस मानव से सम्पर्क स्थापित करने हेतु वर्षों से कॉस्मिक ट्वीट्स भेज रहे हैं। वर्ष 1977 में ओहियो में लगी एक दूरबीन ने 72 सेकंड वाला एक ऐसा ही महत्त्वपूर्ण संकेत ग्रहण किया था, लेकिन उसे आज तक नहीं समझा जा सका ।
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि एलियंस के पास काफी शक्तिशाली दूरबीनें हैं, जिनके माध्यम से वे पृथ्वीवासियों की हर गतिविधियों पर नजर रखते हैं। उन्हें यहाँ के मौसम, समय आदि सारी बातों का ज्ञान है। नासा में महाअंतरिक्षयान ‘केपलर’ द्वारा खोजे कए ‘केपलर-11’ नामक नए ग्रह को एलिंयस का नया संसार कहा जा रहा है।
इस ग्रह पर एलियंस के होने के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। वर्ष 2012 में नासा द्वारा मंगल ग्रह पर भेजे गए ‘क्युरियोसिटी रोवर’ से प्राप्त चित्रों में मंगल पर एलियंस के होने के संकेत दिखे हैं। हालांकि कुछ वीडियो विश्लेषक चित्र में उपस्थित धब्बे को फोटों के मृत पिक्सल मान रहे हैं, फिर भी आशा की जा रही है कि यह रोबर भविष्य में मंगल पर पड़े रहस्यों पर से पर्दा हटाएगा। वर्ष 2013 में अमेरिकी सरकार ने आधिकारिक तौर पर पहली बार लास वेगास के पास नेवडा में एरिया -51 के होने को स्वीकारा है, जो रहस्यमय विमानन परीक्षण स्थल है और एलियंस से सम्बंधित भी है।
अक्टूबर, 2014 में नासा के उपग्रह ने सूर्य के पास पृथ्वी के आकार के एक विशालकाय यूएफओ की गतिविधियों की तस्वीर ली है। नासा के अंतरिक्ष यात्री स्कॉट कारपेंटर ने वर्ष 1962 में अंतरिक्ष यात्रा के दौरान यूएफओ की तस्वीर कैमरे में कैद की थी। उनके शब्दों में – ‘ऐसा कभी नहीं हुआ कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में अकेला हो। वह हमेशा से यूएफओ की निगरानी में रहा है।’ वर्ष 2013 में किए गए एक सर्वे के अनुसार, आधे अमेरिकावासी मानने लगे हैं कि धरती से परे भी जीवन का अस्तित्त्व है।
वर्ष 1954 में इटली में फ्लोरेंस स्थित स्टेडियम में खेले जा रहे फुटबॉल मैच के दौरान अचानक लोगों को ध्यान खेल से हटकर आकाश में तेजी से घूमती हुई प्रकाशमान, आवाज न करने वाली और गतिशील तश्तरीनुमा वस्तु पर गया, जो यूएफओ था। उसे देखकर खेल रोक दिया गया। स्टेडियम में खिलाड़ियों सहित सभी उपस्थित लोग उस घटना के गवाह थे। इटली में विमान यात्रा के दौरान वर्ष 1991 में भी यूएफओ देखे जाने की बात कही गई थी।
रूस में वर्ष 1989 में इनको देखे जाने की कई घटनाएँ सामने आईं, उनमें से एक घटना सबसे विस्मयकारी थी, जो 17 सितम्बर को हुई। वोरोनेज के एक पार्क में खेल रहे बच्चों ने एक बड़े-से लाल अंडाकार यान को धरती पर उतरते देखा, जिसमें से दो एलियंस निकले। उनमें एक 12 से 14 फीट लम्बा और तीन आंखों वाला था, तो दूसरा रोबोट जैसा दिख रहा था। बच्चों को चिल्लाते देख एक एलियन ने प्रकाश पुंज छोड़ा, जिसके प्रभाव से एक बच्चा बिल्कुल शिथिल-सा हो गया।
बाद में वहाँ की मिट्टी की जाँच करने पर रेडिएशन के प्रमाण मिले। रूस में ही वर्ष 2009 में तिकोने आकार के यूएफओ के देखे जाने की घटना सुनी गई। वर्ष 2011 में ब्राजील में भी एक पार्क में पिकनिक मनाते बच्चों ने पास के जंगल में एक अद्भुत आकृति वाले जीव को देखा था, जो कुछ और नहीं, बल्कि एलियन ही था। रूस के उराल क्षेत्र में स्थित पर्म (एमजोन) को एक ऐसा रहस्यपूर्ण स्थान माना गया है, जहाँ दूसरे ग्रहों से आए अंतरिक्षयान उतरते रहते हैं। वर्ष 2011 में साइबेरिया में बर्फ में धंसे हुए मृत एलियन के देखे जाने की बात ने सबको अचंभित कर दिया था। उस क्षत-विक्षत एवं मृत शरीर वाले एलियन को दो पर्यटकों ने देखा था।
