भारत-भूटान संबंध
प्रस्तावना :
ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो भारत और भूटान के संबंध काफी घनिष्ठ रहे हैं। अगस्त, 1949 में दोनों देशों ने मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसके अंतर्गत दोनों देश पारस्परिक रूप से शांति बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे यद्यपि भूटान की सरकार अपने विदेशी संबंधों के विषय में भारत सरकार की सलाह से निर्देशित होने की बात से सहमत थी तथापि 8 फरवरी, 2007 में भूटान और भारत के बीच करीबी दोस्ती और सहयोग के स्थायी संबंधों को ध्यान में रखते हुए इस संधि को संशोधित किया गया। इसके अनुसार भारत न केवल भूटान का अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संबंधों को दिशा देने में मार्गदर्शन करेगा, बल्कि दोनों देश राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर भी सहयोग करेंगे और इनमें से कोई भी देश अपनी जमीन का उपयोग दूसरे के अहित के लिए नहीं करेगा।
भारत द्वारा भूटान को सहयोग:
2007 की संधि के बाद एक स्वतंत्र और सम्प्रभु राष्ट्र के रूप में भूटान की स्थिति मजबूत हुई है। वर्ष 2008 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने भूटान की यात्रा कर उसे लोकतंत्र की स्थापना के लिए प्रेरित किया और भूटान से बिजली आयात करने का समझौता किया। भूटान में भारतीय कम्पनी टाटा पावर द्वारा एक पन बिजली बांध निर्मित किया गया गया है। इससे न केवल भूटान में रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, बल्कि इस बांध द्वारा उत्पादित बिजली भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को निर्यात भी की जाती है। इससे भूटानी अर्थव्यवस्था का विकास हुआ है। इस बांध परियोजना के कारण भूटानी अर्थव्यवस्था में 20% उछाल आया है, जो विश्व में दूसरी सर्वाधिक वृद्धि दर है। भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश भी है।
अगस्त, 2013 में भूटान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने भारत की यात्रा की, तब भारत सरकार ने भूटान की अर्थव्यवस्था को वित्तीय सहायता देते हुए उसे 819 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का समझौता किया। भूटान भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी देश है, इसलिए जून, 2014 में वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भूटान को चुना। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देना था। इस दौरान उन्होंने भूटान के उच्चतम न्यायालय परिसर का उद्घाटन किया और भूटान को सूचना प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल क्षेत्र में सहयोग देने का वादा किया।
उपसंहार :
भारत-भूटान संबंध दोनों देशों की प्रगति और विकास के लिए ही आवश्यक नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों की शांति और सुरक्षा के लिए भी अत्यंत जरूरी हैं। एक बात को दोनों देशों की सरकारें भली प्रकार समझती हैं। इसलिए हमें विश्वास है कि आने वाले समय में दोनों ही राष्ट्रों के आपसी संबंध और भी घनिष्ठ होंगे।
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