सच्ची माँ

दो स्त्रियाँ – एक बच्चे के लिए झगड़ना – दोनों का बच्चे की माँ होने का दावा – राजा से न्याय माँगना – बच्चे के बराबर दो टुकड़े करने और दोनों स्त्रियों को एक-एक टुकड़ा देने का राजा का आदेश – एक स्त्री का चुप रहना – दूसरी स्त्री का बच्चे को न मारने की बिनती करना – वही सच्ची माँ – झूठ बोलने वाली स्त्री को सजा – सीख।

सच्ची माँ

दो स्त्रियाँ थीं। वे एक बच्चे के लिए झगड़ रही थीं। हर एक स्त्री का कहना था कि वही बच्चे की माँ है।

 

बाद में वे दोनों स्त्रियाँ न्याय पाने के लिए राजा के पास पहुँचर्ची। राजा ने उनकी बात ध्यान से सुनी और उसने आदेश दिया, “इस बच्चे के दो बराबर टुकड़े कर एक-एक टुकड़ा इन दोनों स्त्रियों को दे दो।”

 

राजा की आज्ञा सुनकर एक स्त्री तो चुप रही, परंतु दूसरी स्त्री चिल्ला उठी – “महाराज, बच्चे को मत मारिए। उसे भले ही इस स्त्री को दे दीजिए।” 

 

राजा समझ गया कि वही स्त्री बच्चे की सच्ची माँ है। राजा ने उस स्त्री को बच्चा सौंप दिया। दूसरी स्त्री ने अपना अपराध कबूल कर लिया। राजा ने उसे छह महीने की जेल की सजा दी। 


सीख : सत्य की सदा विजय होती है।

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