यूएफओ और एलियंस के देखे जाने की घटनाएँ ब्रिटेन में भी काफी हुई हैं। वर्ष 1980 में इंग्लैंड के लोगों ने लाल और नीली रोशनी छोड़ने वाली धातु जैसी चीज से निर्मित यूएफओ के देखे जाने की बात कही थी। 90 के दशक में भी वहाँ ऐसी कई घटनाएँ हुईं। वर्ष 2009 में इंग्लैंड में दो लड़कों ने नीबू की आकृति के सिर वाले एक एलियन को देखने की बात कहकर सबको विस्मित कर दिया।
वर्ष 2010 में लंदन में एक ऐसा वीडियो देखा गया, जिसमें दो ब्रिटिश लड़ाकू विमान एक उड़न तश्तरी का पीछा कर रहे थे। वर्ष 2011 में बोथनिया में स्वीडेन के डूबे जहाज की खोज करने के दौरान स्वीडिश विशेषज्ञ पीटर लिंडवर्ग ने एक यूएफओ के मलबे की खोज की थी। वर्ष 2012 में ब्रिटेन के केंट व एसेक्स क्षेत्र में अलग-अलग दो-दो यूएफओ देखे जाने की बात चर्चा में आई। सितम्बर, 2014 में इंग्लैंड के पार्ट्समाउथ में ग्रे रंग का एक यूएफओ देखा गया था, जो काफी तेज घूमता हुआ जा रहा था। वर्ष 2010-11 में चीन के लोगों ने भी कई बार यूएफओ देखे थे।
वर्ष 2014 में पेरिस में कुछ दोस्तों ने मिलकर वीडियो तैयार किए थे, जिनमें यूएफओ को काफी तेज गति से एफेल टावर के पास से गुजरते हुए दिखाया गया है। पेरिस में ही 1.2 अरब यूरो की लागत से एक ऐसे टेलीस्कोप का निर्माण किया जा रहा है, जो सितारों पर एलियंस की खोज करेगा। इसे वर्ष 2024 में लांच किया जाएगा। अंतरिक्ष विज्ञानी डॉन पॉलेको का कहना है- ‘पृथ्वी जैसे दूसरे ग्रहों पर भी वातावरण में प्रदूषण के प्रमाण मिले हैं, जिससे वहाँ भी औद्योगिक इकाई के होने की पूर्ण सम्भावना दिखती है और इससे एलियंस के होने की पुष्टि होती है।’
भारत में एक खुदाई के दौरान मिले ताड़पत्र के अध्ययन से यह बात सामने आई कि मई, 1947 में ओडिशा के जिले में एक यूएफओ उतरा था। वर्ष 2008 में पंजाब, बंगाल एवं उत्तर प्रदेश में भी यूएफओ के देखने की बात कही गई। वर्ष 2012 में भारतीय सेना ने भारतीय क्षेत्र के अंदर कई बार चीन की ओर से आते यूएफओ देखे। वर्ष 2014 में कोच्चि एवं लखनऊ में भी इसे देखे जाने की बात कही गई। ‘इसरो’ के वैज्ञानिकों ने भी कई बार एलियंस के होने की पुष्टि की है।
उपसंहार :
एलियंस के संदर्भ में अनेक साहित्यकारों ने भी अपनी रचनाओं में बहुत कुछ लिखा है। फ्रांस के लेखक रइल की लिखी एक कहानी में कहा गया है कि पृथ्वी के सभी जीव एलियंस के वैज्ञानिक प्रयोग हैं। रइल ने 70 के दशक में दुनिया को यह कहकर चौंका दिया था कि 13 दिसंबर, 1973 को उनकी भेंट एलियंस से हुई थी और एलियंस उन्हें अपने साथ अपने ग्रह पर ले गए थे। वहाँ उन्होंने महात्मा बुद्ध सहित जीसस क्राइस्ट को भी देखा था। भारतीय फिल्म ‘कोई मिल गया’ एलियन एवं यूएफओ पर केंद्रित फिल्में हैं, जिसमें अभिनेता ऋतिक रोशन को एलियन से सम्पर्क करने का अवसर प्राप्त हुआ है। वैसे तो अब भी एलियंस और यूएफओ के बारे में प्रामाणिक रूप से कुछ विशेष नहीं कहा जा सकता, किंतु आशा है आने वाले वर्षों में हमारे वैज्ञानिक अवश्य ही यह गुत्थी सुलझा लेंगे और ऐसा रास्ता भी खोज निकालेंगे, जिससे एलियंस नुकसानदेह न होकर हमारे हितैषी बन जाएँ।
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