इंटरनेट प्रौद्योगिकी व ई-कॉमर्स

इंटरनेट प्रौद्योगिकी व ई-कॉमर्स
Image : Gweka

प्रस्तावना :

इंटरनेट की शुरूआत अमरीकी रक्षा विभाग तथा बैल लैब्स ने 1985-86 में की थी। यह एक सूचना नेटवर्क है जिसमें करोड़ों कम्प्यूटर उपग्रहों, फाइबर तंतु केबलों तथा टेलीफोन लाइनों के द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं। सूचना के आदान-प्रदान, टेलीफोनी, वेबसाइटों पर भ्रमण (सर्फिग) तथा चलचित्रों वाली सारी गतिविधियों हेतु इंटरनेट का प्रयोग होने लगा है। अब इंटरनेट किसी एक व्यक्ति विशेष या देश की बपौती नहीं है। इंटरनेट का स्वामी तो कोई भी नहीं है, परंतु इसके कार्य प्रचालन हेतु इंटरनेट सोसाइटी का गठन किया गया है। इसके अलावा कुछ अन्य संस्थायें इंटरनेट के तकनीकी पक्षों व तकनीकों के प्रबंधन के लिए बनाई गई हैं।

 

भारत में इंटरनेट प्रौद्योगिकी का आरंभ :

भारत में इंटरनेट 1995 में विदेश संचार निगम लिमिटेड के जरिये आया था। भारत में कम्प्यूटरों की संख्या काफी कम है व इंटरनेट उपभोक्ताओं की तादाद तो और भी कम है, परंतु अब ये प्रवृत्ति बदल रही है और भारत में भी इंटरनेट का उपयोग करने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। जनवरी, 2018 में इंटरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या 3 बीलियन थी। कनाडा व अमरीका में सर्वाधिक व्यक्ति (131.10 मिलियन) इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं। एशिया तथा पैसिफिक क्षेत्र में 42.60 मिलियन व्यक्ति इंटरनेट प्रौद्योगिकी से लाभ उठा रहे हैं। भारत में इंटरनेट के करीब तीन मिलियन कनैक्शन हैं।

 

इंटरनेट से लाभ:

भारत के उद्योगपतियों को इंटरनेट से काफी लाभ हो सकते हैं। सूचना के आदान-प्रदान के अलावा इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स (ई-कॉमर्स) की तकनीक का इस्तेमाल करके छोड़े व बड़े उद्यमी तथा उद्योगपति अच्छा खासा धन अर्जित कर सकते हैं। उपभोक्ता उत्पादों के लेन-देन के लिए इंटरनेट से बढ़िया कुछ भी नहीं है। यूरोप और अमरीका में तो ई-कॉमर्स अपने पूरे यौवन पर है, परंतु भारत में ई-कॉमर्स की उन्नति दर काफी कम है।

 

इंटरनेट ने युवाओं के लिए रोजगार व शिक्षा के लिए एक आसान मार्ग खोल दिये हैं। अब सूचना के आदान-प्रदान, शिक्षा, मनोरंजन, सामाजिक मेलजोल तथा उन्मुक्त व्यापार का पर्यायवाची इंटरनेट ही है। युवक व युवतियाँ इंटरनेट से सम्बंधित तकनीकों में पारंगत होकर अच्छी नौकरियाँ पाते हैं। उनमें से कुछ तो विदेश भी जाते हैं जहाँ  इंटरनेट का उपयोग पेप्सी कोला की बोतल को खोलने के समान है।

 

भारत में इंटरनेट का प्रसार :

भारत सरकार भी इंटरनेट व उससे सम्बद्ध तकनीकी के प्रसार व उनके भारतीय अर्थव्यवस्था पर (फलदायक) प्रभाव के बारे में सजग है। इंटरनेट के भारत में प्रसार के लिए सरकार ने छात्रों, कम्प्यूटर उत्पादकों को निजी क्षेत्र की कम्पनियों व व्यक्तियों को कई प्रोत्साहन दिये हैं। इंटरनेट कम्पनियों ने जिन्हें हम आईएसपी भी कहते हैं इंटरनेट समय की दरें घटा दी हैं। अब हमारे पाठ क 500 रुपए में 100 घंटों तक इंटरनेट पर सर्किंग कर सकते हैं। कई कम्पनियों के दाम तो इससे भी कम हैं।

 

