वन में सिंह का जुल्म – रोज अनेक पशुओं का शिकार – पशुओं की सभा – रोज एक पशु को सिंह के भोजन के रूप में भेजने का प्रस्ताव – सियार की बारी – सियार का चालाकी से सिंह को कुएँ पर ले जाना – कुए में उसका प्रतिबिंब दिखाना – अपने प्रतिबिंब को दूसरा सिंह समझना – सिंह का कुएँ में कूदना – सियार का बच जाना – सीख।
सिंह का जुल्म / बुद्धि बड़ी या बल?
किसी जंगल में एक सिंह रहता था। वह हर रोज कई पशुओं का शिकार करता था। जंगल के सभी पशु उससे डरते थे। एक दिन पशुओं ने बैठक की। उन्होंने सिंह के भोजन के लिए रोज एक पशु भेजने का निश्चय किया। सिंह ने पशुओं का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
एक दिन सिंह के पास जाने की सियार की बारी आई। सियार बहुत चालाक था। वह देरी से सिंह के पास पहुँचा और प्रणाम करके बोला, “वनराज, आप खुशी से मुझे खाइए। आपके हाथों मरने का मुझे दुःख नहीं है, परंतु मैं एक बात आपको बताना चाहता हूँ। इस जंगल में एक दूसरा सिंह भी आया है और वह एक बड़े कुएँ में आराम से बैठा है। उसने मुझे रोक रखा था। मैं बड़ी मुश्किल से भागकर आपके पास आया हूँ।”
सियार की बात सुनकर सिंह को बहुत गुस्सा आया। सियार सिंह को कुएँ पर ले गया। सियार ने उस कुएँ के पानी में सिंह को उसका ही प्रतिबिंब दिखाया। सिंह ने समझा कि पानी में सचमुच दूसरा सिंह है। गुस्से में आकर सिंह कुएँ में कूद पड़ा और डूबकर मर गया। सियार की जान बच गई।
सीख : बुद्धि बल से बड़ी होती है।
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