बया और बंदर

बरगद के पेड़ पर बया का घोंसला – सुख-चैन से रहना – पेड़ पर बंदर का आना – बंदर का ठंड से काँपना – बया का बंदर को घर बनाने की सलाह देना – बंदर को बया की सलाह बुरी लगना – क्रोध आना – बया का घोंसला नष्ट करना – सीख। 

बया और बंदर

जंगल में बरगद का एक घना पेड़ था। उस पर एक बया पक्षी का घोंसला था। बया पक्षी अपने घोंसले में सुख-चैन से रहता था।

 

एक बार जाड़े के मौसम में एक बंदर उस पेड़ पर आया। बंदर ठंडी के मारे काँप रहा था। बया ने उसकी यह दशा देखी। उसने बंदर से कहा, “भाई, आप भी अपने लिए एक घर क्यों नहीं बना लेते? देखो, मैं अपने घोंसले में कितने आराम से बैठा हूँ। मुझे जरा भी ठंड नहीं लग रही।”

 

बया ने बंदर को अच्छी सलाह दी थी, परंतु बंदर को वह बुरी लगी। उसे लगा कि बया उसके सामने अपनी शेखी बघार रहा है। उसने क्रोध में आकर बया का घोंसला नष्ट कर दिया !


सीख : मूर्ख को अच्छी सलाह देने से अपना नुकसान ही होता है।

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