मीडिया और आधुनिक समाज
प्रस्तावना :
जिन साधनों का प्रयोग कर बहुत से मानव समूहों तक विचारों, भावनाओं व सूचनाओं को सम्प्रेसित किया जाता है, उन्हें हम जनसंचार माध्यम या मीडिया कहते हैं। मीडिया, ‘मीडियम’ शब्द का बहुवचन रूप है, जिसका अर्थ होता है- माध्यम। मीडिया अर्थात् जनसंचार माध्यम को तीन वर्गों मुद्रण माध्यम, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम एवं नव इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में विभाजित किया जा सकता है। मुद्रण माध्यम के अंतर्गत समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, पैम्फलेट, पोस्टर, जनरल, पुस्तकें इत्यादि आती हैं। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के अंतर्गत रेडियो, टेलीविजन एवं सिनेमा आते हैं। नव इलेक्ट्रॉनिक माध्यम इंटरनेट है। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में सूचनाओं तक व्यक्ति की पहुँच में तेजी आने के साथ ही मीडिया के महत्त्व में भी वृद्धि हुई है। मीडिया से किसी-न-किसी रूप में जुड़े रहना आधुनिक मानव की आवश्यकता बनती जा रही है। मोबाइल, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट इत्यादि में से किसी-न-किसी माध्यम से व्यक्ति हर समय दुनियाभर की खबरों पर नजर रखना चाहता है।
उल्लेखनीय है कि अपराध के विभिन्न प्रकरणों, जैसे- जेसिका लाल हत्याकाण्ड, रुचिका हत्याकाण्ड, निर्भया काण्ड, 2-जी स्पेक्ट्रम प्रकरण, मुजफ्फरनगर दंगे आदि को समुचित जानकारी के साथ मीडिया ने समय-समय पर उजागर किया है, जिससे जनता उद्वेलित भी हुई है और सही परिप्रेक्ष में उसने वस्तुस्थिति को समझा भी है। इन लोकतांत्रिक भावनाओं की रक्षा करने में मीडिया के ये कार्य उसके लोकतंत्र का प्रहरी होने के प्रमाण हैं। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है।
मीडिया के विभिन्न रूप :
आज समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो और टेलीविजन विश्व-भर में जनसंचार के प्रमुख एवं लोकप्रिय माध्यम बन चुके हैं। इनमें से समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं का फैलाव सबसे अधिक है, किंतु शहर से दूरदराज क्षेत्रों में, जहाँ आज भी बिजली नहीं पहुँची है, रेडियो ही जनसंचार का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम है। शुरू-शुरू में टेलीविजन की लोकप्रियता समाचार, धारावाहिक एवं सिनेमा प्रसारित किए जाने के कारण हुई, पर बाद में कई न्यूज चैनलों की स्थापना के साथ ही यह जनसंचार का एक ऐसा सशक्त माध्यम बन गया, जिसकी पहुँच करोड़ों लोगों तक हो गई। अब तीन सौ से अधिक टेलीविजन चैनल चौबीसों घंटे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं। इंटरनेट जनसंचार का एक नवीन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है।
मीडिया की महत्त्व :
मीडिया की भूमिका किसी भी समाज के लिए महत्त्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह न केवल सूचना के प्रसार का कार्य करता है, बल्कि लोगों को किसी मुद्दे पर अपनी राय कायम करने में भी सहायक होता है। पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ग्लैमर और पीत पत्रकारिता में वृद्धि होने के बाद से इसकी लोकप्रियता एवं विश्वसनीयता में कमी तथा समाचार-पत्र की विश्वसनीयता में वृद्धि हुई है। हाल ही में 2-जी स्पेक्ट्रम घोटोले में जब प्रिंट ही नहीं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के भी दिग्गज बहती गंगा में हाथ धोते नजर आए, तब कुछ निर्भीक एवं निष्पक्ष समाचार-पत्रों ने पत्रकारिता के अपने धर्म के अंतर्गत देश को उनकी असलियत बताई।
मीडिया का मौलिक दायित्व :
मीडिया के प्रमुख कार्य हैं – लोकमत का निर्माण, सूचनाओं का प्रसार, भ्रष्टाचार एवं घोटालों का पर्दाफाश तथा समाज की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करना।
उपसंहार :
आज मीडिया एक ऐसा प्लेटाफार्म बन चुका है जो समाज में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। उसको अपनी प्रतिष्ठा का ध्यान रखना चाहिए और उसे कायम रखने के लिए मेहनत करना चाहिए। मीडिया वालों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जो वो दिखा रहे हैं उसमें सच्चाई हो। झूठी बात एवं अफवाह फैलाने से बचना चाहिए।
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