इंटरनेट पर सर्किंग करने के लिए कम्प्यूटर, मोडम, टेलीफोन की लाइन इंटरनेट से सम्बद्धता तथा सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। छठी कक्षा या इसकी ऊपर की कक्षाओं के छात्र सरलता से इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं। इंटरनेट पर मनोरंजन भी खूब होता है, परंतु कुछेक वेबसाइटों पर प्रसारित जानकारी का बच्चों की मानसिकता पर कुप्रभाव पड़ सकता है। छात्र इंटरनेट के वेबसाइटों का भ्रमण कर सकते हैं, मित्रों के साथ ई-मेल कर आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा आंकड़ों और तथ्यों को देखकर उनको अपने कम्प्यूटरों अथवा प्रिंटरों पर डाउनलोड भी कर सकते हैं और तो और, वे टीवी तथा फिल्में भी इंटरनेट पर देख सकते हैं। कई अखबार व पत्रिकाएँ इंटरनेट पर भी प्रकाशित होने लग गई हैं।

 

आजकल तो भारत में टीवी केबल ऑपरेटर भी इंटरनेट की सेवाएँ दे रहे हैं। भारत सरकार ने इस विषय में आवश्यक अध्यादेश पारित कर दिया है। छात्र व छात्राएँ तथा इंटरनेट से सम्बंधित सभी लोग शिक्षा, रोजगार व मनोरंजन के क्षेत्रों में इंटरनेट का भरपूर उपयोग कर सकें, इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु यह कदम उठाया गया है।

 

इंटरनेट के नुकसान :

इंटरनेट पर अपराधों की संख्या बढ़ रही है। मनचले लोग वेबसाइट पर वायरस छोड़ देते हैं या कलुषित विचारों से ओत-प्रोत ई-मेल संदेश भेजते रहते हैं। कुछ लोग तो बैंक खातों के कोड चुराकर उन बैंकों से धन भी चुरा लेते हैं। इंटरनेट पर इस प्रकार धन को अपने खाते में डालना कोई मुश्किल कार्य नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक कैश (ई-कैश) प्रणाली के ई-कॉमर्स में सम्मिलित होने के बाद से इस प्रकार की ‘साइबर चोरियाँ’ कुछ अधिक होने लग गई हैं। इनको रोकने का उपाय फिलहाल तो नजर नहीं आता। इसके अलावा यदि बच्चे व युवा इंटरनेट पर अश्लील वेबसाइटों को देखते हैं तो उनका चारित्रिक व मानसिक पतन होता है।

 

व्यापार में इंटरनेट के उपयोग:

इंटरनेट से सम्बंधित नवीनतम प्रौद्योगिकी है एम-कॉम की। एम-कॉम मोबाइल कॉमर्स का संक्षिप्त रूप है। इस प्रौद्योगिकी के द्वारा उपभोक्ता अपने सेल्युलर फोनों के जरिये कारोबार कर सकते हैं। वे इंटरनेट का उपयोग वायरलैस एप्लीकेशन प्रोटोकोल के द्वारा करते हैं। इंटरनेट से जुड़े रहने के कारण वे चलते-फिरते ही ई-मेल भेज सकते तथा प्राप्त कर सकते हैं। शेयर बाजारों के उतार-चढ़ाव, इंटरनेट के वेबसाइटों की जानकारी तथा मनोरंजन से सम्बद्ध जानकारी सेल्युलर फोन के द्वारा मिल जाती है। और तो और सेल्युलर फोन के द्वारा उपभोक्ता रेल व विमान की यात्रा हेतु बुकिंग भी करवा सकते हैं। संगीत सुनने के लिए भी एम-कॉम, प्रौद्योगिकी से लैस सेल्युलर फोन उपयुक्त हैं। आशा है कि घुमक्कड़ व्यापारियों के लिए यह प्रौद्योगिकी अवश्य ही लाभकारी सिद्ध होगी। परंतु इसके लिए सेल्युलर फोन के स्क्रीन का आकार बड़ा करना होगा। इसके अलावा, इंटरनेट इस्तेमाल करने का शुल्क सेल्युलर फोन पर अधिक है। इसे कम करना होगा ताकि आम आदमी भी एम-कॉम का प्रयोग कर सके। वैसे एम-कॉम का अधिकतर उपयोग व्यापार व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संदेशों के आदान-प्रदान के लिए ही होगा।

 

उपसंहार :

हमें इंटरनेट का उपयोग शिक्षा, रोजगार, सूचना के आदान-प्रदान तथा व्यापार से सम्बंधित गतिविधियों के लिए करना चाहिए। इंटरनेट को चहुंमुखी उन्नति हेतु एक सूचना माध्यम बनाना व विकसित करना श्रेयस्कर होगा।

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