नीति आयोग
प्रस्तावना :
प्रत्येक व्यवस्था चाहे वह सामाजिक हो या राजनैतिक उसमें परिवर्तन आवश्यक है। परिवर्तन ही किसी व्यवस्था की सतत गति, उसकी उत्कृष्टता और समसामयिकता को निर्धारित करता है। कोई भी संस्था अथवा संकल्पना जो वर्तमान में प्रासंगिक है भविष्य में अप्रासंगिक हो सकती है और उसमें परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है। इसी सिद्धांत को दृष्टिगत रखते हुए समकालीन आर्थिक परिवेश से समन्वय स्थापित करने के लिए भारत सरकार द्वारा योजना आयोग को परिवर्तित कर ‘नीति आयोग’ के गठन की घोषणा 1 जनवरी, 2015 को की गई। नीति आयोग का पूरा नाम ‘नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफार्मिंग इंडिया’ है। योजना आयोग की प्रासंगिकता पर समय-समय पर प्रश्न उठते रहे हैं, क्योंकि पुराने सोवियत मॉडल पर आधारित योजना आयोग द्वारा वर्तमान आर्थिक संवृद्धि से सामंजस्य बैठाना मुश्किल हो रहा था।
नीति आयोग : भौतिक स्वरूप :
संरचनात्मक बदलाव को प्राथमिकता देते हुए सरकार द्वारा जनकेंद्रित, सक्रिय और सहभागी विकास के सिद्धांत को अपनाकर नीति आयोग का संरचनात्मक एवं प्रशासनिक स्वरूप तैयार किया गया है। इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री तथा केन्द्रशासित प्रदेशों के उप-राज्यपालों अथवा प्रशासकों को स्थान दिया गया है, जिससे आर्थिक वृद्धि में राज्यों की स्पष्ट भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। इसके अतिरिक्त इस आयोग में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है। सरकार का मानना है कि इससे ‘सहकारी संघवाद’ की संकल्पना को मजबूती मिलेगी।
नीति आयोग के मूल उद्देश्य:
नीति आयोग के निम्नलिखित उद्देश्य हैं –
- राज्यों के सहयोग द्वारा तथा उनको सहयोग प्रदान करके एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण।
- नीति आयोग द्वारा जन सहभागिता की अवधारणा को सशक्त करके ‘सहकारी संघवाद’ की संकल्पना को अधिक मजबूत करना।
- नीति आयोग राष्ट्रीय विकास की योजनाओं और नीतियों का इस प्रकार निर्धारण करेगा, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा तथा आर्थिक विकास के बीच समन्वय स्थापित किया जा सके।
- प्रत्येक राज्य तथा उस राज्य के लोगों के सामाजिक, आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग अपनी आर्थिक नीतियों का निर्धारण इस प्रकार करेगा कि उस राज्य के प्रत्येक वर्ग के हित सुनिश्चित हो सकें।
- लघु अवधि के साथ-साथ नीति आयोग दीर्घावधि के लिए भी नीतियों और योजनाओं का निर्धारण करेगा जिससे कि भविष्य के लिए आर्थिक हितों को सुनिश्चित किया जा सके।
- निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों तथा अन्य अंशकालिक सदस्यों की सहभागिता द्वारा नीति आयोग ‘संघीय ढांचे की परिकल्पना’ को मजबूत करेगा।
प्रशासनिक स्वरूप :
नीति आयोग की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी। इस आयोग के लिए एक उपाध्यक्ष की व्यवस्था भी की गई है। अरविंद पनगड़िया को इस आयोग का प्रथम उपाध्यक्ष बनाया गया है।
नीति आयोग का प्रशासनिक ढांचा इस प्रकार है –
गवर्निंग काउंसिल
- सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री, केन्द्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल अथवा प्रशासक
विशेष आमंत्रित सदस्य
- विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ (प्रधानमंत्री द्वारा नामित)
उपाध्यक्ष
- प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया गया जाएगा
पूर्णकालिक सदस्य
- इनकी संख्या पाँच होगी
अंशकालिक सदस्य
- दो पदेन सदस्य तथा विश्वविद्यालयों के शिक्षक क्रम के अनुसार
पदेन सदस्य
- चार केन्द्रीय मंत्री
सीईओ
- केन्द्र के सचिव स्तर का अधिकारी, जिसे निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाएगा।
नीति आयोग की सरकार में भूमिका :
नीति आयोग की मुख्य भूमिका राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर केन्द्र तथा राज्य सरकारों को आवश्यक रणनीतिक तथा तकनीकी परामर्श देने की होगी अर्थात नीति आयोग एक परामर्शदात्री संस्था होगी। नीति आयोग के गठन से पहले सभी मंत्रालयों के बजट प्रस्ताव योजना आयोग को प्रेषित किए जाते थे, किंतु ये अधिकार अब सीधे मंत्रालयों के पास आ गए हैं।
चूंकि देश के प्रत्येक राज्य की आर्थिक आवश्यकताएँ अलग-अलग हैं। अतः यह आवश्यक है कि प्रत्येक राज्य के लिए उसकी आवश्यकता के अनुरूप नीतियों का निर्माण किया जाए, जबकि योजना आयोग एक जैसी नीतियों को सम्पूर्ण देश में लागू करता रहा है। नीति आयोग केन्द्र-राज्य सम्बंधों को मजबूत करेगा। इसके लिए नीति आयोग के अंतर्गत एक ‘नवीन परिषद्’ नामक विभाग की स्थापना की जाएगी।
यह परिषद् अंतर्राज्यीय परिषद की तरह ही भूमिका निभाएगी। लम्बे समय की योजनाओं के निर्माण तथा उनकी निगरानी हेतु नीति आयोग के तहत एक नवीन विभाग का गठन किया जाएगा। यह विभाग योजनाओं के निर्माण के साथ-साथ उसके क्रियान्वयन हेतु आवश्यक दिशा-निर्देशों का प्रारूप भी तैयार करेगा। ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ तथा ‘यूआईडीएआई’ से जुड़ी प्रक्रियाओं के लिए भी एक तकनीकी संस्था की स्थापना की जाएगी। यह संस्था जन सहभागिता और उनके लाभ की प्राप्ति के लिए उत्तरदायी होगी।
उपसंहार :
परिवर्तन आवश्यक है, परंतु परिवर्तन का आधार पूर्णतः सकारात्मक होना चाहिए। योजना आयोग के स्वरूप को परिवर्तित कर नीति आयोग के गठन पर अनेक लोगों तथा राजनैतिक पार्टियों द्वारा सवाल उठाए गए। इन तमाम बातों के बावजूद यह पूर्णतः सत्य है कि योजना आयोग के स्वरूप में परिवर्तन की माँग वर्षों से उठती रही है। यह समय के गर्भ में है कि नीति आयोग अपने उद्देश्यों में कितना सफल रहता है, परंतु परिवर्तन का स्वागत तो होना ही चाहिए। अब यही आशा है कि नीति आयोग अपने उद्देश्यों के प्रति दृढ़ रहते हुए आगामी समय में भारत के विकास में अपनी सशक्त भूमिका निभाएगा।
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