भारत-श्रीलंका संबंध
प्रस्तावना :
हिंद महासागर में स्थित श्रलंका भारत के दक्षिण में स्थित है। पाक जलडमरूमध्य, दोनों राष्ट्रों के मध्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा है। भारत और श्रीलंका के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। श्रीलंका के संदर्भ में प्राचीनतम पुराणों तक में उल्लेख मिलता है। भारतीयों के लिए पुण्यग्रंथ रामायण की सम्पूर्ण पुण्य भूमि ही भारत और श्रीलंका पर आधारित है। आधुनिक भारत में भी आमतौर पर, श्रीलंका और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं, लेकिन श्रीलंका के गृहयुद्ध के दौरान भारतीय हस्तक्षेप से दोनों देशों के संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए। । श्रीलंका में हुए गृहयुद्ध और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (LTTE) की आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए वर्ष 1987 में भारत ने ‘पवन’ ऑपरेशन के तहत इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (IPKF) को श्रीलंका भेजा। भारत का मूल उद्देश्य श्रीलंका को गृहयुद्ध से उबारना था, परंतु इसका उल्टा ही परिणाम सामने आया। श्रीलंका में बसे तमिल समुदाय ने इसे संदेह की दृष्टि से देखा और इसी संदेह के चलते श्रीलंका में सक्रिय लिट्टे संगठन ने भारत को बहुत बड़ा आघात पहुँचाया। लिट्टे ने मानव-बम का प्रयोग कर 21 मई, 1991 को हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की हत्या कर दी।
भारत के लिए यह घटना दिल दहलाने वाली थी। इस पर कड़ी कार्यवाही करते हुए भारत ने लिट्टे को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम में श्रीलंका के साथ भारत का संबंध कमजोर पड़ गया, हालांकि बाद में दोनों देशों के संबंध सुधरने शुरू हुए।
भारत श्रीलंका संबंध में सुधार और सहायता:
बीते दशक (वर्ष 2001-10) में दोनों देशों के संबंधों में गुणात्मक और मात्रात्मक परिवर्तन आया है। राजनीतिक संबंधों के साथ-साथ व्यापार, निवेश, रक्षा आदि क्षेत्रों में भी द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं। इस समय भारत-श्रीलंका ने अनेक विकासोन्मुखी योजनाओं का संचालन किया है। वर्ष 2006-07 में भारत ने श्रीलंका को ₹28 करोड़ की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई।
व्यावसायिक संबंध :
दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार को लेकर वर्ष 2010 को सबसे अधिक सफल वर्ष कहा जाता है, क्योंकि इस वर्ष श्रीलंका ने भारत को 45% अधिक निर्यात किया। इस समय इंडियन नेशनल थर्मल पावर कॉपरेशन (NTPC) सामपुर (श्रीलंका) में 500 मेगावाट की क्षमता का पावर प्लांट निर्मित कर रहा है। कहा जाता है कि यह परियोजना भारत-श्रीलंका संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाएगी। वैसे श्रीलंका ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है।
फरवरी, 2013 में श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री महिन्दा राजपक्षे ने भगवान बुद्ध की नगरी बोधगया की यात्रा की थी। तब तमिल सियासत की ओर से उनका विरोध प्रदर्शन भी किया गया था। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने भी मार्च, 2014 में श्रीलंका की यात्रा की थी और उन्होंने वहाँ के राष्ट्रपति से श्रीलंका द्वारा गिरफ्तार किया गए 32 भारतीय मछुआरों को मुक्त करने का अनुरोध किया था। बाद में श्रीलंका को न सिर्फ हमारे नव निर्वाचित प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आमंत्रण मिला है, बल्कि उसने मौत की सजा का सामना कर रहे पाँच भारतीय मछुआरों को रिहा कर भारत के साथ सद्भावना भी व्यक्त की।
उपसंहार :
भारत-श्रीलंका संबंध न केवल भारत के लिए बल्कि दोनों ही देशों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। श्रीलंका और भारत दोनों ही आतंकवाद से ग्रस्त रहे हैं। दोनों की सांस्कृतिक विरासत मिलती-जुलती है। हमें यकीन है कि भविष्य में हमारे रिश्ते अवश्य ही और मजबूत होंगे।
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