भारत-नेपाल संबंध

भारत-नेपाल संबंध
Image : Brookings Institution

प्रस्तावना :

यदि पाकिस्तान और चीन को छोड़ दें, तो भारत के संबंध अपने अन्य सभी पड़ोसी देशों के प्रति काफी अच्छे हैं। बात अगर नेपाल की करें, तो नेपाल के साथ भारत के संबंध बहुत ही अच्छे हैं। उत्तर में नेपाल की सीमा चीन से लगती है, अन्य सभी ओर से यह भारत से घिरा हुआ है। प्राचीनकाल से ही नेपाल और भारत में सांस्कृतिक रूप से बहुत अधिक समानताएँ रही हैं।

 

भारत-नेपाल संधि :

आज भी दोनों देशों में एक ‘विशेष संबंध’ कायम है, जिसके कारण दोनों देशों के नागरिक बिना किसी बीजा या पासपोर्ट के एक-दूसरे के देश में प्रवेश कर सकते हैं भारत-नेपाल के मध्य वर्ष 1950 में शांति एवं मैत्री संधि भी हो चुकी है, जिसके अंतर्गत दोनों देश सुरक्षा की दृष्टि से पारस्परिक सहयोग करेंगे और किसी भी भ्रामक स्थिति में परस्पर संवाद स्थापित करके मित्रता के संबंध का निर्वाह करेंगे।

 

नेपाल अपेक्षाकृत एक गरीब राष्ट्र है, इसलिए भारत एक अच्छा पड़ोसी होने के नाते आर्थिक रूप से भी उसकी सहायता करता रहता है। वर्ष 1950 की संधि के अंतर्गत भारत ने नेपाल को न केवल ₹ 1.50 बिलियन के पेट्रोलियम उत्पाद उपलब्ध कराए, बल्कि चावल, गेहूँ, मक्का, चीनी आदि के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध भी हटा लिए। फरवरी, 1996 में भारत-नेपाल के मध्य महाकाली नदी के पानी और बिजली को साझा करने का समझौता भी हुआ। वर्ष 2008 में भारत ने नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उसे शांति और विकास की प्रक्रिया में हरसम्भव सहायता देने का आश्वासन दिया। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल यात्रा के दौरान उसे 10,000 करोड़ नेपाली रुपये की सहायता प्रदान करने की घोषणा की। पिछले 17 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली अधिकारिक यात्रा थी।

 

उपसंहार :

भारत और नेपाल राजनैतिक ही नहीं अध्यात्मिक रूप से भी एक दूसरे से बहुत गहनता से जुड़े हुए हैं। कहा जाता है कि गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद से वहाँ के राजवंश की स्थापना हुई थी। हिंदुओं के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक पशुपतिनाथ का शिवलिंग भी नेपाल में है।

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