भारत-मालदीव संबंध
प्रस्तावना :
श्रीलंका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित मालदीव 1,200 से अधिक छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है। हिंद महासागर में स्थित यह देश सामरिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है, इसलिए भारतीय विदेश नीति में मालदीव को विशेष स्थान प्राप्त है।
मालदीव को भारत द्वारा सहायता :
वर्ष 1966 में मालदीव की स्वतंत्रता के बाद से ही भारत ने मालदीव के साथ दृढ़ सांस्कृतिक, आर्थिक एवं रक्षा संबंध स्थापित किए हैं। वर्ष 1988 में भारत ने आतंकवादी संगठन लिट्टे के विरुद्ध मालदीव को सैन्य सहायता उपलब्ध कराई।
इस समय भारत विभिन्न क्षेत्रों में मालदीव को विकास की ओर ले जा रहा है और यथासम्भव वित्तीय सहायता दे रहा है। अप्रैल, 2006 में भारतीय नौसेना ने मालदीव को एक फास्ट अटैक क्राफ्ट उपहार में दिया था। मालदीव एक छोटा और अपेक्षाकृत कम विकसित देश है, जिस पर आतंकवादी संगठनों की बुरी नजर रहती है। अतः वर्ष 2009 में नई दिल्ली ने मालदीव के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत मालदीव की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने में अपना योगदान देगा।
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति श्री मोहम्मद नशीद ने अपने पद से इस्तीफा देने और फिर वर्ष 2013 में वहाँ की एक अदालत के द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के पश्चात भारतीय उच्चायोग में शरण ली थी। उच्चायोग से जाते समय उन्होंने भारतीयों का आभार व्यक्त करते हुए कहा था- ‘पनाह के दिनों में आपके उपकार और आतिथ्य के लिए शुक्रिया।’ तब भारत ने मालदीव की सभी बड़ी पार्टियों से शांति और धैर्य बनाए रखने की अपील की थी और दोनों देशों के मध्य सकारात्मक संबंध कायम रखने की उम्मीद जाहिर की थी।
उपसंहार :
मालदीव भारत के लिए यदि सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण है तो मालदीव के विकास के लिए भारत का महत्त्व भी कम नहीं है। आशा है पूर्व की तरह आगे भी भारत और मालदीव के मैत्रीपूर्ण संबंध कायम रहेंगे।
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