मूर्ख बकरा

एक लोमड़ी का कुएँ में गिर जाना – बाहर न निकल पाना – आवाज सुनकर एक बकरे का कुएँ में झाँकना – लोमड़ी का कुएँ के पानी की तारीफ करना – बकरे का कुएँ में कूदना – बाहर निकलना कठिन – लोमड़ी के कहने पर कुएँ की दीवार पर अगले पैर रखकर खड़ा होना – लोमड़ी का बाहर निकलकर चलती बनना – मूर्ख बकरे का कुएँ में ही पड़ा रहना – सीख।

मूर्ख बकरा

एक बार एक लोमड़ी कुएँ में गिर पड़ी। बहुत कोशिश करने पर भी वह कुएँ से बाहर न निकल सकी।

 

थोड़ी देर के बाद एक बकरा उस कुएँ के पास से गुजरा। कुएँ से आती हुई आवाज सुनकर उसने कुएँ में झाँका। लोमड़ी ने कुएँ के पानी की बहुत तारीफ की। बकरे को प्यास लगी थी। वह झट से कुएँ में कूद पड़ा। अब उसका बाहर निकलना मुश्किल हो गया।

 

लोमड़ी बोली, “तुम मुझे बाहर निकलने में मदद करो। फिर मैं तुम्हें बाहर निकाल लूँगी।” बेचारा बकरा अपने अगले पैर कुएँ की दीवार पर रखकर खड़ा हो गया। लोमड़ी अपने पैर बकरे की पीठ पर रखकर बाहर कूद गई और चलती बनी।

 

मूर्ख बकरा कुएँ में ही पड़ा रह गया।


सीख : धूर्तों की मीठी-मीठी बातों में नहीं आना चाहिए।

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