सौरव गांगुली
प्रस्तावना :
भारत में क्रिकेट सर्वाधिक लोकप्रिय खेल है। शिक्षित हो या अशिक्षित, युवा हो, बच्चा हो या बूढ़ा हो, हर वर्ग के लोगों में क्रिकेट बेहद लोकप्रिय खेल है। जब कभी बड़ी टेस्ट श्रृंखला या एक दिवसीय क्रिकेट श्रृंखला चल रही हो तो क्रिकेट के दीवाने बाजार में, दफ्तरों में, घरों में काम छोड़कर टी.वी. या रेडियो में ध्यान लगाए क्रिकेट का आनंद उठाते देखे जा सकते हैं। सौरव गांगुली उन महान खिलाड़ियों में एक हैं जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को एक नवीन ऊँचाई दी।
जन्म एवं बचपन :
सफलतम भारतीय कप्तानों में गिने जाने वाले सौरव गांगुली का जन्म 8 जुलाई, 1972 को कोलकाता (प. बंगाल) में हुआ था। सौरव गांगुली, को प्यार से दादा भी कहा जाता है। वे बाएँ हाथ का श्रेष्ठतम बल्लेबाज हैं। लाखों क्रिकेट प्रेमी आज भी सौरव के दीवाने हैं। सौरव गांगुली का पूरा नाम सौरव चंडीदास गांगुली है। वे दाहिने हाथ का मीडियम पेस गेंदबाज भी हैं।
खेल जीवन :
सौरव गांगुली ने पहला एक दिवसीय मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ ब्रिसबर्न में 11 जनवरी, 1992 को खेला था तथा पहला टेस्ट लाईर्ड्स मैदान पर इंग्लैंड के विरुद्ध 1996 में खेला था। उनकी बल्लेबाजी में ताकत और जोश का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। वे ऑफ साइड पर भी कमाल के शॉट्स खेलते हैं। उन्हें जब टेस्ट मैच में शामिल किया गया तो उनकी तीखी आलोचना हुई। कहा गया कि कोटा सिस्टम के कारण उन्हें टीम में रखा गया। लेकिन सौरव ने अपनी पहली दो टेस्ट पारियों में शतक बनाकर सबको चुप करा दिया। यही नहीं, उन मैचों में उन्होंने अधिक विकेट भी लेकर ‘मैन ऑफ द सीरीज’ पुरस्कार भी जीत लिया।
शुरू में सौरव गांगुली को, उनके ऑन साइड स्ट्रोक न खेल पाने के कारण, केवल टेस्ट मैच खेलने के योग्य समझा गया, लेकिन जल्दी ही उन्होंने अपनी कमजोरी पर विजय प्राप्त कर ली और 1997 में टोरंटो में हुए सहारा कप में पाकिस्तान के विरुद्ध शानदार खेलते हुए हर भारतीय के दिल में अपनी जगह बना ली। उन्होंने 75 गेंदों पर 75 रन बनाने का कमाल दिखाया है और 16 रन देकर 5 विकेट लेने का भी। टोरंटो में 4 बार उन्होंने ‘मैन ऑफ द मैच’ जीता। इसी कारण वे ‘मैन ऑफ द सीरीज’ भी चुने गए। वे अनेक बार सचिन तेंदुलकर के साथ ‘ओपनिंग’ खिलाड़ी के रूप में खेले हैं। सौरव की मुख्य समस्या विकेट के बीच भागने की है। वे एक-एक रन की बजाय चौका लगाने में ज्यादा यकीन करते हैं। सौरव को श्रीलंका के विरुद्ध खेली गई सीरीज में भी ‘मैन ऑफ द सीरीज’ चुना गया। उन्हें 1997 में एक दिवसीय मैच में सर्वाधिक रन बनाने के कारण वर्ष का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज घोषित किया गया। उनके शतक की बदौलत ही ढाका में पाकिस्तान के विरुद्ध भारत ने सर्वाधिक 314 रन का स्कोर एक दिवसीय मैच में बना डाला। एक दिवसीय मैच में उनकी तेंदुलकर के साथ 252 रन की पार्टनरशिप आज तक का सर्वाधिक ऊँचा रिकॉर्ड है। एक दिवसीय क्रिकेट इतिहास में उनकी और सचिन की ओपनिंग जोड़ी विश्व की चौथे नम्बर की बेहतरीन जोड़ी रही।
खेल जीवन की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ :
- 1997 के सहारा कप में सौरव ने लगातार 5 बार ‘मैन ऑफ द मैच’ पुरस्कार पाने का रिकॉर्ड कायम किया और फिर ‘मैन ऑफ द सीरीज’ पुरस्कार जीता।
- 1997 में सौरव एक दिवसीय मैच में सर्वाधिक स्कोर करने वाले खिलाड़ी बने।
- सौरव को 1998 में ‘स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द ईयर’ पुरस्कार दिया गया।
- सौरव गांगुली को 1998 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया।
- पेप्सी कप 1999 में गांगुली को ‘मैन ऑफ द सीरीज’ चुना गया। उन्होंने 278 रन बनाए तथा 6 विकेट लिए।
- सौरव ने विश्व कप 1999 में श्रीलंका के विरुद्ध खेलते हुए एक दिवसीय मैच में 183 रन का विशाल स्कोर बनाया और उससे पहले का कपिल देव का 175 का रिकॉर्ड तोड़ दिया। यह उस वक्त का किसी भारतीय खिलाड़ी का सर्वाधिक स्कोर था।
- गांगुली विश्व के उन गिने-चुने खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने एक ही मैच में शतक भी बनाया है और 4 विकेट भी लिए हैं।
- सौरव गांगुली सचिन के साथ शुरुआती खिलाड़ी जोड़ी के रूप में विश्व में चौथे नम्बर पर हैं।
- सौरव और सचिन ने मिलकर शुरुआती जोड़ी के रूप में 252 रन की पार्टनरशिप का रिकॉर्ड बनाया है।
उपसंहार :
सौरव गांगुली अब क्रिकेट जीवन से सन्यास ले चुके हैं। 2018 में उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। सौरव गांगुली एक महान बल्लेबाज रहे हैं। उम्मीद है कि अपने राजनैतिक जीवन में भी वे एक महान राजनेता साबित होंगे और जनता की मौलिक समस्याओं के लिए समुचित संघर्ष करेंगे।
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