भारत-म्यांमार संबंध
प्रस्तावना :
भारत के अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम राज्यों से सटा म्यांमार भारत के पूर्व में स्थित है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण म्यांमार भारत के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। ऐतिहासिक रूप से भारत और म्यांमार काफी करीबी देश रहे हैं।
भारत म्यांमार संबंधों में खिंचाव एवं पुनर्जीवन वर्ष 1948 में म्यांमार की स्वतंत्रता के पश्चात भारत ने म्यांमार के साथ मजबूत सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संबंध स्थापित किए। बाद में म्यांमार में सेना द्वारा तख्तापलट करने से दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया, क्योंकि भारत ने म्यांमार में लोकतंत्र के दमन की कड़ी निंदा की थी, फिर भी भू-राजनीतिक चिंताओं के चलते भारत ने म्यांमार के साथ अपने संबंधों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया।
इसी उद्देश्य के चलते वर्ष 1987 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने म्यांमार की यात्रा की, परंतु वर्ष 1988 में लोकतंत्र विरोधी आंदोलन के चलते भारत में म्यांमार शरणार्थियों की संख्या बहुत तीव्र गति से बढ़ी, जिससे दोनों देशों के संबंध और भी बिगड़ गए।
इस दौरान चीन ने म्यांमार के साथ नजदीकी बढ़ानी चाही, जिसे भारतीय राजनीतिकों ने चिंता की दृष्टि से देखा, इसलिए वर्ष 1993 के बाद बने प्रधानमंत्रियों विशेष रूप से पीवी नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी ने म्यांमार के साथ संबंध सुधारने पर जोर दिया। वर्ष 2010 में लोकतंत्र की स्थापना के बाद भारत-म्यांमार संबंधों का एक खुशनुमा दौर शुरू हुआ है। वर्ष 2012 के अंत में भारत यात्रा पर आई म्यांमार की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सांग सू ची ने कहा था- ‘मैं खुद को आंशिक रूप से भारतीय नागरिक मानती हूँ।’
म्यांमार की नोबेल पत्रुस्कार प्राप्त नेता के इस कथन से दोनों देशों का आपसी प्यार प्रदर्शित होता है। इन्होंने 60 के दशक में दिल्ली स्थित कॉलेज से ही शिक्षा ग्रहण की थी।
भारत द्वारा म्यांमार की सहायता हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह वर्ष 2012 और 2014 में म्यांमार गए थे। वर्ष 2013 में भारत ने म्यांमार को विकास के लिए 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया। इसके अतिरिक्त, मौजूदा दौर में भारत म्यांमार का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। म्यांमार के कुल निर्यात में भारत का 25% हिस्सा है। दोनों देशों की सरकारें, कृषि, दूरसंचार, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, स्टील, तेज, प्राकृतिक गैस, खाद्य आदि मुद्दों पर एक-दूसरे का सहयोग कर रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए 13 फरवरी, 2001 में दोनों देशों ने 250 कि.मी. लम्बे भारत-म्यांमार मैत्री मार्ग का उद्घाटन किया। इसे मुख्य रूप से भारातीय आर्मी बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने बनाया है, जिसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना है।
भारत सरकार म्यांमार के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए जल, थल और वायु मार्गों के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रही है इसी क्रम में, भारत और म्यांमार के बीच 3,200 कि.मी. लम्बे, 4 लेन वाले त्रिकोणीय हाई-वे के निर्माण को लेकर समझौता हुआ है।
उपसंहार :
प्रत्येक विवाद पर भारत और म्यांमार दोनों एक दूसरे के साथ कंधों से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं जो भारत और म्यांमार के प्रगाढ़ होते संबंधों की मिसाल है। भारत और म्यांमार मिलकर अपने द्विपक्षीय संबंधों को नया आयाम दे रहे हैं। हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नवम्बर, 2014 में आसयान एवं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान म्यांमार जाकर दोनों देशों की मित्रता को और सुदृढ़ किया है। आशा है हम भविष्य में एक-दूसरे से और नजदीक हो सकेंगे।
अधिक निबंधों के लिए :